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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
मैं जैसे ही दीदी के कमरे से निकला उसके दुसरी सेकंड ही पापा आ गए घर में. उसकी पेंटी मेरी जेब में ही थी. अच्छा हुआ हमने चोदने का मोह नहीं किया वरना सच में पकडे जाते. मैं अपने कमरे में चला ग़या. दीदी का न्यूड बदन अभी भी जैसे मेरी आँखों के सामने ही था. मैंने दीदी की पेंटी को लंड के सब तरफ लपेट लिया औटी उसे हिलाने लगा. मैं मन ही मन सोच रहा था की पापा का आने का टाइम थोडा लेट होता तो बहन मस्त चुदवा लेती. ये सब सोचते हुए मैंने आँखे बंध की और बहन के नाम की मस्त मुठ मार ली. उसकी पेंटी को एकदम वीर्य से भर दिया था आज तो मैंने. आज रोज के मुकाबले मुठ भी उतनी ज्यादा और गाढ़ी निकली थी. मैने पेंटी को अपनी जेब में रखा और दीदी के कमरे में चला गया.
मैंने उसके हाथ में पेंटी दी. उसने खोल के देखा तो बोली, छी, कितने गंदे हो तुम अविनाश!
मैं हंस के वहां से निकल गया. दुसरे दिन सेटरडे था और फिर सन्डे, और दोनों दिन पापा घर पर ही थे. मैं बेसब्री से बहन के साथ घर में अकेलेपन की वेट में ही था. बस कैसे भी कर के मंडे आये और मैं बहाने से घर में रुक के अपनी बहन की चुदाई करूँ. सच में मंडे आते आते जैसे सदियाँ बीत गई. दीदी ने सन्डे इवनिंग को भी अपनी फ्रेश खुसबू वाली पेंटी दी थी. उसे तो मैं नाईट में अपने लंड पर ही रख के सो गया. दुसरे दिन पापा और मम्मी दोनों अपने काम से निकल गए. मम्मी को मैंने कहा की पेट में दर्द हे इसलिए मैं आज घर पर ही रहूँगा. मम्मी ने कहा देख ले जैसे तेरी तबियत लगे. तबियत तो अपनी सिस्टर की पुसी ही मांग रही थी.
जैसे ही हम दोनों घर में अकेले पड़े मैं फटाक से दीदी के कमरे में भाग गया. मेरी बहन भी मेरी ही वेट में थी. वो दिन में कभी भी ये वाली नाइटी नहीं पहनती थी. लेकिन आज उसने वही मेरी फेवरेट ब्लेक नाइटी पहनी थी. ये नाइटी पुरे ब्लेक रंग की हे और वो पूरी ट्रांसपेरेंट हे. उसके अन्दर दीदी ने कुछ भी नहीं पहना था. उसके बूब्स और चूत एकदम साफ़ दिख रहे थे मुझे! दीदी चुदने के पुरे मूड में ही थी. मैं उसके पास बैठ गया. कमरे में उसने रूम फ्रेशनर लगाया हुआ था. और एसी भी ओन था. मैंने उसके पैर पकड़ के धीरे से अपना हाथ उसके बुर की तरफ बढ़ा दिया. मेरी उंगलियाँ एकदम धीरे धीरे से ऊपर की तरफ बढ़ रही थी. और दीदी अपनी आँखे बंध कर के धीरे से सिसकियाँ रही थी. मैंने ऊँगली को जब उसकी चूत पर रख के देखा तो पता चला की चूत को तो 100 डिग्री के ऊपर वाला बुखार हो उतनी गरम हो गई थी! मैंने जैसे ही बहन की चूत पर से हाथ दूर करना चाहा तो उसने उसे पकड़ के वापस वहाँ रखवा दिया. मेरे लंड में अब कम्पन चालु हो चुके थे. मैंने धीरे से नाइटी की डोर को खोला और एक ही सेकंड के अन्दर बहन ने अपनी नाइटी उतरवाने में खुद मेरी मदद कर दी. वो अब मेरे सामने एकदम न्यूड थी.
दीदी ने पूछा, चाटोगे पहले?
मैं कहा आप मुझे चाट दो और मैं आप को.
वो बोली ठीक हे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Pahli bar bahan k sath picnic - by neerathemall - 14-02-2019, 03:18 AM
RE: Soni Didi Ke Sath Suhagraat - by neerathemall - 26-04-2019, 12:23 AM
didi in waterfall - by neerathemall - 04-06-2019, 01:34 PM
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