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एक दिन अचानक
#6
मैंने उसके गालों को हलके हलके "पुच्च.. पुच्च.. " करते हुए चूमना जारी रखा था... फ़िर मैंने अपने होंठ उसके कानों की तरफ़ बढाये.. और उसके कान में फूस फुसाकर कहा.. "रागिनी तुम बहुत खुबसूरत हो. तुम्हे पाने के लिए मै बहुत बेताब हूँ." कहते हुए उसके कान के लैब अपने होंठो में लिए .. उसके मुंह से हलके से सी.आह्ह..की आवाज़ निकली. मै उसकी गर्दन और कंधे मसल रहा था. वो थोड़ा सा कसमसाई. अब मैंने उसकी साडी को उसकी चुन्चियों से पुरी तरह हटा दी. वो हलके से विरोध कर रही थी.. "नही..संजय.. प्लीज़ ऐसा मत करो.. किसी को पता चल गया तो" मैंने उसकी बात नही सुनी.. मैंने अपना हाथ उसकी बांयी चूंची पर ब्लाउज के ऊपर से रख दिया और गोलाई को सहलाया.. उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और दबा लिया.. मैंने पंजे में चूंची पकड़ी और हलके से दबाया तो उसके मुंह से आ...आ..आह.. निकल पड़ी...मेरे हाथ को पकड़ते हुए उसने कहा.. "बस संजय.. इसके आगे नही.. इसके आगे जाने से हम दोनों बदनाम हो सकते है..." मैंने उसकी बात नही सुनी.. मेरे हाथ तो उसके ब्लाउज के बटन खोल रहे थे. उसका हाथ मेरे हाथ पर था. लेकिन कोई हरकत नही थी.. ब्लाउज के दोनों पल्ले खोल कर मैंने देखा अन्दर काले रंग की ब्रा है..मैंने जल्दी से उसके स्तनों पर मेरे होंठ रखे और उसके उरोजों की गर्मी महसूस की...आह्ह.. उसके गोरे बदन पर मस्तानी चूंचियों पर काले रंग का ब्रा.. मैंने जल्दी से ब्रा को बिना खोले ऊपर की तरफ़ उठा दिया. वो सोफे पर पीछे झुक गई थी.. जिससे उसके फूले हुए गदराये स्तन और उभर हुए थे. मैंने उसकी चूंची पर किस किया. और उसके मुंह से सी..सी..स्..स्..स्. आह..ऐसी कराहें निकलने लगी.. उसके लाजवाब चूंचियां मेरे सामने थी.. जिनके मै सपने देखा करता था.. मैंने उसके गालों पर फ़िर से किस करते हुए उसके कान में कहा."रागिनी मै तुम्हे प्यार करता हूँ.. मुझे आज मत रोकना प्लीज़." उसने कुछ कहा नही..वो सोफे पर और पीछे झुक गई.. उसने अपने स्तन और ऊपर कर दिए.. उसके स्तन अभी भी सख्त थे.. किसी रबर की गेंद की तरह. उसके स्तन का साइज़ 36 डी था. ये मैंने उन्हें हाथ में ले कर जाना. .अब मैंने पीछे हाथ ले जा कर उसके ब्रा का हूक निकल दिया और ब्रा के खुलते ही उसने अपने दोनों हाथो से अपने स्तनों को ढंकना चाहा. लेकिन मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. मै उसके नायाब खजाने को देखना चाह रहा था..उसका गोरा बदन.. एकदम चिकना.. हाथ रखते ही हाथ फिसल जाता.. इतना चिकना बदन किसी का हो सकता है .. ये सोच कर ही मेरी मस्ती सातवें आसमान पर पहुँचने लगी.. ये नरम गदराया जिस्म मेरे सामने है .. इसकी चूत कितनी नरम होगी.. कितनी मजेदार नज़ारा होगा.. उफ़.. ये ख्याल इंच दर इंच मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई को और बढ़ा रहे थे. मैंने कहा "रागिनी मुझे इन्हे जी भर के देखने और प्यार करने दो..कहते हुए मैंने उसके गुलाबी निपल को हाथ लगाया..और मसला.. वो अब कड़क होने लगे थे.. उसके मुंह से आउच..की आवाज़ निकली.. मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा.. वो सीधे मेरे कंधे पर सर टिका कर मेरे गालों को चूमने लगी... मेरे हाथ की उँगलियाँ हलके हलके उसकी चूंचियों को सहला रही थी. .. उसकी साँस बहुत तेज़ हो रही थी.. उसकी साडी का आँचल अब ज़मीन पर पड़ा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: एक दिन अचानक - by neerathemall - 22-02-2019, 12:09 AM



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