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Adultery JISM by Riya jaan
#60
जमीन पर बैठते ही रेखा ने जाकिर की नजरों में देखा और अपना एक हाथ उसकी जांघों पर रखकर दुसरे हाथ से उसकी जांघो और आस पास के पसीने को पोछने लगी बीच बीच मे उसकी नजरे जाकिर से टकरा जाती तो वो जान बूझकर अपने दोनों हाथो से जांघों को दबा देती। अब तो जैसे जाकिर की उत्तेजना की बैटरी लगभग चरम तक चार्ज हो चुकी थी। अगर और कुछ देर ऐसा चलता तो वो रेखा के छुने से ही स्खलित हो जाता। जाकिर की चड्डी के अन्दर राकेट के बढ़ते साइज को देखकर रेखा ने भांप लिया की अब और छेड़ना ठीक नहीं और वो उठकर खड़ी हो गई। उठते हुए उसके ब्रा में कैद कबूतरों ने जाकिर की नजरों से गुटर गूं किया तो उसकी नजरे बस उन्ही से चिपक गयी। और पलक झपकते ही एक बार फिर रेखा पलंग रूपी स्टेज पर चढ़ कर खड़ी हो गयी।

उस 12X15 फिट के कमरे में अब दो विपरीत लिंग के प्राणी सिर्फ अपने अंतर्वस्त्रों में मौजूद अपनी उत्तेजना के चरम पर पहुच चुके थे।
" हाँ तो अब देखिये क्या है मेरा साइज़। ये ब्रा पेंटी थोड़ी ढीली है पर आप तो बड़े पारखी बनते हो न बताओ क्या है मेरा साइज़।" ऐसा कहते कहते रेखा मानो एक कुशल मॉडल की तरह घूम घूम कर उसे अपने बदन का हर एक कटाव हर एक उतार चढ़ाव दिखाने लगी। कभी वो अपना एक हाथ कमर में रखकर कमर लचका कर खड़ी हो जाती तो कभी दोनों हाथ सर पर रखकर अपने गुब्बारों को सामने की तरफ़ निकालकर अदा के साथ कमर को लचकाती।
जाकिर के तो मन में ये देखकर गाना बजने लगा-
जरा जरा टच मी टच मी टच मी
जरा जरा होल्ड मी होल्ड मी होल्ड मी
आखिर में तो रेखा एक अदा के साथ कमर लचकाते हुए मुड़ी और जाकिर की ओर पीठ करके खड़े खड़े ही ऐसे नीचे झुककर अपने घुटनों पर अपनी हथेलियों को रख कर लगभग 10 सेकण्ड के लिए इसी पोज में रुकी रही। ऐसा करने से उसके कातिल नितम्ब या जाकिर की भाषा में मतवाली गांड उभर कर जाकिर की चड्डी के रॉकेट को उसकी लैंडिंग की जगह का असल पता देने लगी।
कुछ पांच मिनट के इस फैशन शो के बाद एक हाथ कमर पर रखकर थोडा मटकाकर खड़ी होकर रेखा बोली " हाँ तो अब तो अपने सही माप देख लिया न। अब तो ला देंगे न मेरे लिए कपडे।"
जाकिर तो फैशन शो को और आगे देखना चाहता था इसीलिए उसने अपनी गर्दन न में हिलाकर कहना चाहा की वो ठीक से नहीं देख पाया।
जाकिर के इंकार में सर हिलाने पर रेखा ने सोचा की वो कपडे लाने से मना कर रहा है। "अरे आपने तो कहा कहा था की साइज़ देखकर कपडे ला देंगे। ये तो गलत बात है। आपसे नहीं तो अब और किससे बोलूं मै। प्लीज़ आप ही ला दीजिये ना।" रेखा बोली।
इस बार जाकिर ने हाँ में सर हिलाया। "ओफ्फो आप तो कभी हाँ बोले हैं कभी ना। मै तो कन्फयूस हो रही हूँ। मै आपके मुह की पट्टी भी हटाती हूँ पर आप बेवजह की बाते नहीं करेंगे। ठीक है।"

तुरंत रेखा उतारकर जाकिर के पीछे पहुची और उसके मुह पर बंधी चुनरी को खोलने लगी जो थोड़ी कसकर बंधी हुई थी। इस दौरान जाकिर ने उसकी खुशबु लेने के लिए सर थोडा पीछे किया तो उसका सर सीधा रेखा के गद्देदार गुब्बारों के मुलायम तकिये में टिक गया। एक हलकी सी आह रेखा के मुह से निकली पर उसने अपने को हटाने की कोई कोशिश नहीं की। आज पहली बार जाकिर को अफ़सोस हुआ की उसका मुह उसके सर के पीछे क्यूँ नहीं है।
मुह खुलते ही उसके मुह से एक चैन की लम्बी साँस निकली। "कितनी जालिम है तू। अगर मै मर जाता तो।" जाकिर थोडा शिकायती शरारती लहजे में बोला।
" मर जाते तो मै आपको किस करती जिससे आप वापस जिन्दा हो जाते।" इस शरारत के खेल में वो भी शामिल होती हुई बोली।
" अच्छा तो समझ मै मर चुका हूँ।" जाकिर अपने आधे उजड़े हुए सर से रेखा के स्तनों की मसाज करता हुआ बोला।
और कुछ ऐसा हुआ जिसकी न तो जाकिर ने कल्पना की थी न रेखा ने ऐसा कुछ सोचा था। बस उत्तेजना के वशीभूत होकर "अच्छा ऐसी बात है।" कहकर रेखा तुरंत आगे आई एक बार फिर जाकिर के जांघों पर बैठ गयी। और जाकिर के कुछ समझने के पहले ही रेखा ने एक हाथ से जाकिर के सर को पीछे से थामा और अपने दहकते कोयले जैसे सुर्ख लाल होठ उसके कोयले जैसे होठो पर रख दिए। "पुच्च्च्च्च्च" की एक लम्बी आवाज गुंजी और कुछ 5 सेकण्ड में ही रेखा जाकिर से अलग होकर खड़ी हो गयी। "लो कर दिया जिन्दा। हम मारना जानते हैं तो बचाना भी आता है हुजुर।"

एक बार तो जाकिर को यकीं ही नहीं हुआ जो कुछ भी हुआ था। वो तो बस आंखे फाड़े रेखा को घूर रहा था। फिर उसने अपने होठो पर जीभ फिराकर रेखा के होठो की मिठास समेटते हुए कहा "हाय मेरी जान ऐसी जिन्दगी के लिए तो हजार्रों बार मर जाऊं मैं। कसम से तूने आज मेरा दिल खुश कर दिया।"
रेखा- "अच्छा तो फिर खुश है तो मेरे कपड़ो के लिए क्या इरादा है आपका।"
जाकिर-"अरे तेरे कपडे इतने ढीले है की सिर्फ साइज का अंदाजा हुआ। माशाअल्लाह 36 है तेरी साइज़। पर कप साइज़ ऐसे नहीं पता चलेगा।"
रेखा-आंखे नचाते हुए"अरे तो अब मै आपके लिए इंच टेप कहाँ से लाऊं। मेरे घर पर तो नहीं है।"
जाकिर-अपना पासा फेकते हुए"उसके लिए तो एक ही तरीका है अब। मुझे अपने हाथो से मापना होगा।"
ऐसा बोलकर जाकिर रेखा के मनोभावों को पढने लगा की उसपर इस बात का क्या असर होता है।
रेखा-थोडा झिझककर"ह्ह्ह ह्हहाँथो से। हाय दैया। मम मै ऐसे कैसे.....। नहीं नहीं कोई दूसरा तरीका होगा ना।"
इतनी आसानी से रेखा अपने को जाकिर के हाथो में नहीं सौंपना चाहती थी। अभी ड्राइविंग सीट पर रेखा बैठी थी जिसमे उसे बड़ा मजा आ रहा था। वैसे भी महिलाओं को पुरुषो को इस तरह टीज़ करने में बड़ा मजा आता है और रेखा तो अपने कॉलेज के समय में इसमें चैंपियन थी।
जाकिर- विचार की मुद्रा बनाते हुए"और कोई तरीका....! म्मम्म....। और तो कोई तरीका मुझे समझ नहीं आता। इन कपड़ो की वजह से ठीक से दिख भी तो नहीं रहे है तेरे बोबे कि मै अंदाजा ही लगा लेता।"

रेखा-थोडा आँखों में चमक के साथ "अरे हाँ। आप तो वैसे भी इतने माहिर हो कि देखकर ही अंदाजा लगा लिया साइज़ का तो कप का भी अंदाजा तो लगा ही लोगे। रही बात साफ दिखने की तो वो अड़चन मै दूर किये देती हूँ।"
इतना बोलते ही फिर से रेखा पलंग आर चढ़ी। जाकिर की आँखों में एक बार देखा और बोली "आंखे बंद कीजिये।"
जाकिर एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह तुरंत आंखे बंद कर लेता है। लगभग 2 मिनट की शांति के बाद रेखा की आवाज आती है "अब आप धीरे धीरे खोल सकते हैं आंखे।"जाकिर आंखे खोलता है तो सामने रेखा उसकी ओर पीठ किये खड़ी थी और अब तक उसकी चन्दन जैसी चिकनी काया में अवरोध बनने वाली ब्रा उसके शरीर पर नहीं थी। उसकी संगमरमर जैसी सफ़ेद चमकदार चिकनी पीठ जाकिर के सामने बिलकुल नंगी थी। बदन में हलकी कंपकपाहट और गहरी साँस के कारण उसका उजला पृष्ठभाग किसी अप्सरा का ही जान पड़ता था।
जाकिर-दिल की तेज धडकनों को सँभालते हुए लम्बी साँस लेता हुआ"आअह्ह मेरी जलेबी। तेरे तो रोम रोम से रस टपकता है। साले उस दीनदयाल ने क्या पुण्य किये थे पिछले जनम में जो उस लंगूर को ये अंगूर मिला है। क़यामत है तू तो सच में।"
रेखा-कुछ शरमाते और अपनी तारीफ सुनकर खुश होते हुए"बस बस। इसी लिए आपका मुह बंद किया था मैंने। आप ये मक्खन लगाना बंद कीजिये और आपसे जो कहा है वो कीजिये ना।"

जाकिर-कमीनो की तरह अपने दांत दिखाते हुए"तू भी न सच में भोली है एकदम। अरे मेरी छम्मकछल्लो जिस चीज का अंदाजा लगाना है वो तेरी छाती में लटके हैं पीठ में नहीं। हाहा.. हा... हा.... हाहा... हाहा।" (एक जोरदार ठहाका लगाता है।)
रेखा-अपने आप पर मन ही मन हँसते हुए"हां हां पता है मुझे भी। मई तो इस तरफ इसलिए मुड़ गयी की कहीं आप बेहोश ही न हो जाओ कहीं नजारा देखके। ही.. ही.. ही...।"
जाकिर-अभी भी कमीनों की तरह दांत दिखाते हुए "अरे जानेमन। बेहोश हो भी गया तो तुझे तो मुझे होश में लाना आता ही है न। चल अब जल्दी से अपने खजाने को इस दीवाने की नजरों के सामने तो कर। कब से तेरे इन बोबो पे आंखे सेकने को मरा जा रहा हूँ मै।"
जाकिर की इन बातों को सुनकर रेखा की सांसे थोड़ी और तेज हो गयी। आखिरकार वो समय आ ही गया जब उसके बदन के पासपोर्ट पर जाकिर का भी वीजा लगने वाला था और उसीके लिए अब वो इसे जाकिर के सामने परोसने जा रही थी। रेखा पलक झपकते ही आगे घूम गयी और उतनी ही तेजी से अपने स्तनों को हाथो से ढक लिया। जाकिर की तो बुद्धि ही काम करना बंद कर चुकी थी इस दृश्य से। एक अल्हड मदमस्त औरत उसके सामने सिर्फ एक पेंटी पहने अपने स्तनों को हाथो से छुपाये खड़ी थी। हाथ भी बेचारे जैसे इतने बड़े क्षेत्रफ़ल को ढँक नहीं पा रहे थे जिससे उसका लगभग 80% स्तनों का जोड़ा जाकिर की भूखी नजरो की दावत बन चूका था।
 horseride  Cheeta    
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JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:11 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:13 PM
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RE: JISM by Riya jaan - by rabiakhan338 - 11-05-2020, 11:55 PM
RE: JISM by Riya jaan - by BHOG LO - 12-05-2020, 12:58 AM
RE: JISM by Riya jaan - by raj500265 - 13-05-2020, 12:06 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Jakir bhai - 13-05-2020, 02:14 PM
RE: JISM by Riya jaan - by vat69addict - 13-05-2020, 02:57 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 13-05-2020, 04:51 PM
RE: JISM by Riya jaan - by yogita9 - 13-05-2020, 11:07 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 14-05-2020, 09:09 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Jakir bhai - 15-05-2020, 12:44 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 15-05-2020, 04:41 PM
RE: JISM by Riya jaan - by BHOG LO - 15-05-2020, 04:42 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 15-05-2020, 04:55 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 15-05-2020, 10:10 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 18-05-2020, 01:54 AM
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RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 01:36 PM
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RE: JISM by Riya jaan - by Curiousbull - 22-05-2020, 02:33 AM
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RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:34 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:34 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:35 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:36 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:37 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:45 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:47 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:54 AM
RE: JISM by Riya jaan - by prenu4455 - 23-05-2020, 10:36 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 24-05-2020, 02:29 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Curiousbull - 24-05-2020, 04:39 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 25-05-2020, 01:39 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 27-05-2020, 01:44 AM
RE: JISM by Riya jaan - by playboy131 - 29-05-2020, 12:56 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Curiousbull - 29-05-2020, 01:42 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 30-05-2020, 02:14 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 30-05-2020, 02:05 PM
RE: JISM by Riya jaan - by doctor101 - 03-07-2020, 04:09 PM



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