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Adultery JISM by Riya jaan
#57
निगाहों ही निगाहों में रेखा ने अलमारी के पास पड़ी कुर्सी की ओर इशारा किया और जाकिर किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह सर झुकाए उस पर बैठ गया। बैठते ही उसने ज्यो ही रेखा की ओर देखा तो उसे अपनी ओर ही देखता पाकर उसके पैरों के नाख़ून से लेकर उसके सर तक एक सिहरन सी दौड़ उठी। अपनी दोनों भौहों को उचकाकर उसने सवाल सा किया कि बात क्या है वो बताओ। रेखा उसके सवाल पर मुस्कुराई, पर उसकी आँखों में वो चमक सी आई जैसी की एक शेरनी की आंखे किसी हिरन को देखकर चमक उठती हैं।
"व्वो... क्या है न कि.....।" एक झिझक के साथ रेखा कोयल बनकर उस कमरे में कूकी। ""आज सुबह मैंने उनसे कहा था कि....(और रेखा ने उसके और दीनदयाल के बीच हुई बाते विस्तार से बताई)।" और जैसे जैसे उसकी बाते पूरी होती जा रही थी रेखा का कांफिडेंस और जाकिर का हवस का बुखार बढ़ता ही जा रहा था। "तो बताइए आप मेरे लिए लायेंगे न वो कपडे।" अपनी बात ख़त्म करते ही जाकिर की ओर सवालो की तोप चलाकर वो जवाबी कारवाही का इंतजार करने लगी।

"ले बस इतनी सी बात। अरे मेरी फुलझड़ी तेरे लिए तो जान भी हाजिर है और ये बात तो तू मुझे सुबह बता चुकी है फोन पर।" जाकिर अपने आप को थोडा संभालता हुआ बोला। "चल बता तेरा साइज़ क्या है।"
इस सवाल ने रेखा को स्वप्नलोक के बादलों से सीधे यथार्थ के धरातल पे ला पटका। घर में अकेली एक शादीशुदा औरत, अपने ही बेडरूम में, एक ऐसे मर्द के साथ जो कि पुरे गाँव का सबसे बदनाम मर्द हो और वो उससे उसके अंतर्वस्त्रों की माप पुछ रहा है। सामान्य स्थिति में तो ऐसा होने पर महिला चीखने लगती या उस मर्द को भला बुरा सुनाने लगती। पर यहाँ तो रेखा के भी जिस्म में आग फिर से भड़क उठी थी, जिसे उसने शादी के बाद से दबा रखा था।
"साइज का तो पता नहीं, मै तो अंदाज से ले आती हूँ।" खेल को और दिलचस्प बनाने के लिए उसने झूट कहा,"दुकानदार तो आप है आप ही बताइए न।" खुला आमंत्रण देकर वो उसके आँखों में देखने लगी और जाकिर के अगले वाक्य का इंतजार करने लगी।
"ऐसे कैसे बता सकता हूँ? दुकानदार हूँ, जादूगर थोड़े ही हूँ। और वैसे भी, मेरे पास इंच टेप थोड़े ही है, जो मै मापकर बता सकूँ। तेरे पुराने कपडे ले आ, उससे मै मापकर लेता आऊंगा।" जाकिर भी रेखा को तरसाकर उसे पूरा बेशर्म बनाना चाहता था। "हो सकता है तेरे उन पुराने कपड़ो पर माप ही लिखी हो।"

"ओफ़्फ़्फ़ो...आप भी न। वो...वो कपडे तो इतने पुराने हैं कि ख़राब हो गए है पूरे।"बात को हाथ से फिसलता देख रेखा झुंझलाते हुए बोली। "और वैसे भी एक भी फिट नहीं आता मुझे, या तो बहुत टाईट है, या एकदम ढीला। कैसे दुकानदार हो आप, देखकर माप भी नहीं बता सकते। हुंह...।"
"बता तो सकता हूँ, पर उसके लिए तुझे अपनी ये साड़ी, ब्लाउस और साया उतारकर सिर्फ अपने कच्छे बनियान में आना पड़ेगा, तभी बात बन सकती है।" आख़िरकार जाकिर ने अपने तुरुप का बादशाह फेककर महफ़िल में आग ही लगा दी। "बोल, है मंजूर मेरी मलाई बर्फी।"
"व्वो... वो ऐसा कैसे...।" रेखा ने कुछ झिझकते हुए अपनी बात कहने की कोशिश की। जाकिर को लग रहा था कि शिकार को उसने जाल में फसा ही लियाआखिरकार, पर यहाँ तो दरअसल शिकार जाकिर था, जो कि रेखा के सोचे समझे शब्द ही बोल रहा था और वो जो चाहती थी, वही कर भी रहा था।
"ठीक है। पर मेरी भी एक शर्त है। पहली बात तो ये कि उसे कच्छा बनियान नहीं ब्रा पेंटी कहते हैं। और मेरी शर्त ये है कि आपको सिर्फ देखकर ही बताना होगा, अपनी जगह से आप उठेंगे भी नहीं।"रेखा ने आखिर जाकिर के तुरुप के बादशाह पर अपना इक्का जड़ते हुए बाज़ी अपने नाम कर ली।"बोलिए है मंजूर।"t


भला इस वक़्त किस माई के लाल में इतना दम होगा की वो हुस्न की मलिका के कहे को ठुकरा दे। "मुझे मंजूर है मेरी जान, मै देखकर ही बता दूंगा। वैसे भी, इतने दिनों से ये काम कर रहा हूँ, अब इतना तो देखकर ही बता सकता हूँ।" जाकिर डींगे मारता हुआ अपने फेके जाल को समेटने लगा।
पर यहाँ तो मछली इतनी आसानी से उसके हाथ नहीं आने वाली थी। रेखा के शातिर दिमाग में कई खेल चल रहे थे। आखिर शहर की पढ़ी लिखी लड़की, वो भी हुस्न की दौलत से मालामाल, अगर इस तरह से लुटने लगे, तो हुस्न की कीमत ही क्या रह जाएगी।
"आsssहहाहाहाsssss....! बड़े आये तीस मार खान। लगता है बस इन्ही चीजों का माप लेते रहते हैं आप।" रेखा छेड़ते हुए बोली, "मुझे आप पर यकीन नहीं, आप शरारत जरुर करेंगे। पर इसका इलाज भी है मेरे पास।"
इतना कहते ही रेखा ने जाकिर को पीछे धक्का दिया और उसके कुछ समझने के पहले ही वो पीछे पड़ी कुर्सी पर धम्म की आवाज के साथ बैठ चूका था। उसने जैसे ही कुछ पूछना चाहा रेखा ने झुककर अपनी ऊँगली उसके होठों पर रखकर चुप रहने का इशारा किया। एक तो रेखा के जिस्म की भीनी सुगंध, दूसरा उसकी नाजुक मलाई कुल्फी की तरह उँगलियों का होठो पर स्पर्श, और उस पर सबसे बड़ा झटका ,झुकने के कारण उसके उरोजों के अन्दर बनी पतली लाइन का नजारा, जाकिर को तो मानो किसी डॉक्टर ने अनास्थिसिया दे दिया, ऐसे सुध बुध खो चूका था।
कुछ पलों में जब उसे थोडा होश आया तो उसके हाथ कुर्सी के दोनों हैण्डलों पर उसके पैर कुर्सी के पायों के साथ और उसकी कमर कुर्सी के पिछले हिस्से के साथ रेखा एक मजबूत साड़ी से कस के बांध चुकी थी।
"ये सब क्या है।" जाकिर छटपटाते हुए हाथ पैरों को झटककर खोलने की कोशिश करने लगा पर सब नाकाम। "उफ्फ्फ ऐसे क्यों बांधा है मुझे, मैंने तुझे वादा तो किया था की मै सिर्फ देखूंगा। खोल दे ना, मेरी रानी।"

"देख तो अभी भी सकते हो, पर मुझे आप पर यकीन नहीं था इसीलिए ऐसा किया। आपको मंजूर नहीं तो बता दो।" रेखा ने आवाज में कुछ भारीपन लेट हुए कहा जिससे की जाकिर उसकी मुठ्ठी में आ जाये।
अच्छा बाबा अच्छा। जैसी तेरी मर्जी।" अपने हाथियार डालते हुए उसने रेखा से कहा। "अब जल्दी कर वरना फिर तेरे खसम के आने का समय हो जायेगा तो मुझे मत कहना।"
"अभी एक चीज और बची है।" कहते हुए रेखा जाकिर के पीछे आई। जाकिर सोचता ही रह गया की अब ये क्या करने वाली है तभी एक काले रंग की चुनरी सीधे उसके आँखों के ऊपर कसती चली गयी।
"अरेरेरेरेरेरेरे.....! ये क्या है अब। देखने की तो बात हुई थी ना। देखूंगा नहीं तो तेरी माप क्या सूंघकर बताऊंगा।" अब तो जाकिर झुंझला ही उठा। उसकी मजे की आखरी उम्मीद की दुकान भी रेखा बन्द कर चुकी थी।
तभी उसके कानो में मिश्री घोलती आवाज गूंजी।"सबर कीजिये। सबर का फल मीठा ही होता है।"
 horseride  Cheeta    
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JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:11 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:13 PM
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RE: JISM by Riya jaan - by Curiousbull - 22-05-2020, 02:33 AM
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RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:34 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:35 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:36 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:37 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:45 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:47 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:54 AM
RE: JISM by Riya jaan - by prenu4455 - 23-05-2020, 10:36 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 24-05-2020, 02:29 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Curiousbull - 24-05-2020, 04:39 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 25-05-2020, 01:39 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 27-05-2020, 01:44 AM
RE: JISM by Riya jaan - by playboy131 - 29-05-2020, 12:56 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Curiousbull - 29-05-2020, 01:42 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 30-05-2020, 02:14 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 30-05-2020, 02:05 PM
RE: JISM by Riya jaan - by doctor101 - 03-07-2020, 04:09 PM



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