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Adultery JISM by Riya jaan
#61
जाकिर- अपनी उत्तेजना पर थोडा काबू करते हुए "ओफ्फो और कितना शरमाएगी। दिखा भी दे क्यों तरसती है।"
रेखा-झेंपते हुए"दिखाने के पहले आपको वादा करना होगा की ये बाते हम दोनों के बीच ही रहेंगी और आप मेरी हर बात मानोगे।"
अपनी ओर रेखा को देखता पाकर जाकिर ने झट से हाँ में सर हिलाकर स्वीकृति प्रदान की। और इस गाँव का सबसे हसीं नजारा उस भद्दे इन्सान के आगे आ गया। रेखा ने अपने हाथो को स्तनों से हटाकर अपना चेहरा छुपा लिया। जाकिर की नजरे तो मानो उसके स्तनों का दूर से ही मर्दन करने लगीं और उसका लिंग तो अब काबू के बहार ही हो चला था। पूरी गोलाइयाँ लिए उसके स्तन किसी लैंप की तरह उस अँधेरे में भी चमक रहे थे और उसकी गोलाइयो के सबसे उभरे हुए हिस्से के ठीक ऊपर अंगूरों के साइज़ के निप्पल इठला इठला कर अकड़े जा रहे थे। गहरी गहरी सांसे लेती रेखा के स्तन जब जोर जोर से उपर निचे होते तो किसी कमजोर दिल वाले का तो देखकर ही हार्ट फेल हो जाता ख़ुशी और उत्तेजना से।
जाकिर-अपने होठो पर जीभ फेरता हुआ कंपती आवाज में"व व व वाह वाह। जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो। इन बोबों को देखने पूरा गाँव मरता है आज मेरी खुशकिस्मती है की मेरे नसीब में इन्हें देखना है। अब आगे देखते है कि और क्या क्या मिलता है। जी करता है कि इन्हें इतना दबाऊँ इस कदर चूसूं कि तुझे मेरे सिवा कोई और दिखे ही ना। साला दीनदयाल बड़ी किस्मत वाला है रोज इन फुटबालो से रात भर खेलता होगा। साले से बड़ी जलन हो रही है।"

रेखा-इन बातो को सुनकर आंख खोलकर मुह बिचकाते हुए "हुँह.... उन्हें तो इनकी कदर ही नहीं। इनकी तरफ देखते तक नहीं। बस जब मन हुआ तो महीने में एक या दो बार साड़ी उठाकर अपना काम किया और मुह घुमाकर सो गए।"(इतना कहकर झेंप जाती है कि वो बातो बातो में ये क्या कह गयी।)
जाकिर-आँखों में चमक आने पर आंख मारते हुए "अरे रे रे.... वो पागल क्या जाने कि फुलझड़ी को जलाया कैसे जाता है और सम्हाला कैसे जाता है मेरी फुलझड़ी। मेरा बस चले तो पुरे समय मेरा लंड तेरी चूत में रहे और तेरा बोबा मेरे मुह में। इतना चुसुं इनको कि जितना तूने आमो को भी नहीं चूसा होगा।"
ऐसी बाते सुनकर रेखा का रोम रोम खड़ा हो जाता है और पुरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ जाती है। जिसकी थिरकन जाकिर को भी दिखती है।
रेखा-संभलते हुए कंपती आवाज में "छि कैसे बोलते हो आप। जरा भी लिहाज नहीं। ना मुझे कुछ डलवाना है और ना डालना है और वैसे भी इन्हें चूसकर आपको क्या मिलेगा भला।"

जाकिर- थोडा आश्चर्य का भाव लाते हुए "क्या मिलेगा? कैसी बात करती है तू भी। इनसे तो देखकर ही इतना रस टपक रहा है की मेरे मुह में पानी आ रहा है। अब जरा इन दोनों दुल्हनो की मुह दिखाई भी तो करा दे मेरी रानी।" इतना कहकर जाकिर उसके स्तनों की ओर देखकर अपनी जीभ होठो पर फरता है।
रेखा- एक बार नजरे झुकाकर फिर से उसके नज़रों में देखते हुए "अच्छा तो अब आपको इनको देखना है। पहले बोलते थे सिर्फ बात करना है। फिर सिर्फ बाँहों में भरना है। फिर मुझे फुसलाकर मेरी चुम्मी ली। अभी मुझे इस हालत में अपने आगे खड़ा कर के रखा है। और अब आपको मेरे ये (स्तनों को दोनों हाथों से दबाकर) देखने हैं। आपकी डिमांड तो बढती ही जा रही है। पता नहीं आगे क्या क्या मांगोगे।"
इतना कहकर कुछ उत्तेजना और कुछ बातो में खोकर रेखा अपने स्तनों को निरंतर दबाते ही रही जिससे जाकिर की तोप झटका खाने लगी।
जाकिर- "अरे तू तो मालामाल है इस दौलत से तो तुझसे ही तो मांगूंगा ना थोड़ी भीख। देख भूखे को खाना खिलाना पुन्य होता है तो मै भी तो तेरे हुस्न का भूखा हूँ।" थोडा बेचारे जैसा मुह बना लेता है।

रेखा- हँसते हुए अपने निचले होठो को एक बार दांत से काटकर"अच्छा जी । तो आप भूखे हैं तो बताइए क्या खातिर करें आपकी। अब आप जो कहें वो ही होगा। ठीक है 'जाकिर भाई'।" खिलखिलाकर हंसती है।
हंसने से तो उसके स्तन ऐसे फुदकते हैं की जाकिर के तो नेत्र ही धन्य हो जाते हैं।
जाकिर- थोडा झुंझलाकर "कितने बार बोल चूका हूँ भाई नहीं। मै अच्छा नहीं लगता तो मेरा गला काट दे या चाहे तो मेरा लंड काट ले। पर भाई मत बोल।"
रेखा- थोडा झेंपकर "छि छि। आप कैसे बोलते हो मई क्यों काटने लगी आपका ल..ल..ल..लं.... (अपने शब्दों को बदलकर)आपका गला। और किसने कहा की अप मुझे बुरे लगते हो। वो तो आपको नाम से बुलाना कुछ अजीब लगता है।"
जाकिर- उसकी इस अदा पर घायल होकर सम्हलते हुए "आये हाय। मतलब तुझे अच्छा लगता हु मै। तुझपर तो अपनी जान सौ बार कुर्बान करू मेरी जान। बस भाई छोड़कर कुछ भी बोल ले।"
रेखा- थोडा सोचकर" उम्म्म्म्म... अच्छा तो मै आपको जाजी बोलूंगी। जाकिर का 'जा' और जी आपके आदर के लिए। ठीक है ना जाजी।"
जाकिर- खुश होकर "आये हाय। क़त्ल कर दिया तूने। चल अब जल्दी से दुल्हन का घुंघट खोल।" ललचाई नजरों से रेखा की दूध की थैलियों को देखकर कहता है।

रेखा- शरमाकर 5 सेकेंड नीचे नजरे झुकाकर हौले से "मेरा सब देख लेंगे और बदले में मुझे क्या मिलेगा।"
जाकिर- थोडा फुसलाते हुए "मेरी जान बस तू मेरा कहना मानती जा फिर देख तुझे कैसे जन्नत दिखाता हूँ। अगर ऐसा न हुआ तो मेरा नाम बदल देना।"
रेखा- कुछ कुछ शरमाते हुए "वो तो मै बदल ही चुकी हूँ। है ना जाजी। ही ही ही"
जाकिर- "जानेमन तू जो बोले सब मंजूर। तेरा गुलाम बन जाऊंगा। बस अब और ना तडपा।"
रेखा के मन में इस बात से अजीब उथल पुथल मच गयी थी। अब वो उस दोराहे पर आ खड़ी हुई थी जहाँ से एक रास्ता उसे अपनी उसी जिंदगी की तरफ ले जाता था जो वो कल तक जी रही थी। जहाँ उसका पति ही सब कुछ और उसकी सारी जरूरतों का एकमात्र साधन था। और दूसरा रास्ता जाता था रंगीन दुनिया की ओर जिसकी दहलीज पर वो खड़ी ही हुई थी और उसके रोम रोम में आनंद की लहरें दौड़ रही थी।
रेखा- उहापोह की स्थिति में नजरे झुकाए हुए "पर जाजी ये सही होगा। मै शादीशुदा हूँ और आपके दोस्त की पत्नी भी। अगर कुछ बदनामी हुई तो मै तो मर जाउंगी कुए में कूद के देख लेना।"

जाकिर- थोड़ी गंभीर आवाज बनाते हुए "देख तू कितनी अकेली है ये मई जानता हूँ। दीनदयाल की कितनी औकात है मर्दानगी में ये भी मुझे पता है। तू समंदर है हुस्न का और मै प्यासा। हम कुछ गलत नहीं कर रहे। और मै तुझे दीनू को छोड़ने नहीं कह रहा हूँ। तू उसी की पत्नी रह बस मेरी माशुका बन जा। रही बदनामी की बात तो ना किसी को मै बताने वाला हूँ न तू तो बदनामी का सवाल ही नहीं उठता।" आवाज और कठोर करते हुए "अब फैसला तेरा है कि तुझे मुझपर भरोसा है या नहीं।"
जाकिर का बोला गया आखिरी वाक्य उसकी खासियत थी। उसे पता था की औरतों को फ़साने की सबसे बेहतरीन चाले कैसे और कब चलनी हैं। उसने फंदा लगा दिया था अब शिकार के फसने का इंतजार था।

उसका आखिरी तीर बिलकुल सही निशाने पर लगा। अंतर्द्वंद से घिरी रेखा एक झटके से इस बात को सुनकर बाहर आ गयी। नजरें उठाकर उसने जाकिर की नजरो से भिड़ा दी कुछ 30 सेकण्ड यूँ ही नजरो की भाषा सुनने सुनाने के बाद रेखा ने उसकी नजरो में सीधे देखते देखते ही अपने दोनों हाथों को पीछे ले गयी और कुछ करने लगी। कुछ 5 सेकंड में ही उसने अपने हाथो को एक झटका सा देकर आगे किया और उसके साथ ही साथ झटके के साथ भारी भरकम बोझ को सम्हाल रहे ब्रा के स्ट्रेप्स ढीले पड़ गए और कंधो को झटककर रेखा ने उनको अपनी छाती से अलग करते हुए जाकिर की इस बात पर जैसे अर्पण ही कर दिया। अब भी उसकी नजरें सीधे जाकिर से भिड़ी हुई थी जिसके कारण वो भी अपनी नजरें नहीं हटा सकता था। मानो रेखा उसकी परीक्षा लेना चाह रही थी कि वो नजरें मिलाये रखता है या हसीं नजारे के लालच में जाता है।

जाकिर भी कच्चा खिलाडी नहीं था। उसे भी पता था कि कुछ मिनटों के उपवास करने पर अगर उम्र भर पकवान मिले तो उपवास कर लेना चाहिए। कुछ पलों तक जब उसकी नजरें न हटी तो रेखा ने नजरों से नीचे इशारा किया कि देख तो लो। तब उसने अपनी नजरें वहां से हटाकर नीचे लगाई और देखते ही वो तो होश ही खो बैठा। इतनी उम्र में उसने अनगिनत लड़कियों औरतों को अपने नीचे लेकर भोगा था अनगिनत स्तन देखे चुसे दबाये और सब कुछ किया था पर ये स्तन तो एकदम किसी चित्रकार की खुबसूरत रचना जान पड़ते थे। उसका हलक सूखने लगा ये नजारा देखने से। एकदम गोलाई लिए हुए दो मैदे के पिंड जैसे उसके सामने आ गए हो सोने पे सुहागा बिलकुल स्तनों के केंद्र से थोडा सा नीचे मोटे मोटे अंगूर के आकार के गुलाबी निप्पल और उनकी सीमा रेखांकित सी करते सिक्के के आकार के ऐरोला आअह्ह्ह ऐसा घातक नजारा देखने भर से उसके दिलो दिमाग में सैकड़ो सितार एक साथ बज उठे। उसे लगा जैसे यही बैठे बैठे ही उसका लंड गोले बरसा देगा और चड्डी फाड़के ये गोले सीधे उसकी नजरो के निशाने पर ही गिरेंगे। ऊपर से नीचे तक सिहरते हुए जाकिर दबी सी आवाज में आनंद की एक सिसकारी भरता है जिसे सुनकर रेखा फूली नहीं समाती। एक अप्रतिम सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति यौवना आज उत्तेजना के कारण एक अधेड़ बेडौल बदनाम बदसूरत मर्द की सिसकारी से इतनी खुश हो रही थी मानो उसे मिस वर्ल्ड का ख़िताब मिला हो।
 horseride  Cheeta    
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JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:11 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:13 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:15 PM
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RE: JISM by Riya jaan - by rabiakhan338 - 11-05-2020, 11:55 PM
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RE: JISM by Riya jaan - by raj500265 - 13-05-2020, 12:06 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Jakir bhai - 13-05-2020, 02:14 PM
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RE: JISM by Riya jaan - by Curiousbull - 22-05-2020, 02:33 AM
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RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:36 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:37 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:45 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:47 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:54 AM
RE: JISM by Riya jaan - by prenu4455 - 23-05-2020, 10:36 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 24-05-2020, 02:29 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Curiousbull - 24-05-2020, 04:39 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 25-05-2020, 01:39 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 27-05-2020, 01:44 AM
RE: JISM by Riya jaan - by playboy131 - 29-05-2020, 12:56 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Curiousbull - 29-05-2020, 01:42 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 30-05-2020, 02:14 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 30-05-2020, 02:05 PM
RE: JISM by Riya jaan - by doctor101 - 03-07-2020, 04:09 PM



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