21-05-2020, 01:16 PM
दोनों के नंगे बदन जैसे ही सटे रेखा के मुह से सिसिसिसिसी..... और जाकिर के मुह से आह्ह्ह्ह्ह्ह... ह्म्म्म्म्म्म्म....एक साथ निकल पड़ा। जाकिर को तो यूँ लगा मानो वक़्त वही रुक गया है। दोनों की दिल की धडकने एक दुसरे को साफ महसूस हो रही रही थी। रेखा के नग्न स्तन जाकिर के छाती से भीचे जा रहे थे उसके गुलाबी निप्पल जाकिर के सीधे दिल में ही छेद कर रहे थे। नीचे जाकिर का बाबुराव उसके और रेखा के बीच दबा गर्माहट पाकर इतना अकड़ने लगा की उसकी चड्डी के बाहर झाकने लगा नज़ारे के लालच में।
जाकिर- इस हरकत पर कपकंपाती आवाज में"आह जानेमन ठंडक मिल गयी कलेजे में। आज तो दिन बन गया मेरा।"
ऐसा कहता हुआ अपने होठों को रेखा के कान तक लेजाकर गर्म सांसे छोड़ता है। धीरे से एक दो बार जबान निकालकर उसके कानो को चाटता है फिर कान के निचले हिस्से को चूसने और चुभलने लगता है।
रेखा-लगभग थिरकते हुए जाकिर से और चिपकते हुए"आअह्ह्ह्ह्ह........ मत करो जाजी। मै पागल हो जाउंगी। आपने तो बस गले लगाने का बोला था ना ह्म्म्म्म।"
जाकिर-रेखा के कानो में फुसफुसाते हुए"वो तो शुरुआत होती। गले लगाकर तेरे होठों का रस भी तो पीता।"
रेखा-थोडा चेहरा सामने करके जाकिर को देखते हुए "अच्छा। तो पहले कहना था ना।"
और कहने के साथ ही रेखा के होठ जाकिर के होठों से भिड़ा देती है। रेखा के होठो का स्पर्श पाते ही जाकिर अपने होठो को खोलकर उसके होठो को अन्दर आने देता है और फिर जोर जोर से पागलों की तरह चूसने लगता है।
अब जो भी हो रहा था वो सब अपने आप ही हो रहा था, किसी का भी कोई कण्ट्रोल नहीं था होने वाली घटनाओं पर
रेखा के हाथ जाकिर के सर के पीछे से उसे जकड़े हुए उसके मुह को अपने मुह की ओर दबाये जा रहे थे साथ ही साथ वो खुद भी अपना मुह ज्यादा से ज्यदा उसके मुह के अन्दर घुसाए जा रही थी। चूसने के दौरान ही जाकिर ने अपनी जीभ उसके होठो पर फेरना शुरू कर दिया जिसके प्रभाव से रेखा के होठ अपने आप ही खुलते चले गए और जाकिर की जीभ रेखा के मुह के अन्दर जाकर उसकी जीभ के साथ आलिंगनबद्ध होने लगी। म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्ह्ह्ह्ह्ह की घुटी घुटी सी आवाज के साथ ही रेखा ने अपने मुह में आई इस मेहमान का स्वागत अपनी जीभ से उसे दुलार कर किया और फिर वो उसे जोर जोर से चूसने लगी। दो जिस्म एक दुसरे में गुथे जा रहे थे और उनके होठ और मुह तो जैसे बिना गोंद के चिपक से ही गये थे।
जाकिर का लंड तो अकडकर बिलकुल पत्थर जैसा सख्त हो गया था और उसके अन्दर ज्वालामुखी के भीतर जैसा लावा उबलने लगा था जो किसी भी छोटी सी चिंगारी से किसी भी चेतावनी के बिना फट सकता था। उसके काले लिंग का टोपा फूलकर किसी बड़े से जामुन की तरह उसके अंडरवियर से झाककर रेखा के मलाइदार पेट से रगड़ खा रहा था। कुछ १० मिनट की इस चूसम चुसाई के बाद दोनों की ही सांस रुकने लगी तो दोनों अलग होकर गहरी गहरी सांसे लेने लगे लेकिन फिर भी दोनों के जिस्म अब भी एकदम चिपके हुए थे आपस में जिससे दोनों की ही गहरी गर्म सांसे एक दुसरे के चेहरे पर पड़ने लगी। जाकिर पूरी तयारी से आया था आज जिससे उसके मुह से आती लौंग की खुशबु रेखा पर एक अजीब सा खुमार डाल रही थी। वैसे ही रेखा की सांसों की खुशबु तो जैसे जाकिर को परफ्यूम जैसी ही लग रही थी।
रेखा चुसम चुसाई के बाद जाकिर की आँखों में देखकर शर्मा सी गयी पर अब उसकी झिझक खुलने लगी थी।उसने नजरें नहीं हटाई और जाकिर को देखते देखते ही उसने अपने एक स्तन को पकड़कर अपने मुह में भर लिया।
उत्तेजना के कारण अपने इस कार्य से अचानक थोड़ी शर्मा सी गयी वो। पर इससे उत्तेजित जाकिर फिर से उसके अधरों का रसपान करने के लिए अपने होठ आगे करने लगा पर रेखा ने अपनी ऊँगली उसके होठो पर रखकर उसे पीछे करके वापस कुर्सी से टिका दिया और उसे कातिल मुस्कराहट के साथ देखने लगी।
अब दोनों के बीच की सारी बाते आँखों ही आँखों में हो रही थी। प्रश्नवाचक दृष्टि से जाकिर ने रेखा की नजरों में देखा जिसके जवाब में रेखा ने अपना मुह गोल करके जाकिर को एक फ्लाइंग किस किया।
फिर थोडा ऊपर होकर उसके माथे को चूमा फिर दोनों आँखों को फिर नाक के उभार को फिर होठो को सिर्फ चूमा और अपनी जीभ फेर दी। अब उसकी जीभ जाकिर के जिस्म को ऐसे ही चाटते और चुमते नीचे की ओर आने लगी। वो अपनी जीभ से जाकिर के बदन को चाटते हुए उसकी ठोड़ी से गरदन से होते हुए उसकी छाती पर पहुची। पूरी बाल विहीन छाती को चाटने चूमने के बाद जाकिर के निप्पल को उसने ऐसे चूसा की सिस्कारियों की आवाजे तीव्र होने लगी जाकिर के मुह से। धीरे धीरे जाकिर के पेट पर भी जबान फेरने के बाद नीचे आते आते ही जाकिर की जबान एक गरम गरम लिसलिसी सी चीज से टकराई।
एक तो कमरे में अँधेरा ऊपर से झुकने से उसकी घनी जुल्फों से और अँधेरा सा हो गया था जिससे उसे समझ नहीं आया की वो क्या है। उसने हाथ लगकर देखा तो उसकी पूरी रूह कंपकंपा उठी। ये जाकिर के लिंग का टोपा था जो की अकड़कर उसकी चड्डी से बाहर आ चूका था और उसकी नाभि के थोडा सा नीचे अपनी पोजीशन लिए हुए था। जाकिर के पेट को चाटती चूमती रेखा की जबान उसे भी चाट चुकी थी जिसका जायका कुछ अजीब सा कसैला सा लगा उसे।
जब उसने टोपे को देखा तो उसकी आंखे हैरत से दोगुनी बड़ी हो गयी। चड्डी से लगभग डेढ़ इंच बाहर आ चुके लिंग का टोपा एकदम तन्नाया हुआ रेखा के थूक से गिला होकर चमक रहा था।
दोनों के बदन पर अगर कपड़ो की बात की जाये तो बस ये जाकिर की चड्डी ही आखिरी बची हुई थी। एक बार उसने जाकिर की आँखों में झांक के देखा तो वो तो लगातार आनंद के सागर में गोते लगता सिसकारियो की मौजों से घिरा हुआ था। उसके देखते ही देखते रेखा ने उसकी चड्डी निचे खसकाकर उसके घुटने तक कर दी जिससे उसका लिंग किसी स्प्रिंग की तरह बोइंग्ग्ग से झटके से बाहर तनकर खड़ा होकर रेखा को सेल्यूट मारने लगा।
चमकते काले रंग के इस लगभग 7 इंच लम्बे और 3 इंच मोटे करिश्मे को वो आंखे फाड़ फाड़ के देखने लगी।
जाकिर- इस हरकत पर कपकंपाती आवाज में"आह जानेमन ठंडक मिल गयी कलेजे में। आज तो दिन बन गया मेरा।"
ऐसा कहता हुआ अपने होठों को रेखा के कान तक लेजाकर गर्म सांसे छोड़ता है। धीरे से एक दो बार जबान निकालकर उसके कानो को चाटता है फिर कान के निचले हिस्से को चूसने और चुभलने लगता है।
रेखा-लगभग थिरकते हुए जाकिर से और चिपकते हुए"आअह्ह्ह्ह्ह........ मत करो जाजी। मै पागल हो जाउंगी। आपने तो बस गले लगाने का बोला था ना ह्म्म्म्म।"
जाकिर-रेखा के कानो में फुसफुसाते हुए"वो तो शुरुआत होती। गले लगाकर तेरे होठों का रस भी तो पीता।"
रेखा-थोडा चेहरा सामने करके जाकिर को देखते हुए "अच्छा। तो पहले कहना था ना।"
और कहने के साथ ही रेखा के होठ जाकिर के होठों से भिड़ा देती है। रेखा के होठो का स्पर्श पाते ही जाकिर अपने होठो को खोलकर उसके होठो को अन्दर आने देता है और फिर जोर जोर से पागलों की तरह चूसने लगता है।
अब जो भी हो रहा था वो सब अपने आप ही हो रहा था, किसी का भी कोई कण्ट्रोल नहीं था होने वाली घटनाओं पर
रेखा के हाथ जाकिर के सर के पीछे से उसे जकड़े हुए उसके मुह को अपने मुह की ओर दबाये जा रहे थे साथ ही साथ वो खुद भी अपना मुह ज्यादा से ज्यदा उसके मुह के अन्दर घुसाए जा रही थी। चूसने के दौरान ही जाकिर ने अपनी जीभ उसके होठो पर फेरना शुरू कर दिया जिसके प्रभाव से रेखा के होठ अपने आप ही खुलते चले गए और जाकिर की जीभ रेखा के मुह के अन्दर जाकर उसकी जीभ के साथ आलिंगनबद्ध होने लगी। म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्ह्ह्ह्ह्ह की घुटी घुटी सी आवाज के साथ ही रेखा ने अपने मुह में आई इस मेहमान का स्वागत अपनी जीभ से उसे दुलार कर किया और फिर वो उसे जोर जोर से चूसने लगी। दो जिस्म एक दुसरे में गुथे जा रहे थे और उनके होठ और मुह तो जैसे बिना गोंद के चिपक से ही गये थे।
जाकिर का लंड तो अकडकर बिलकुल पत्थर जैसा सख्त हो गया था और उसके अन्दर ज्वालामुखी के भीतर जैसा लावा उबलने लगा था जो किसी भी छोटी सी चिंगारी से किसी भी चेतावनी के बिना फट सकता था। उसके काले लिंग का टोपा फूलकर किसी बड़े से जामुन की तरह उसके अंडरवियर से झाककर रेखा के मलाइदार पेट से रगड़ खा रहा था। कुछ १० मिनट की इस चूसम चुसाई के बाद दोनों की ही सांस रुकने लगी तो दोनों अलग होकर गहरी गहरी सांसे लेने लगे लेकिन फिर भी दोनों के जिस्म अब भी एकदम चिपके हुए थे आपस में जिससे दोनों की ही गहरी गर्म सांसे एक दुसरे के चेहरे पर पड़ने लगी। जाकिर पूरी तयारी से आया था आज जिससे उसके मुह से आती लौंग की खुशबु रेखा पर एक अजीब सा खुमार डाल रही थी। वैसे ही रेखा की सांसों की खुशबु तो जैसे जाकिर को परफ्यूम जैसी ही लग रही थी।
रेखा चुसम चुसाई के बाद जाकिर की आँखों में देखकर शर्मा सी गयी पर अब उसकी झिझक खुलने लगी थी।उसने नजरें नहीं हटाई और जाकिर को देखते देखते ही उसने अपने एक स्तन को पकड़कर अपने मुह में भर लिया।
उत्तेजना के कारण अपने इस कार्य से अचानक थोड़ी शर्मा सी गयी वो। पर इससे उत्तेजित जाकिर फिर से उसके अधरों का रसपान करने के लिए अपने होठ आगे करने लगा पर रेखा ने अपनी ऊँगली उसके होठो पर रखकर उसे पीछे करके वापस कुर्सी से टिका दिया और उसे कातिल मुस्कराहट के साथ देखने लगी।
अब दोनों के बीच की सारी बाते आँखों ही आँखों में हो रही थी। प्रश्नवाचक दृष्टि से जाकिर ने रेखा की नजरों में देखा जिसके जवाब में रेखा ने अपना मुह गोल करके जाकिर को एक फ्लाइंग किस किया।
फिर थोडा ऊपर होकर उसके माथे को चूमा फिर दोनों आँखों को फिर नाक के उभार को फिर होठो को सिर्फ चूमा और अपनी जीभ फेर दी। अब उसकी जीभ जाकिर के जिस्म को ऐसे ही चाटते और चुमते नीचे की ओर आने लगी। वो अपनी जीभ से जाकिर के बदन को चाटते हुए उसकी ठोड़ी से गरदन से होते हुए उसकी छाती पर पहुची। पूरी बाल विहीन छाती को चाटने चूमने के बाद जाकिर के निप्पल को उसने ऐसे चूसा की सिस्कारियों की आवाजे तीव्र होने लगी जाकिर के मुह से। धीरे धीरे जाकिर के पेट पर भी जबान फेरने के बाद नीचे आते आते ही जाकिर की जबान एक गरम गरम लिसलिसी सी चीज से टकराई।
एक तो कमरे में अँधेरा ऊपर से झुकने से उसकी घनी जुल्फों से और अँधेरा सा हो गया था जिससे उसे समझ नहीं आया की वो क्या है। उसने हाथ लगकर देखा तो उसकी पूरी रूह कंपकंपा उठी। ये जाकिर के लिंग का टोपा था जो की अकड़कर उसकी चड्डी से बाहर आ चूका था और उसकी नाभि के थोडा सा नीचे अपनी पोजीशन लिए हुए था। जाकिर के पेट को चाटती चूमती रेखा की जबान उसे भी चाट चुकी थी जिसका जायका कुछ अजीब सा कसैला सा लगा उसे।
जब उसने टोपे को देखा तो उसकी आंखे हैरत से दोगुनी बड़ी हो गयी। चड्डी से लगभग डेढ़ इंच बाहर आ चुके लिंग का टोपा एकदम तन्नाया हुआ रेखा के थूक से गिला होकर चमक रहा था।
दोनों के बदन पर अगर कपड़ो की बात की जाये तो बस ये जाकिर की चड्डी ही आखिरी बची हुई थी। एक बार उसने जाकिर की आँखों में झांक के देखा तो वो तो लगातार आनंद के सागर में गोते लगता सिसकारियो की मौजों से घिरा हुआ था। उसके देखते ही देखते रेखा ने उसकी चड्डी निचे खसकाकर उसके घुटने तक कर दी जिससे उसका लिंग किसी स्प्रिंग की तरह बोइंग्ग्ग से झटके से बाहर तनकर खड़ा होकर रेखा को सेल्यूट मारने लगा।
चमकते काले रंग के इस लगभग 7 इंच लम्बे और 3 इंच मोटे करिश्मे को वो आंखे फाड़ फाड़ के देखने लगी।