22-05-2020, 03:44 PM
मैंने अपना लंड अपनी बहन को मुहं में दे दिया जिसे वो मजे से चूसने लगी. और मैंने अपनी जबान से उसकी चूत को लिक किया. चूत के दाने को जब जबान से चाटा तो दीदी की हालत एकदम खराब हो गई.
फिर हम दोनों अलग हुए. मैंने कहा मैं एक मिनिट आता हूँ. मैं नंगा ही किचन में गया. वहाँ फ्रिज में अमूल का साल्टेड बटर रखा हुआ था. मैं वो ले आया. दीदी ने कहा ये क्यूँ?
मैंने कहा बटर लगा के सेक्स करेंगे!
पागल हे तू अविनाश!
मैंने कहा, ऐसी एक मूवी में देखा था मैंने.
दीदी बोली ठीक हे फिर जो मर्जी हो कर ले तू.
मैंने थोडा बटर अपने हाथ से तोड़ के टुकड़े को ही दीदी की बुर पर रख दिया. फिर मैं ऊँगली से बटर के टुकड़े को चूत पर घिसने लगा. चूत की गर्मी और घिसने की वजह से बटर को घुलने में देर नै लगी. दीदी की चूत एकदम चिकनी हो गई थी. मैंने कुछ बटर को ले के अपने लंड पर भी घिस लिया. मैंने दीदी से कहा चलो अब आप अपनी टाँगे खोलो दीदी.
दीदी ने कहा अब कितनी खोलूं पगले, इतनी तो बहुत भी हे.
मैंने अपने लंड के सुपाडे को बहन के बुर पर लगाया. हम दोनों का पहला सेक्स था ये. और हम दोनों काफी उत्साहित थे. मैं जानता था की मेरी दीदी मेरी ख़ुशी के लिए सब कुछ कर रही थी. इसलिए मैंने लंड को अन्दर करने से पहले कहा, आई लव यु दीदी.
वो मुझे आँख मार के और फ्लाईंग किस देते हुए बोली, आई लव यु टू.
फिर मैंने धीरे से धक्का दिया. बटर की महरबानी हो या फिर मेरी दीदी की चूत पहले से खुली हो. लंड बिना किसी परेशानी के फच के साउंड से अन्दर घुस गया. दीदी ने टाँगे थोड़ी और खोली क्यूंकि शायद उसे भी अंदाजा नहीं था की लंड इतनी आराम से अन्दर घुस लेगा. बटर की चिकनाहट का पूरा मजा लेते हुए मैं हौले हौले से अपनी बहन को चोदने लगा. दीदी भी अपनी टाँगे बिना हिलाए अपनी कमर को झटके दे रही थी. वो मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ फेरते हुए मस्तिया रही थी. उसके मुहं से अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ह्म्म्मम्मअ आः आह्ह्ह्ह निकल रहा था. और उसकी चूत मेरे लंड के चारो तरफ अपनी ग्रिप और भी कडक कर रही थी. मैं दीदी के बूब्स को अपने मुहं में भर के उसकी चूत को और भी सेक्सी ढंग से पेलने लगा. इस मिशनरी पोस में दीदी ने कुछ 10 मिनिट तक चुदवाया. और फिर वो बोली, चल अब मैं तेरे ऊपर आती हूँ अविनाश. मैंने कहा ओके. और दीदी के नर्म गद्दे के ऊपर मैं लेट गया. उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा. और उसे मेरी चूत में सेट करते हुए उसके ऊपर बैठ गई. अब की भी दीदी को लंड परोने में कोई दिक्कत नहीं हुई अब वो एक हाथ को मेरी जांघ पर रख के और दुसरे हाथ से अपनी चुंचियां दबाते हुए मेरे लंड पर जम्प लेने लगी. मेरा लंड आराम से उसकी चूत में अन्दर बहार हो रहा था.
कुछ देर में मुझे लगा के दीदी थक गई हे. मैंने उसे सपोर्ट करने के लिए उसकी गांड पर दोनों तरफ से हाथ रख दिए. और वो आगे झुक गई. अपने बूब्स उसने मुझे मुहं में दे दिए और अपनी गांड को जोर जोर से मेरे लंड पर मारने लगी. मैं आह आह आह करने लगा था.
मुझे ऐसा लग रहा था की मेरे पुरे बदन का लहू लंड की तरफ दौड़ रहा हे. और दीदी की साँसे भी उखड़ रही थी. मैंने उसकी निपल्स को बाईट किया तो उसने मुझे एक मारा प्यार से. मैंने दूसरी निपल पर भी बाईट कर लिया. दीदी की चूत की ग्रिप मेरे लंड के ऊपर अब यकायक बढ़ सी गई. मैं भी जोर जोर से मार रहा था निचे से अपना लंड और वो दोगुनी स्पीड से लौड़े के ऊपर जम्प लगा रही थी. हम दोनों पसीने में भीग से गए थे. मैंने कहा, दीदी मेरा पानी निकल जाएगा.
वो अपनी गांड रगड़ते उए बोली, अन्दर ही निकाल दो सब पानी को. मैं भी तुम्हारे लंड पर अपना पानी छोडूंगी.
मैंने कहा ठीक हे. और मैंने उसकी गांड को पकड़ के अपने झटके बढ़ा दिए. हम दोनों भाई बहन ऑलमोस्ट सेम टाइम पर ही झड़े. और उसे भी ये बड़ा अच्छा लगा. वो लंड को पकड़ के धीरे से उसे चूत से निकाल के बेड पर लेट गई. मैंने फट से उसकी टाँगे खोली और उसकी चूत को चाटने लगा. उसके और मेरे पानी का मिश्रण एकदम गरम था और उसके अन्दर से मसकीस्मेल आ रही थी! और उसकी स्मेल कुछ कुछ मेरी बहन की पेंटी के स्मेल के जैसी ही थी!
फिर हम दोनों अलग हुए. मैंने कहा मैं एक मिनिट आता हूँ. मैं नंगा ही किचन में गया. वहाँ फ्रिज में अमूल का साल्टेड बटर रखा हुआ था. मैं वो ले आया. दीदी ने कहा ये क्यूँ?
मैंने कहा बटर लगा के सेक्स करेंगे!
पागल हे तू अविनाश!
मैंने कहा, ऐसी एक मूवी में देखा था मैंने.
दीदी बोली ठीक हे फिर जो मर्जी हो कर ले तू.
मैंने थोडा बटर अपने हाथ से तोड़ के टुकड़े को ही दीदी की बुर पर रख दिया. फिर मैं ऊँगली से बटर के टुकड़े को चूत पर घिसने लगा. चूत की गर्मी और घिसने की वजह से बटर को घुलने में देर नै लगी. दीदी की चूत एकदम चिकनी हो गई थी. मैंने कुछ बटर को ले के अपने लंड पर भी घिस लिया. मैंने दीदी से कहा चलो अब आप अपनी टाँगे खोलो दीदी.
दीदी ने कहा अब कितनी खोलूं पगले, इतनी तो बहुत भी हे.
मैंने अपने लंड के सुपाडे को बहन के बुर पर लगाया. हम दोनों का पहला सेक्स था ये. और हम दोनों काफी उत्साहित थे. मैं जानता था की मेरी दीदी मेरी ख़ुशी के लिए सब कुछ कर रही थी. इसलिए मैंने लंड को अन्दर करने से पहले कहा, आई लव यु दीदी.
वो मुझे आँख मार के और फ्लाईंग किस देते हुए बोली, आई लव यु टू.
फिर मैंने धीरे से धक्का दिया. बटर की महरबानी हो या फिर मेरी दीदी की चूत पहले से खुली हो. लंड बिना किसी परेशानी के फच के साउंड से अन्दर घुस गया. दीदी ने टाँगे थोड़ी और खोली क्यूंकि शायद उसे भी अंदाजा नहीं था की लंड इतनी आराम से अन्दर घुस लेगा. बटर की चिकनाहट का पूरा मजा लेते हुए मैं हौले हौले से अपनी बहन को चोदने लगा. दीदी भी अपनी टाँगे बिना हिलाए अपनी कमर को झटके दे रही थी. वो मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ फेरते हुए मस्तिया रही थी. उसके मुहं से अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ह्म्म्मम्मअ आः आह्ह्ह्ह निकल रहा था. और उसकी चूत मेरे लंड के चारो तरफ अपनी ग्रिप और भी कडक कर रही थी. मैं दीदी के बूब्स को अपने मुहं में भर के उसकी चूत को और भी सेक्सी ढंग से पेलने लगा. इस मिशनरी पोस में दीदी ने कुछ 10 मिनिट तक चुदवाया. और फिर वो बोली, चल अब मैं तेरे ऊपर आती हूँ अविनाश. मैंने कहा ओके. और दीदी के नर्म गद्दे के ऊपर मैं लेट गया. उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा. और उसे मेरी चूत में सेट करते हुए उसके ऊपर बैठ गई. अब की भी दीदी को लंड परोने में कोई दिक्कत नहीं हुई अब वो एक हाथ को मेरी जांघ पर रख के और दुसरे हाथ से अपनी चुंचियां दबाते हुए मेरे लंड पर जम्प लेने लगी. मेरा लंड आराम से उसकी चूत में अन्दर बहार हो रहा था.
कुछ देर में मुझे लगा के दीदी थक गई हे. मैंने उसे सपोर्ट करने के लिए उसकी गांड पर दोनों तरफ से हाथ रख दिए. और वो आगे झुक गई. अपने बूब्स उसने मुझे मुहं में दे दिए और अपनी गांड को जोर जोर से मेरे लंड पर मारने लगी. मैं आह आह आह करने लगा था.
मुझे ऐसा लग रहा था की मेरे पुरे बदन का लहू लंड की तरफ दौड़ रहा हे. और दीदी की साँसे भी उखड़ रही थी. मैंने उसकी निपल्स को बाईट किया तो उसने मुझे एक मारा प्यार से. मैंने दूसरी निपल पर भी बाईट कर लिया. दीदी की चूत की ग्रिप मेरे लंड के ऊपर अब यकायक बढ़ सी गई. मैं भी जोर जोर से मार रहा था निचे से अपना लंड और वो दोगुनी स्पीड से लौड़े के ऊपर जम्प लगा रही थी. हम दोनों पसीने में भीग से गए थे. मैंने कहा, दीदी मेरा पानी निकल जाएगा.
वो अपनी गांड रगड़ते उए बोली, अन्दर ही निकाल दो सब पानी को. मैं भी तुम्हारे लंड पर अपना पानी छोडूंगी.
मैंने कहा ठीक हे. और मैंने उसकी गांड को पकड़ के अपने झटके बढ़ा दिए. हम दोनों भाई बहन ऑलमोस्ट सेम टाइम पर ही झड़े. और उसे भी ये बड़ा अच्छा लगा. वो लंड को पकड़ के धीरे से उसे चूत से निकाल के बेड पर लेट गई. मैंने फट से उसकी टाँगे खोली और उसकी चूत को चाटने लगा. उसके और मेरे पानी का मिश्रण एकदम गरम था और उसके अन्दर से मसकीस्मेल आ रही थी! और उसकी स्मेल कुछ कुछ मेरी बहन की पेंटी के स्मेल के जैसी ही थी!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
