22-05-2020, 04:03 PM
फिर मैंने अपना एक हाथ उसके पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोलकर धीरे धीरे से उसकी ब्रा भी उतार दी और में गायत्री के बूब्स को देखकर मदहोश होने लगा और धीरे धीरे बूब्स को दबाने लगा और में गायत्री के होंठ को किस भी करता जा रहा था.. में गायत्री की जीभ को अपने मुहं में सक करने लगा.. ऐसा जैसे में उसकी जीभ का रस पी रहा हूँ.
फिर धीरे धीरे अब गायत्री की साँसे तेज़ हो रही थी और वो मेरे किस का और मेरे हाथों के छूने का जवाब दे रही थी और में बीच बीच में गायत्री के गाल पर किस करता.. उसकी गर्दन पर किस करता और में उसे किस करते करते उसकी छाती तक आ गया तो में गायत्री के भूरे कलर के निप्पल को उंगलियों में लेकर दबाने लगा.. गायत्री के निप्पल बहुत कड़क थे और वो मेरी इस हरकत से मोन करने लगी थी और मैंने गायत्री के निप्पल को चूसना शुरू कर दिया और बारी बारी से उसके निप्पल को मुहं में लेकर चूसता तो गायत्री अपनी मस्ती में मस्त होकर मोन करती जा रही थी.. इससे मुझे और भी मज़ा आ रहा था और कोई भी घर में मौजूद नहीं था तो मुझे किसी बात का डर भी नहीं था और हम बेफ़िक्र होकर मस्ती कर रहे थे.
फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और गायत्री के ऊपर लेट गया और उसके ऊपर के बदन पर चुम्मा चाटी करता रहा और जगह जगह मैंने उसके बदन पर काटा भी जिससे वो आअहह उह्ह्ह की आवाज़ में चिल्लाती. फिर में अब थोड़ा नीचे जाकर उसका पैर चूमने लगा और उसकी नाभि में उंगली डालकर खेलने लगा और वो आराम से बिस्तर पर लेटकर मज़े लेती जा रही थी तो मैंने इसी दौरान उसके पजामे का नाड़ा ढीला कर दिया और धीरे से उसका पजामा और उसकी पेंटी को उतार कर उससे अलग कर दिया और अब हम दोनों ही बिस्तर पर नंगे लेटे हुए थे. फिर में नीचे गायत्री के पैरों के बीच में आ गया और में गायत्री की चूत पर हाथ घुमाने लगा.. दोस्तों गायत्री और मैंने कभी अपने अन्दर के हिस्सों से बाल साफ नहीं किए थे तो हमारे अंगो पर झांट उगे हुए थे लेकिन इसके बावजूद गायत्री की चूत मुझे आमंत्रित कर रही थी.. उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी और उस में से महक आ रही थी और में गायत्री की चूत की झांटो को थोड़ा हटाकर उसकी चूत के गुलाबी हिस्से को चाटने लगा.. वहाँ पर एक छोटा दाना था.. तो में उसे उंगली से सहलाने लगा.. जिसकी वजह से गायत्री बहुत गरम होकर पैर मारने लगी. दोस्तों में एक और बात बता दूँ कि हमे सेक्स का ज्यादा अनुभव नहीं था. हम वही कर रहे थे.. जो हमे अच्छा लग रहा था.
फिर में गायत्री की चूत को थोड़ा फैलाकर उसकी चूत के अंदर भी चाटने की कोशिश कर रहा था और मेरी जीभ गायत्री की चूत की जड़ से भी टकराई और में चूत के दाने को अपने मुहं में लेकर बड़े मज़े से चूसने लगा लेकिन गायत्री तो अपनी ही दुनिया में मज़े में थी. वो पागलों की तरह मोन कर रही थी अह्ह्ह उह्ह्ह रॉकी तुम यह क्या कर रहे हो? सिसकियाँ लेती हुई चिल्लाती जा रही थी.
फिर में अब सीधा उसके ऊपर लेट गया और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपने लंड को गायत्री की चूत के छेद पर सेट किया और में एक हाथ से अपने लंड को पकड़कर गायत्री की चूत पर दबाने लगा लेकिन उसकी चूत बहुत टाईट थी तो मेरा लंड इधर उधर हो रहा था तो में लंड को गायत्री के मुहं के पास लाया और अपना लंड उसके मुहं के पास ले जाकर मुहं में डाल दिया और उससे लंड को गीला करने को कहा तो गायत्री ने मेरा लंड झट से मुहं में ले लिया और वो उसे अपनी जीभ से चाटकर गीला कर रही थी और वो बड़े मज़े से मेरे लंड को चूस रही थी.
फिर मैंने जब अपना लंड उसके मुहं से बाहर निकाला तो गायत्री ने कहा कि मेरे लंड का स्वाद नमकीन है और उसे मेरे मोटे लंबे लंड को चाटकर बहुत मज़ा आया और फिर मैंने सही मौका देखकर अपना खड़ा हुआ कड़क लंड गायत्री की चूत पर रखा और मैंने अपने हाथ और शरीर का पूरा दम लगाकर एक ज़ोर का झटका दिया तो मेरा आधा लंड गायत्री की चूत को चीरता हुआ घुस गया और इसकी वजह से गायत्री ज़ोर से चीखने चिल्लाने लगी.. वो मेरे लंड को अपनी चूत में नहीं सह सकी.
फिर धीरे धीरे अब गायत्री की साँसे तेज़ हो रही थी और वो मेरे किस का और मेरे हाथों के छूने का जवाब दे रही थी और में बीच बीच में गायत्री के गाल पर किस करता.. उसकी गर्दन पर किस करता और में उसे किस करते करते उसकी छाती तक आ गया तो में गायत्री के भूरे कलर के निप्पल को उंगलियों में लेकर दबाने लगा.. गायत्री के निप्पल बहुत कड़क थे और वो मेरी इस हरकत से मोन करने लगी थी और मैंने गायत्री के निप्पल को चूसना शुरू कर दिया और बारी बारी से उसके निप्पल को मुहं में लेकर चूसता तो गायत्री अपनी मस्ती में मस्त होकर मोन करती जा रही थी.. इससे मुझे और भी मज़ा आ रहा था और कोई भी घर में मौजूद नहीं था तो मुझे किसी बात का डर भी नहीं था और हम बेफ़िक्र होकर मस्ती कर रहे थे.
फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और गायत्री के ऊपर लेट गया और उसके ऊपर के बदन पर चुम्मा चाटी करता रहा और जगह जगह मैंने उसके बदन पर काटा भी जिससे वो आअहह उह्ह्ह की आवाज़ में चिल्लाती. फिर में अब थोड़ा नीचे जाकर उसका पैर चूमने लगा और उसकी नाभि में उंगली डालकर खेलने लगा और वो आराम से बिस्तर पर लेटकर मज़े लेती जा रही थी तो मैंने इसी दौरान उसके पजामे का नाड़ा ढीला कर दिया और धीरे से उसका पजामा और उसकी पेंटी को उतार कर उससे अलग कर दिया और अब हम दोनों ही बिस्तर पर नंगे लेटे हुए थे. फिर में नीचे गायत्री के पैरों के बीच में आ गया और में गायत्री की चूत पर हाथ घुमाने लगा.. दोस्तों गायत्री और मैंने कभी अपने अन्दर के हिस्सों से बाल साफ नहीं किए थे तो हमारे अंगो पर झांट उगे हुए थे लेकिन इसके बावजूद गायत्री की चूत मुझे आमंत्रित कर रही थी.. उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी और उस में से महक आ रही थी और में गायत्री की चूत की झांटो को थोड़ा हटाकर उसकी चूत के गुलाबी हिस्से को चाटने लगा.. वहाँ पर एक छोटा दाना था.. तो में उसे उंगली से सहलाने लगा.. जिसकी वजह से गायत्री बहुत गरम होकर पैर मारने लगी. दोस्तों में एक और बात बता दूँ कि हमे सेक्स का ज्यादा अनुभव नहीं था. हम वही कर रहे थे.. जो हमे अच्छा लग रहा था.
फिर में गायत्री की चूत को थोड़ा फैलाकर उसकी चूत के अंदर भी चाटने की कोशिश कर रहा था और मेरी जीभ गायत्री की चूत की जड़ से भी टकराई और में चूत के दाने को अपने मुहं में लेकर बड़े मज़े से चूसने लगा लेकिन गायत्री तो अपनी ही दुनिया में मज़े में थी. वो पागलों की तरह मोन कर रही थी अह्ह्ह उह्ह्ह रॉकी तुम यह क्या कर रहे हो? सिसकियाँ लेती हुई चिल्लाती जा रही थी.
फिर में अब सीधा उसके ऊपर लेट गया और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपने लंड को गायत्री की चूत के छेद पर सेट किया और में एक हाथ से अपने लंड को पकड़कर गायत्री की चूत पर दबाने लगा लेकिन उसकी चूत बहुत टाईट थी तो मेरा लंड इधर उधर हो रहा था तो में लंड को गायत्री के मुहं के पास लाया और अपना लंड उसके मुहं के पास ले जाकर मुहं में डाल दिया और उससे लंड को गीला करने को कहा तो गायत्री ने मेरा लंड झट से मुहं में ले लिया और वो उसे अपनी जीभ से चाटकर गीला कर रही थी और वो बड़े मज़े से मेरे लंड को चूस रही थी.
फिर मैंने जब अपना लंड उसके मुहं से बाहर निकाला तो गायत्री ने कहा कि मेरे लंड का स्वाद नमकीन है और उसे मेरे मोटे लंबे लंड को चाटकर बहुत मज़ा आया और फिर मैंने सही मौका देखकर अपना खड़ा हुआ कड़क लंड गायत्री की चूत पर रखा और मैंने अपने हाथ और शरीर का पूरा दम लगाकर एक ज़ोर का झटका दिया तो मेरा आधा लंड गायत्री की चूत को चीरता हुआ घुस गया और इसकी वजह से गायत्री ज़ोर से चीखने चिल्लाने लगी.. वो मेरे लंड को अपनी चूत में नहीं सह सकी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
