22-02-2019, 12:11 AM
रागिनी को इस रूप में देख कर मेरा लंड फटा जा रहा था.. उसकी फूली हुयी.. रस भरी चूत और उसके नितम्ब की मांसलता से मै बेकाबू हो रहा था... मेरे लंड को इस तरह बाहर आते देख कर अचानक रागिनी के मुंह से निकल गया"बाप रे. कितना लंबा और कितना मोटा है तुम्हारा.. मुझे संगीता ने कभी नही कहा की वो इतना मजा लेती है" . उसके चेहरे पर आश्चर्य झलक रहा था. मैंने कहा "रानी.. आज तुम भी इसका मजा लो". उसने जल्दी से मेरे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और वो उसके सुपाडे से घूँघट खोल कर उसे ऊपर नीचे करने लगी. सुपाड़ा भी बहुतु फूल गया था और उसके मुंह से लार टपक रही थी. रागिनी मेरे लंड को बहुत आहिस्ता आहिस्ता सहला रही थी.. उसने मेरी तरफ़ ऊपर देखा और मुस्कुराते हुए उसने सुपाडे पर किस किया और जीभ निकाल कर सुपाडे का स्वाद लेते हुए अपना मुंह खोल कर उसे मुंह के अन्दर लेने का प्रयास करने लगी... लेकिन्ये उसके बस की बात नही थी.. फ़िर भी किसी तरह उसने पूरे सुपाडे को अपनी थूक से गीला कर दिया था... फ़िर किसी तरह उसने सुपाड़ा मुंह के अन्दर ले लिया और अन्दर बाहर करने लगी.. मैंने उसका सर पकड़ कर धक्के लगाने शुरू किए.. मेरे लंड में अब तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया था. .. मै अपना लावा उसके मुंह के अन्दर ही निकाल दूंगा ऐसा महसूस हुआ.. लेकिन मै ऐसा नही करना चाहता था.. मै मेरे लंड को उसकी चूत के अन्दर डाल कर उसकी जबरदस्त चुदाई करना चाहता था.. मेरा सपना आज सच करना था मुझे. मैंने उसके मुंह से लंड बाहर निकालते हुए कहा..रागिनी.. रुक जाओ... और लंड बाहर निकालते ही मैंने उसके होंठो को चूम लिया.. उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया.. और मेरे कान के पास फुसफुसाई.."संजय.. मुझे तुम्हारे बेड पर ले चलो.. जहाँ तुम संगीता को ऐसे नंगी कर के प्यार करते हो " मैंने उसे मेरी बांहों में उठा लिया.. उसका वज़न करीब 55 किलो होगा.. फ़िर भी मैंने उसे गोद में उठाया और मेरे बेड पर ले जा कर पटक दिया. बेड पर उसने अपने पैर फैला दिए.. मैंने उसे खींच कर बेड के किनारे पर लिया... उसके पैर नीचे लटक रहे थे.. उसके नितम्ब के नीचे एक तकिया रखा उसकी उभरी हुयी चूत और ऊपर हो गई..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.