Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery JISM by Riya jaan
#48
आवाज कान में पड़ते ही दोनों के चेहरे सफ़ेद पड़ गए और सेकेंड के दसवें हिस्से में ही दोनों एक दुसरे से अलग होकर दूर दूर खड़े हो गए। रेखा ने डरते हुए जाकिर की तरफ देखा तो उसकी भी हालत भीगी बिल्ली जैसी हो रही थी। तुरंत ही जाकिर ने ऊपर से निचे तक एक नजर रेखा पर डाली मानो वो उसके रूप के खजाने से जितना हो सके उतना माल अपनी आँखों में भरकर ले जाना चाहता हो, और तुरंत ही अपने घर की बालकनी की दिवार पर चढ़कर नज़रों से ओझल हो गया। ये सब कुछ कुल 30 सेकेंड में ही हो गया। अब हालत के मैदाने जंग में रेखा अकेली ही खड़ी थी वो भी बिना जाने कि सीढ़ियो पर आफत का कौन सा दुश्मन दस्तक दे रहा है। थोड़ी देर तक कुछ हलचल न होने पर हिम्मत जूता कर रेखा ने धीरे धीरे सीढ़ियो की तरफ कदम बढ़ाने शुरू किये। हर एक कदम के साथ उसका दिल दुगनी तेजी से धडकने लगता। मन ही मन वो खुद को कोस भी रही थी कि क्यू वो ऐसे कामो में पड़ी वो भी भरी दोपहर में खुलेआम छत पर। सीढ़ी तक आते आते दिल इतनी जोर से धड़क रहा था कि उसे पूरी छत ही धड़कन के साथ कांपती महसूस हो रही थी। पता नहीं मन में अपने को धीरज देते हुए वो कैसे हिम्मत जुटा पाई और सीढ़ी वाले कमरे के दरवाजे से एक आंख से झांकते हुए जायजा लेने लगी। पर ये क्या यहाँ तो कोई नहीं दिखा। रेखा की धडकने थोड़ी संभली और उसने अपने कदम आगे बढ़ाकर खुद को सीढी वाले कमरे के बीचोबीच ल खड़ा किया।अब उसे पूरा कमरा और निचे तक जाती सीढिया साफ दिख रही थी जहाँ कोई नहीं था। जैसे ही उसने कदम सीढी से उतरने के लिए आगे बढाया "फ़र्र्र्र्र्र् फड़ फड़ फुर्रर्रर्" की तेज आवाज के साथ कबूतर का एक जोड़ा रोशनदान से उड़ता हुआ बाहर चला गया।

"धत्त तेरी की, इन कबूतरो ने अपनी चोंच लड़ाने के लिए दुसरो को डराना भी शुरू कर दिया।" चैन की साँस लेते हुए रेखा मन ही मन बड़बड़ाई और धीरे धीरे सीढिया उतरकर अपने घर का लम्बा आंगन पार करते हुए बरामदे में पड़ी कुर्सी पर ऐसे बैठी जैसे उसे कई बरसों बाद बैठना नसीब हुआ हो। सुकून के 5 मिनट भी नहीं बीते होंगे की दरवाजे पर दस्तक हुई जिसे देखने रेखा दरवाजे की और बढ़ चली।

उधर जाकिर बाल्कनी से लगे हुए अपने कमरे में अन्दर आकर अपनी बढ़ी हुई धडकनों को शांत करने लगा। उसका कमरा क्या था बस एक 10x14 का कबाडखाना था। पुरे कमरे में यहाँ वहां चीजे पड़ी हुई थी जो कब से पड़ी थी और किस काम की थी ये खुद घर के मालिक को भी नहीं पता था। दीवारों पर जगह जगह उखड़ती रंगाई ने कमरे को और गन्दा रूप दे दिया था। ऊपर छत से लटकता पंखा इतना पुराना दिख रहा था की उस पर जमने से पहले धूल भी ये सोचे की कही वो गन्दी न हो जाये। पंखे के ठीक निचे एक लकड़ी का डबल बेड का पलंग उसके पास रखी दराज वाली टेबल और उस पर रखा टेलीफोन कमरे की चुनिन्दा इस्तमाल हो सकने वाली चीजो में थे। खासकर पलंग पर बिछी सफ़ेद चादर और दो बड़े बड़े सफ़ेद कवर चड़े तकिये उसे कबाड़ख़ाने के बीच ऐसा बना रहे थे मानो अफ्रीकन देश में कोई गोरा अन्ग्रेज घुमने आया हो।

अन्दर आते ही पंखा चालू करके जाकिर ने धम्म से अपना शरीर पलंग पर पेट के बल पटक दिया जिसके वजन से पलंग भी किर्र्र्र्र्र्र् की आवाज के साथ कराहे बिना नहीं रह सका। हाथ आगे बढाकर उसने जैसे ही तकिये को खीचने के लिए दबोचा, उसकी नर्माहट से उसे रेखा के स्तन की नरमी याद आ गयी। "आह, साली के मम्मे है की रुई के ढेर हैं। इतने बड़े और कसे होने पर भी इतने नरम।" याद करते ही उसके शरीर में आनंद की एक लहर दौड़ गयी।और वो दोनों हाथ आगे बढाकर तकिये को यूँ मसलने लगा मानो वो रेखा के स्तन हो। उत्तेजना बढ़ने के साथ उसके शरीर का सारा खून उसके लिंग की और बढ़ने लगा जिससे लिंग पूरा अकड़ कर उसके पेट के निचले भाग और बिस्तर के बीच फड़फड़ाने लगा। जाकिर के आनंद की मात्रा दोगुनी हो गयी। आंखे बंद करके वो अब भी रेखा का हाथ अपने बगीचे के इकलौते पेड़ पर महसूस कर रहा था। "आह, साली क्या चीज है तू भी। एक दिन इसी पलंग पर तुझे न लिटाया तो मेरा नाम जाकिर नहीं। बहुत जल्द इस पलंग पर मेरे और बिस्तर के बीच तू होगी और मेरा लंड तेरी चूत में और तेरा पपीता मेरे मुह में होगा। स्साला, कब आयेगा वो दिन? आयेगा जाकिर। बहुत जल्द आयगा। पर तू ऐसे ही पड़ा बिस्तर की ऐसी तैसी करता रहा तो कुछ नहीं होगा।। कुछ कर।" खुद से ही सवाल जवाब करने के बाद पता नहीं क्या सोचकर वो उठा और एक लम्बी साँस लेकर फोन पर नंबर लगाने लगा।

उधर दरवाजे की दस्तक सुनकर रेखा सोच में पड़ गयी। "इस समय कौन आया होगा? अभी तो इनको आने में बहुत समय है। इस वक़्त तो कोई आता भी नहीं। कहीं जाकिर भाई तो नहीं आ गये फिर से? नहीं नहीं, अभी तो उनको समझाया था और उन्होंने वादा भी किया था कि मुझे खामखा परेशान नहीं करेंगे। वो मेरी बात नहीं टालेंगे।" इनही सवाल जवाबो को मन में टटोलते हुए रेखा दरवाजे पर पहुंची। कुण्डी खोलकर जैसे ही किवाड़ खोला तो सामने एक सफ़ेद झक्क धोती कुरता पहने बुजुर्ग पर उसकी नजर पड़ी जो किवाड़ खुलते ही रेखा को ऐसे मुह फाड़े देख रहा था जैसे कई दिनों से भूखा इन्सान मिठाई की दुकान में खोए की बर्फी को देखता है।
"जी कहिए, किससे मिलना है आपको।" रेखा ने उस बुजुर्ग के सपनो के शीशे पर अपनी मीठी आवाज की मिश्री की डल्ली मारकर उसे हकीकत में ला पहुचाया।
"द...द...द...दीनू है?" उस दादाजी टाइप व्यक्ति में मुह से येही निकल पाया।
"दीनू? माफ़ कीजियेगा चाचाजी, यहाँ तो कोई दीनू नहीं रहता। आपको कहाँ जाना है ठीक से पता तो है न?" रेखा कुछ आश्चर्य मिश्रित सवाल करते हुए बुजुर्ग को उपर से निचे ताड़ने लगी।
"दीनू .......,दीन दयाल...। वो यहीं तो रहता था, ये घर उसी का तो था।" उस बूढ़े ने कुछ खीजते हुए कहा जैसे रेखा जान बुझकर उसे गलत बता रही हो।
ओह्ह्ह....। तो आप इनकी बात कर रहे हैं। दीन दयाल तो मेरे पति हैं और ये घर अब भी उन्ही का, मतलब हमारा ही है।" रेखा ने झिझक के साथ सफाई दी। "पर माफ़ किजिएगा, मैंने आपको पहचाना नहीं और इनसे क्या काम है आपको?" रेखा ने सवालो की गेंद बूढ़े के पाले में डालते हुए कहा।
"अरे अरे,तू तो दीनू की बहुरिया है। मै मदनलाल हूँ बहू,दीनू के बाप मुरली का दोस्त। अजी दोस्त क्या भाई ही कहो। सामने वाली गली में ही रहता हूँ। पिछले दो साल से पहाडियों में जाकर योगाभ्यास सिख रहा था,अब मेरी संगत का तो कोई बचा नहीं गाँव में। आज ही लौटा, तो दीनू से मिलने चला आया। बचपन में उसे उसके घरवालों ने जितना नहीं खिलाया होगा,उतना मैंने अकेले खिलाया और घुमाया है वो भी अपने इन्ही कंधो में बैठाकर।" बूढ़े ने अपना परिचय कंधे उचकाते हुए समाप्त किया।
 horseride  Cheeta    
Like Reply


Messages In This Thread
JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:11 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:13 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:15 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:15 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:18 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:19 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:20 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:28 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 11-05-2020, 09:28 PM
RE: JISM by Riya jaan - by rabiakhan338 - 11-05-2020, 11:55 PM
RE: JISM by Riya jaan - by BHOG LO - 12-05-2020, 12:58 AM
RE: JISM by Riya jaan - by raj500265 - 13-05-2020, 12:06 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Jakir bhai - 13-05-2020, 02:14 PM
RE: JISM by Riya jaan - by vat69addict - 13-05-2020, 02:57 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 13-05-2020, 04:51 PM
RE: JISM by Riya jaan - by yogita9 - 13-05-2020, 11:07 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 14-05-2020, 09:09 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Jakir bhai - 15-05-2020, 12:44 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 15-05-2020, 04:41 PM
RE: JISM by Riya jaan - by BHOG LO - 15-05-2020, 04:42 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 15-05-2020, 04:55 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 15-05-2020, 10:10 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 18-05-2020, 01:54 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 18-05-2020, 07:03 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 18-05-2020, 07:04 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 18-05-2020, 07:05 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 18-05-2020, 07:08 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 18-05-2020, 07:11 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 18-05-2020, 07:19 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 18-05-2020, 07:22 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 18-05-2020, 07:24 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 18-05-2020, 07:25 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 18-05-2020, 07:27 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 18-05-2020, 07:28 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 20-05-2020, 02:30 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 20-05-2020, 01:06 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 20-05-2020, 01:08 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 20-05-2020, 01:16 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 20-05-2020, 01:26 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 20-05-2020, 01:27 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 20-05-2020, 01:27 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 21-05-2020, 02:08 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Curiousbull - 21-05-2020, 02:16 AM
RE: JISM by Riya jaan - by doctor101 - 21-05-2020, 02:55 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:16 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:20 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:21 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:22 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:22 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:24 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:25 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:26 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:27 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:30 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:31 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:32 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:33 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:35 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:35 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:40 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 12:41 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 01:15 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 01:16 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 01:17 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 01:17 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 01:26 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 01:31 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 01:32 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 01:35 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 01:36 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 01:37 PM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 21-05-2020, 01:38 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Curiousbull - 22-05-2020, 02:33 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:31 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:32 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:34 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:34 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:35 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:36 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:37 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:45 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:47 AM
RE: JISM by Riya jaan - by sarit11 - 22-05-2020, 06:54 AM
RE: JISM by Riya jaan - by prenu4455 - 23-05-2020, 10:36 PM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 24-05-2020, 02:29 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Curiousbull - 24-05-2020, 04:39 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 25-05-2020, 01:39 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 27-05-2020, 01:44 AM
RE: JISM by Riya jaan - by playboy131 - 29-05-2020, 12:56 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Curiousbull - 29-05-2020, 01:42 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 30-05-2020, 02:14 AM
RE: JISM by Riya jaan - by Sumit1234 - 30-05-2020, 02:05 PM
RE: JISM by Riya jaan - by doctor101 - 03-07-2020, 04:09 PM



Users browsing this thread: 8 Guest(s)