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एक दिन अचानक
#11
मै झुका और मैंने उसके गुलाबी चूत पर फ़िर से अपने होंठ रख दिए.. इतनी प्यारी चूत मैंने आज तक नही देखि थी. मैंने अब तक 8-10 कुंवारी चूतों की सील भी तोडी है और शादी शुदा की तो गिनती ही मुझे याद नही.. लेकिन रागिनी की चूत सबसे अलग थी.. दो बच्चों की माँ की चूत इतनी प्यारी.. मुझे पुरा विश्वास था की इसकी चूत चोदने में किसी कुंवारी चूत से कम मजा नही आएगा... मैंने उसके पैर फैलाये और नीचे अपने पंजों पर बैठ कर उसके जांघ मेरे कंधे पर रखते हुए अपनी जीभ फ़िर से उसकी रसीली चूत में लगा दी.. स्लर.र.र.प.प.प. . स्लर.र.र.प.प.प की आवाज़ करते हुए मै उसके बहते हुए नमकीन पानी को चूसते हुए मेरी जीभ की नोंक उसकी चूत में गोल गोल फिरते हुए मथने लगा. रागिनी अब बहुत गरम हो रही थी.. अपनी चूत को मेरी जीभ से एकदम चिपका रही थी.. ३-४ मिनट बाद वो चिल्लाई.. ओह्ह.ह.ह.ह. सं.ज ज ज य य य य ...ओह्ह..माँ.. तुम सच में बहुत सेक्सी हो.. संगीता.. किस्मत वाली है.. आह्ह.. अब.. डाल दो...ओ.ओ. . और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी.. मैंने पूंछा क्या डाल दूँ..? उसने कहा " मत सताओ.. मै जल रही हूँ.. तुम्हारा ये डाल दो मेरी वाली में.." मै अब उसे तडपाना चाहता था.. मैंने कहा "किसमे क्या डालना है उसका नाम बोलो ना?".. उसने कहा.. " मुझे शर्म आती है.. मेरे मुंह से गन्दी बात मत कहलवाओ." मैंने कहा "ये गन्दी बात है? तुम जब तक नही कहोगी मै कुछ नही करूँगा.. और मै ऊँगली से उसकी चूत के उभर ए दाने को दबाते हुए रगड़ने लगा..चूत फड़कने लगी थी.. मैंने ऊँगली अन्दर डाली और उसकी चूत के अन्दर का g-स्पॉट को ढूंढ कर उसे कुरेदा.. रागिनी अब रुक नही सकती थी..उसने चीखते हुए कहा..सं..ज.ज.ज.य.य.य... मुझे मा..र..डा.लो..गे..क्या..आ..आ.आ..... करो ना.. मैंने कहा तुम बोलो जल्दी से.. अब मैंने खड़े हो कर लंड को अपने हाथ में पकड़ा और .सुपाडे को सहलाते हुए मसलने लगा.. उसने अपने पैर फैलाते हुए चूत का मुंह खोला.. लेकिन मै खड़ा रहा.."क्या हुआ" उसने पूंछा. मैंने कहा तुम कहो ना.. अब उसने कहा.. तुम्हारा लंड मेरी चूत में डालो और चोदो मुझे..उसका इतना कहना था की मैंने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और २-३ बार ऊपर नीचे रगडा और छोटे से लाल सुराख़ पर रखा.. उसकी चूंचियों को एक हाथ से सहलाते हुए मैंने हल्का सा लंड को अन्दर दबाया.उसने अपने पैरों को थोड़ा और फैला दिया ताकि मेरा मोटा लंड अन्दर जा सके.. लेकिन सुपाड़ा चूत के गीलेपन से अन्दर फिसल कर फंस गया.. उसकी चूत मुझे बहुत कसी हुई लगी..मैंने जैसे ही मेरे कमर को सख्त करके और अन्दर दबाया तो वो हलके से चीख उठी.. उई..ई.ई.ई... धीरे..बहुत मोटा है...मैंने उसके स्तन को दबाते हुए उसे प्यार किया और लंड को अन्दर धकेलता रहा.. गीली चूत में लंड फिसलता हुआ जा रहा था.. लेकिन उसकी चूत फ़ैल रही थी और उसे दर्द हो रहा था ये उसके चेहरे से पता चल रहा था.. मैंने अब लंड को थोड़ा पीछे खिंचा.. और उसके जाँघों को कस कर पकड़ते हुए पुरी ताकत सेलंड को अन्दर धकेला.. मेरा लंड उसकी चूत को पुरा चीरता हुआ.. सर..र.र.र.र.र.र.र.र.. से अन्दर फिसला और रागिनी अब अपनी चीख नही रोक पाई.. म..र..ग..ई..इ.इ.ई.ई.ई.ई...इ.ई.ई.ईई.ई.. मेरा लंड उसकी चूत में गहराई में घुस चुका था और अन्दर उसकी बच्चे दानी से टकराया था.. मै पूरा लंड अन्दर डाल कर रुक गया.. ताकि उसका दर्द थोड़ा कम हो जाए और उसकी चूत को मेरे मोटे और लंबे लंड की आदत हो जाए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: एक दिन अचानक - by neerathemall - 22-02-2019, 12:12 AM



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