22-02-2019, 12:10 AM
"रागिनी अब बहुत देर हो चुकी है.. तुम भी जानती हो की अब हम दोनों के लिए रुकना नामुमकिन है.. अब इस मौके का फायदा उठाओ और मजा लो.. इसी में दोनों की भलाई है" कहते हुए मैंने उसे पकड़ा और उसके पेटीकोट का नाडा खींच दिया.. पेटीकोट नीचे खिसका.. अब उसने अपनी गांड उठाते हुए पेटीकोट को चूतड से निकाल दिया.. उफ्फ्फ्फ्फ़.. उसके वो भरी गदराये चूतड.. पतली कमर पर टिके हुए वो गोल गोल गोरे चूतड.. मैंने उन पर हाथ फेरते हुए पेटीकोट को नीचे किया.. और... रागिनी ने पैंटी नही पहनी थी.. मै तो जैसे पलक झपकाना भूल गया..और मेरी तो आँखे फटी रह गई.. क्या चूत थी.. दो केले के खंभे जैसी जांघों के बीच में गोरी चूत.. एक भी बाल नही.. मुझे मेरी आँखों पर विश्वास नही हो रहा था की ये किसी ३५ साल की औरत की चूत है.. उभरी हुयी.. और चूत की सिर्फ़ दरार दिखा रही थी.. मेरी बीवी की चूत तो काली होने लगी थी चुदवा चुदवा कर.. लेकिन ये तो जैसे किसी २० साल की लड़की की कुंवारी चूत मेरे सामने थी.. मैंने जैसा सोचा था उससे कहीं ज्यादा सेक्सी चूत थी.. जैसे ही मेरी नज़र उसकी चूत को घूरने लगी.. उसने शरमाते हुए सर झुकाया और अपनी चूत को हाथों से ढांक लिया. उसकी गुलाबी चूत मुझ से कुछ इंच दूर थी. मैंने धीरे से उसके हाथ हटाये और चूत पर मेरे होंठ रख दिए.. उसके बदन की थरथराहट मैंने महसूस किया... उसके मुंह से.. ओह्ह.. निकला... उसकी चूत से पानी बाहर बह रहा था.. और जैसे ही मैंने उसके पैरों को फैला कर मेरी जीभ चूत की गुलाबी फांक के अन्दर डाली.."आह..ह.ह.ह.ह.हह... सं.ज.ज..ज...य...य..य.य.य... म..त. क..रो...ओह..हह.ह.ह.ह.. मै..म..र..जाऊं..गी..ई..ई..." मै उसकी चूत को फैलाकर मेरे मुंह से फूँक मार रहा था.. जीभ से उसका रस चूस रहा था.. और वो.."हे भगवान्... ये क्या.. हो..रहा.. मुझे... ऐसा पहले..कभी नही हुआ.." वो मेरे चेहरे को और ज्यादा अपनी चूत के ऊपर दबा रही थी.."संजय.. मत त...ड़..पा..ओ....आह..उफ़..स्.स्.स्.स्.स्.स्.स ्.स्. स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्..."
इधर मेरा लंड मानो मेरा बरमोडा फाड़ कर बाहर निकल आयेगा इस तरह उछल रहा था.. मैंने खड़े हो कर अपना बरमोडा खोल कर उसे नीचे किया अन्दर मैंने अंडरवियर नही पहना था. इसलिए मेरा लंड उछल कर एकदम से बाहर निकाल आया और सीधा रागिनी के मुंह के सामने डोलने लगा.
इधर मेरा लंड मानो मेरा बरमोडा फाड़ कर बाहर निकल आयेगा इस तरह उछल रहा था.. मैंने खड़े हो कर अपना बरमोडा खोल कर उसे नीचे किया अन्दर मैंने अंडरवियर नही पहना था. इसलिए मेरा लंड उछल कर एकदम से बाहर निकाल आया और सीधा रागिनी के मुंह के सामने डोलने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.