22-05-2020, 04:02 PM
रा नाम रॉकी है और में जबलपुर का रहने वाला हूँ.. मेरे घर में मेरे पिताजी, माताजी, मेरी बड़ी बहन गायत्री और में रहता हूँ. गायत्री और में बचपन से ही एक दूसरे के बहुत ही करीब है और हम दोनों में कभी भी सेक्स नहीं हुआ था लेकिन हम दोनों को एक दूसरे से चिपकना मस्ती करना बड़ा ही पसंद था और हम हमेशा ही अपने कॉलेज से घर पर आने के बाद साथ में ही रहते थे. आप ऐसा कह सकते है कि अलग नहाने और कॉलेज की क्लास टाईम के अलावा हम हमेशा करीब होते है. गायत्री को मेरे सारे राज़ पता है और मुझे उसके.. हमारा रिश्ता ऐसा था कि हमे कभी एक दूसरे के अलावा और किसी भी दोस्त की ज़रूरत ही नहीं पड़ी और हम हमेशा ही एक दूसरे के बहुत करीब थे. गायत्री मेरे साथ अधिकतर बिना बाह की कमीज़, सलवार में ही रहती थी और हम चिपककर बात करते रहते है और मुझे उससे चिपकना बहुत अच्छा लगता है. इससे उसके बदन की महक और उसकी सांसो की महक मुझे आती है और उसके कंघो से लेकर हाथ तक मुझे उसे छूना बहुत अच्छा लगता.
तो दोस्तों अब में उस किस्से पर आता हूँ.. जहाँ से हमारी ज़िंदगी ने बदलाव लिया और हमने जहाँ से शारीरिक सुख लेना शुरू किया. यह बात पिछले महीने की है और हमारे घर पर सिर्फ़ गायत्री और में ही था.. हमारे माता, पिता दोनों ही किसी शादी में दो दिन के लिए बाहर गये थे. गायत्री और मुझे कहीं भी किसी भी शादी में जाना पहले से ही पसंद नहीं था और हमे वहां पर कोई भी अच्छा नहीं लगता था तो गायत्री और मैंने घर पर ही रहने का फैसला लिया.. पहले हमने खाना खाया और फिर हम गेम खेलने बैठ गये.. गेम के बीच ही गायत्री मुझे बार बार छेड़ती जाती.. कभी मेरे हाथ पर चिकोटी देती तो कभी मेरे गालो को खींचती या फिर कभी मेरे कान पकड़ती तो मुझे भी अब कुछ देर बाद शरारत सूझने लगी और में गायत्री के पीछे चुपके से जाकर अपनी दोनों हाथ की उंगलियों से गायत्री के पेट पर दबाता और वो झट से उछलती और इस तरह हमारा एक दूसरे के साथ गुदगुदी करना शुरू हुआ.
हमने एक दूसरे को गुदगुदी करते करते एक दूसरे को अपनी बाहों में भरकर गुदगुदी करने लगे.. में गायत्री के बदन को पूरा उसके कपड़ो के ऊपर से पकड़कर महसूस कर रहा था और उसका बदन मेरे बदन से ऐसे चिपका हुआ था कि में उसके बदन की पूरी गरमी को एंजाय कर रहा था और हम दोनों अपनी ही मस्ती में खोते जा रहे थे.
फिर एक दूसरे की बाहों में मस्ती करते करते हम रूम में पहुंचकर बेड पर गिर पड़े और हम एक दूसरे के कपड़ो के अंदर हाथ डालकर गुदगुदी करने लगे और वो मेरी पेंट के अंदर हाथ डालकर मेरे लंड पर गुदगुदी करने लगी तो मुझे भी शरारत सूझी और मैंने उसका टॉप उसकी कमर से ऊपर चड़ा दिया और मैंने देखा कि गायत्री ने काली कलर की ब्रा पहनी हुई थी.. में गायत्री की नेवेल को फैलाकर गायत्री की नेवेल पर बीच में किस करने लगा तो गायत्री अब मेरे बालों के साथ खेलती जा रही थी और हम दोनों को इस खेल में बड़ा मज़ा आ रहा था और फिर मैंने गायत्री की सलवार पूरी उतार दिया था और अब गायत्री सिर्फ़ ब्रा और पजामे में बिस्तर पर लेटी थी तो मैंने उससे कहा कि क्यों ना मम्मी, पापा जो करते है.. वो हम भी करे और इस पर गायत्री ने पूछा कि वो लोग क्या करते है तो मैंने गायत्री को कहा कि जो में करता हूँ. तुम बस उसमे मेरा साथ देना.. तुम्हे बड़ा मज़ा आएगा.
फिर उसके लिए उसने खुशी से हाँ कर दी और अब मैंने गायत्री को आराम से लेटने के लिए कहा और उसके दोनों हाथों को फैला दिया और में गायत्री के कंधे को पकड़कर अपना पैर उसके फैले हुए पैरों के बीच में डालकर उसकी छाती और कंधो पर किस करने लगा और में बीच बीच में गायत्री के बदन को किस भी करता जा रहा था. फिर में गायत्री के होंठो पर भी किस करने लगा और मैंने गायत्री का थोड़ा मुहं खुलवाया और अपनी जीभ गायत्री के मुहं में डालकर गायत्री के मुहं को अंदर से चूस रहा था और मेरे ऐसा करने से हम दोनों को बड़ा मज़ा आ रहा था.
तो दोस्तों अब में उस किस्से पर आता हूँ.. जहाँ से हमारी ज़िंदगी ने बदलाव लिया और हमने जहाँ से शारीरिक सुख लेना शुरू किया. यह बात पिछले महीने की है और हमारे घर पर सिर्फ़ गायत्री और में ही था.. हमारे माता, पिता दोनों ही किसी शादी में दो दिन के लिए बाहर गये थे. गायत्री और मुझे कहीं भी किसी भी शादी में जाना पहले से ही पसंद नहीं था और हमे वहां पर कोई भी अच्छा नहीं लगता था तो गायत्री और मैंने घर पर ही रहने का फैसला लिया.. पहले हमने खाना खाया और फिर हम गेम खेलने बैठ गये.. गेम के बीच ही गायत्री मुझे बार बार छेड़ती जाती.. कभी मेरे हाथ पर चिकोटी देती तो कभी मेरे गालो को खींचती या फिर कभी मेरे कान पकड़ती तो मुझे भी अब कुछ देर बाद शरारत सूझने लगी और में गायत्री के पीछे चुपके से जाकर अपनी दोनों हाथ की उंगलियों से गायत्री के पेट पर दबाता और वो झट से उछलती और इस तरह हमारा एक दूसरे के साथ गुदगुदी करना शुरू हुआ.
हमने एक दूसरे को गुदगुदी करते करते एक दूसरे को अपनी बाहों में भरकर गुदगुदी करने लगे.. में गायत्री के बदन को पूरा उसके कपड़ो के ऊपर से पकड़कर महसूस कर रहा था और उसका बदन मेरे बदन से ऐसे चिपका हुआ था कि में उसके बदन की पूरी गरमी को एंजाय कर रहा था और हम दोनों अपनी ही मस्ती में खोते जा रहे थे.
फिर एक दूसरे की बाहों में मस्ती करते करते हम रूम में पहुंचकर बेड पर गिर पड़े और हम एक दूसरे के कपड़ो के अंदर हाथ डालकर गुदगुदी करने लगे और वो मेरी पेंट के अंदर हाथ डालकर मेरे लंड पर गुदगुदी करने लगी तो मुझे भी शरारत सूझी और मैंने उसका टॉप उसकी कमर से ऊपर चड़ा दिया और मैंने देखा कि गायत्री ने काली कलर की ब्रा पहनी हुई थी.. में गायत्री की नेवेल को फैलाकर गायत्री की नेवेल पर बीच में किस करने लगा तो गायत्री अब मेरे बालों के साथ खेलती जा रही थी और हम दोनों को इस खेल में बड़ा मज़ा आ रहा था और फिर मैंने गायत्री की सलवार पूरी उतार दिया था और अब गायत्री सिर्फ़ ब्रा और पजामे में बिस्तर पर लेटी थी तो मैंने उससे कहा कि क्यों ना मम्मी, पापा जो करते है.. वो हम भी करे और इस पर गायत्री ने पूछा कि वो लोग क्या करते है तो मैंने गायत्री को कहा कि जो में करता हूँ. तुम बस उसमे मेरा साथ देना.. तुम्हे बड़ा मज़ा आएगा.
फिर उसके लिए उसने खुशी से हाँ कर दी और अब मैंने गायत्री को आराम से लेटने के लिए कहा और उसके दोनों हाथों को फैला दिया और में गायत्री के कंधे को पकड़कर अपना पैर उसके फैले हुए पैरों के बीच में डालकर उसकी छाती और कंधो पर किस करने लगा और में बीच बीच में गायत्री के बदन को किस भी करता जा रहा था. फिर में गायत्री के होंठो पर भी किस करने लगा और मैंने गायत्री का थोड़ा मुहं खुलवाया और अपनी जीभ गायत्री के मुहं में डालकर गायत्री के मुहं को अंदर से चूस रहा था और मेरे ऐसा करने से हम दोनों को बड़ा मज़ा आ रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.