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एक दिन अचानक
#17
मै उसके चूतड पर सहला रहा था, उन्हें दबा रहा था. फ़िर दोनों चूतड को दो हाथ से फैलाया.. ओह्ह उसकी गांड भी एकदम गुलाबी थी और चूतडों के बहुत अन्दर की तरफ़ याने गहराई में थी. एकदम नाज़ुक सी गुलाबी गांडमै गांड का शौकीन नही हूँ.. लेकिन ऐसी मतवाली गांड देख कर मेरा लंड अपनी आदत बदलने के लिए तैयार हो गया. मैंने उसकी गांड में एक ऊँगली डालने की कोशिश की.. वो चिहुंक उठी.. मैंने गांड फैला कर उसके होल में थूका और ऊँगली को घुमाते हुए धीरे धीरे ऊँगली अन्दर करने लगा. आधी ऊँगली अन्दर जाते ही उसने कहा.."संजय वहाँ नही प्लीज़.. बहुत दर्द होगा.. " मैंने पूंछा कभी ट्राय किया है?" उसने कहा हाँ मेरे पति ने एक बार किया था लेकिन बहुत दर्द की वजह से हमने फ़िर नही किया.. और उनका ज्यादा सख्त नही था इसलिए अन्दर भी नही गया." मैंने उससे कहा मै भी ट्राय करता हूँ.. " उसने कहा "नही.. प्लीज़.. तुम्हारा तो बहुत मोटा और लंबा है.. और ये सख्त भी है.. ये तो फाड़ कर अन्दर घुस जाएगा." मैंने कहा मै धीरे धीरे करूँगा.." कह कर मै किचेन में गया और वहां से बटर ले कर आया. मैंने उसकी गांड पर और मेरे लंड पर बहुत सारा बटर लगाया. फ़िर उसके चून्चियों पर भी लगाया और उन्हें चूसना शुरू किया.. उसे मैंने एक चेयर पर बिठाया.. उसके पैर ऊपर मेरे कंधे पर लिए और मै उसके सामने पंजो के बल बैठा..उसकी चूत कर भी बटर लगाया और उसे चाटने लगा. उसके चूत के दाने को मुंह में लेकर जैसे ही मैंने चुसना शुरू किया उसकी चूत से पानी निकलने लगा.. बटर और उसका पानी दोनों मै जीभ से चाट रहा था.. और ऐसा करते हुए मै एक ऊँगली उसकी गांड में डाल रहा था.. बटर लगा होने से अब ऊँगली आराम से अन्दर बाहर हो रही थी. मैंने फ़िर दो ऊँगली अन्दर डाली.. और गांड के छेद को बड़ा करने के लिए गोल गोल घुमाने लगा.. इस तरह रागिनी की चूत और गांड दोनों जगह एक साथ मै गरम कर रहा था.. मेरे होंठो में उसकी चूत का दाना था.. जिसे मै बहुत तेज़ी से चूस रहा था.. उसने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चूत पर दबा लिया और.."आह..संजय..गयी..मै..गयीई..आह..आह्ह.. जोर से.. ओह्ह ऐसे मत चुसो.. मेरा.. हो जाएगा....ओह्ह..ओह्ह.. सं..ज..ज..य..य.य.य... आ..आ.आ...आ.आह्ह..गयी..ई.ई.ई.ई.ई.ई.ई.ई..स्..स् स्.स्.स्.स्. " करते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया..मैंने अपनी जीभ उसी चूत पर फेरते हुए गांड से ऊँगली निकाल ली और फ़िर उसकी चूत का पानी उसकी गांड पर लगाने लगा.. मेरा लंड तो फ़िर से खंभे जैसा खड़ा हो चुका था.. मैंने खड़े होते हुए अपना लंड उसके मुंह के पास दिया.. उसने बटर लगे लंड को दोनों हाथों से पकड़ा और अपना मुंह खोल कर अन्दर ले लिया .. पूरे लंड को उसने चाटा. फ़िर से बटर लगाया.. मैंने उसे खड़ा किया और बेड पकड़ कर .झुकाया..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: एक दिन अचानक - by neerathemall - 22-02-2019, 12:30 AM



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