22-05-2020, 03:25 PM
ह कहानी मेरी और मेरी फुफेरी बहन की है।
फुफेरी बहन यानि कि मेरी बुआ की बेटी.. उसने लगभग एक सप्ताह पहले ही अपनी जवानी की ओर पहला कदम बढ़ाया था.. मेरा मतलब है कि उसने अभी ही 18 वर्ष की आयु पूरी की थी।
उसका फिगर लाजवाब था.. यही कोई 32-24-34 का भरा हुआ जिस्म था।
उसकी जवानी देख कर ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था।
एक दिन मेरी बुआ जी का फ़ोन आया कि निधि हमारे यहाँ गर्मी की छुट्टियों में आना चाहती है.. पर उसे लेने के लिए किसी को आना होगा।
जैसे ही मम्मी ने मुझ से ये बताया.. मैं तैयार हो गया और दोस्त से उसकी बाइक उधार लेकर बुआ की बेटी को लेने चला गया।
उसी दिन शाम को मैं उसे लेकर अपने घर वापस पहुँच गया।
शाम को निधि ने ही खाना बनाया। फिर खाना के बाद सभी लोग मम्मी.. भाई.. दादी सोने की तैयारी करने लगे।
मेरे पापा जी अपने व्यापार के चक्कर में अक्सर शहर से बाहर ही रहते है।
गर्मियों के दिन थे.. सभी लोग अलग-अलग जगह सो गए.. कोई छत पर.. कोई बरामदे में.. तो कोई घर के खुले आंगन में..
रात को करीब 1 बजे मेरी नींद खुली.. तो देखा निधि कमरे में अकेली सोई हुई है.. और कमरे का दरवाजा खुला हुआ था।
मैंने देखा कि निधि का सूट कुछ पेट से ऊपर तक उठा हुआ है।
उसका गोरा चिकना बदन देख कर मेरा मन उसे चूमने को हुआ.. मैं उसके कुछ और करीब गया.. तो देखा कि ऊपर से उसके गोल-गोल उभार बड़े ही मस्त दिख रहे थे।
उसके मस्त मम्मे देख कर तो मानो मेरे दिल में उन्हें पकड़ने के लिए सैलाब सा उठ रहा था पर निधि बड़े कड़क स्वभाव की थी.. तो पास जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
फिर मैंने इधर-उधर देखा.. सब सोये हुए थे।
मैं धीरे से कमरे में और अन्दर गया और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया.. लाइट भी बंद कर दी और बिस्तर पर उसके पास में ही लेट गया।
कुछ देर इन्तजार करने के बाद मैंने अपनी मर्दानगी को ललकारा और धीरे से उसके उभार पर हाथ रख दिया।
हाथ रखते ही मेरे पूरे बदन में एक लहर से दौड़ गई.. दो मिनट इन्तजार के बाद मैंने अपने हाथ में थोड़ी से हरकत शुरू की.. निधि सोई हुई थी या नाटक कर रही थी.. पता नहीं.. पर मेरी हिम्मत जरूर बढ़ गई थी।
अब मैं निधि को बिना चोदे नहीं छोड़ना चाहता था.. तो मैं अपनी हरकतों में थोड़ा सा इजाफा करते हुए उसके उभारों को थोड़ा जोर-जोर से दबाने लगा।
सके बाद भी मुझे उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.. तो मैंने उसके सूट में अन्दर हाथ डाल दिया और चूचे दबाने लगा।
अब मैं समझ गया था कि निधि भी मुझसे चुदवाना चाहती है.. पर मुझसे छोटी होने और मेरी बहन होने की वजह से शरमा रही है।
मैंने देर न करते हुए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.. वो अभी भी कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रही थी।
मैं उसके चूचे जोर-जोर से मसल रहा था और होंठों का रस पान भी कर रहा था। वो केवल सिसकारियों के सिवाय कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रही थी।
अब मैंने एक हाथ उसकी सलवार में डाल दिया और उंगली से उसकी चूत टटोलने लगा और चूत के ऊपरी भाग को सहलाने लगा।
कुछ देर सहलाने के बाद मुझे अहसास हुआ कि जैसे उसके जिस्म में कोई हरकत हुई.. जैसे ही मैंने उसकी चूत से ध्यान हटाया.. तो पाया कि उसका हाथ मेरे 7″ के लौड़े को सहला रहा है। मेरा लौड़ा लोहे की रॉड की तरह सख्त और बिलकुल गरम हो रहा था।
तभी मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी.. वो चिहुँक उठी। मैंने भी उंगली अन्दर-बाहर चलानी शुरू कर दी.. तो वो भी जोर-जोर से मेरे लण्ड के सुपारे को ऊपर-नीचे करने लगी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
कुछ ही मिनटों में उसकी चूत पानी छोड़ गई।
अब उसकी चूत में से पानी निकलने लगा था और मेरा पूरी उंगली उसमें भीग गई थी। उसने धीरे से मेरे कान में कहा- भैया.. अब तो चोद दो।
मैंने तुरंत उसकी सलवार नीचे करके उसकी गरम चूत पर अपना लौड़ा रख दिया। उसने नीचे से गाण्ड उठा कर नाकाम कोशिश की।
फुफेरी बहन यानि कि मेरी बुआ की बेटी.. उसने लगभग एक सप्ताह पहले ही अपनी जवानी की ओर पहला कदम बढ़ाया था.. मेरा मतलब है कि उसने अभी ही 18 वर्ष की आयु पूरी की थी।
उसका फिगर लाजवाब था.. यही कोई 32-24-34 का भरा हुआ जिस्म था।
उसकी जवानी देख कर ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था।
एक दिन मेरी बुआ जी का फ़ोन आया कि निधि हमारे यहाँ गर्मी की छुट्टियों में आना चाहती है.. पर उसे लेने के लिए किसी को आना होगा।
जैसे ही मम्मी ने मुझ से ये बताया.. मैं तैयार हो गया और दोस्त से उसकी बाइक उधार लेकर बुआ की बेटी को लेने चला गया।
उसी दिन शाम को मैं उसे लेकर अपने घर वापस पहुँच गया।
शाम को निधि ने ही खाना बनाया। फिर खाना के बाद सभी लोग मम्मी.. भाई.. दादी सोने की तैयारी करने लगे।
मेरे पापा जी अपने व्यापार के चक्कर में अक्सर शहर से बाहर ही रहते है।
गर्मियों के दिन थे.. सभी लोग अलग-अलग जगह सो गए.. कोई छत पर.. कोई बरामदे में.. तो कोई घर के खुले आंगन में..
रात को करीब 1 बजे मेरी नींद खुली.. तो देखा निधि कमरे में अकेली सोई हुई है.. और कमरे का दरवाजा खुला हुआ था।
मैंने देखा कि निधि का सूट कुछ पेट से ऊपर तक उठा हुआ है।
उसका गोरा चिकना बदन देख कर मेरा मन उसे चूमने को हुआ.. मैं उसके कुछ और करीब गया.. तो देखा कि ऊपर से उसके गोल-गोल उभार बड़े ही मस्त दिख रहे थे।
उसके मस्त मम्मे देख कर तो मानो मेरे दिल में उन्हें पकड़ने के लिए सैलाब सा उठ रहा था पर निधि बड़े कड़क स्वभाव की थी.. तो पास जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
फिर मैंने इधर-उधर देखा.. सब सोये हुए थे।
मैं धीरे से कमरे में और अन्दर गया और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया.. लाइट भी बंद कर दी और बिस्तर पर उसके पास में ही लेट गया।
कुछ देर इन्तजार करने के बाद मैंने अपनी मर्दानगी को ललकारा और धीरे से उसके उभार पर हाथ रख दिया।
हाथ रखते ही मेरे पूरे बदन में एक लहर से दौड़ गई.. दो मिनट इन्तजार के बाद मैंने अपने हाथ में थोड़ी से हरकत शुरू की.. निधि सोई हुई थी या नाटक कर रही थी.. पता नहीं.. पर मेरी हिम्मत जरूर बढ़ गई थी।
अब मैं निधि को बिना चोदे नहीं छोड़ना चाहता था.. तो मैं अपनी हरकतों में थोड़ा सा इजाफा करते हुए उसके उभारों को थोड़ा जोर-जोर से दबाने लगा।
सके बाद भी मुझे उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.. तो मैंने उसके सूट में अन्दर हाथ डाल दिया और चूचे दबाने लगा।
अब मैं समझ गया था कि निधि भी मुझसे चुदवाना चाहती है.. पर मुझसे छोटी होने और मेरी बहन होने की वजह से शरमा रही है।
मैंने देर न करते हुए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.. वो अभी भी कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रही थी।
मैं उसके चूचे जोर-जोर से मसल रहा था और होंठों का रस पान भी कर रहा था। वो केवल सिसकारियों के सिवाय कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रही थी।
अब मैंने एक हाथ उसकी सलवार में डाल दिया और उंगली से उसकी चूत टटोलने लगा और चूत के ऊपरी भाग को सहलाने लगा।
कुछ देर सहलाने के बाद मुझे अहसास हुआ कि जैसे उसके जिस्म में कोई हरकत हुई.. जैसे ही मैंने उसकी चूत से ध्यान हटाया.. तो पाया कि उसका हाथ मेरे 7″ के लौड़े को सहला रहा है। मेरा लौड़ा लोहे की रॉड की तरह सख्त और बिलकुल गरम हो रहा था।
तभी मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी.. वो चिहुँक उठी। मैंने भी उंगली अन्दर-बाहर चलानी शुरू कर दी.. तो वो भी जोर-जोर से मेरे लण्ड के सुपारे को ऊपर-नीचे करने लगी।
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कुछ ही मिनटों में उसकी चूत पानी छोड़ गई।
अब उसकी चूत में से पानी निकलने लगा था और मेरा पूरी उंगली उसमें भीग गई थी। उसने धीरे से मेरे कान में कहा- भैया.. अब तो चोद दो।
मैंने तुरंत उसकी सलवार नीचे करके उसकी गरम चूत पर अपना लौड़ा रख दिया। उसने नीचे से गाण्ड उठा कर नाकाम कोशिश की।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.