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एक दिन अचानक
#5
मेरी हिम्मत बढ़ी मै उठा और उसके बाजू में जा कर बैठ गयाउसके एकदम करीब. मैंने देखा मेरी इस हरकत से वो थोडी सी सिमट गई.. मैंने उसकी तरफ़ देखा. उसने नज़ारे झुका ली और अपने दोनों हाथ मसलने लगी. मैंने अपना चेहरा बढाया और उसके गालों पर से बालों को एक ऊँगली से हटाया. वो सिहर उठी. मैंने तभी मेरे होंठ उसके फूले हुए गालों पर रख दिए और "पुच्च" से एक चुम्बन लिया. वो कसमसाई. और तिरछी नज़र से सिर्फ़ मेरी तरफ़ देखा उसने किसी प्रकार का विरोध या सहमती नही दिखाई. मै जब उसके और करीब खिसका तो उसने कहा "बस" . मैंने कहा ये किस नही था. ये तो सिर्फ़ तुम्हे छू कर देखा मैंने होंठो से. अब मैने उसके कंधे पर हाथ रखा. मै उसके दाहिने तरफ़ बैठा था. मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा. वो शायद इसके लिए तैयार नही थी. वो मेरी गोद में गिरने लगी. मैंने उसके दोनों हाथ पकड लिए. अब वो मुझे आगे बढ़ने से रोकने का हल्का प्रयास कर रही थी. मैंने कहा तुम्हे तो मालूम है की असली किस कैसे और कहाँ किया जाता है.. और तुम ख़ुद ये करने के लिए तैयार हुयी हो.. कहते हुए मै उसकी बांहों को मेरी ऊँगली से हलके से नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे सहलाने लगा. उसके कंधे पर दबाव बढ़ते हुए फ़िर से उसके गालों पर कान के ठीक पास में चूमा और जीभ से उसके कान को सहलाया.. उसकी सांसे बिखरने लगी. वो मेरी तरफ़ शरमाई नज़र से देख रही थी.. उसके मुंह से एक भी शब्द नही निकला.अब मैंने उसके चहरे की तरफ़ अपना चेहरा किया और उसके थरथराते लाल रसीले लरज़ते होंठो पर मेरे होंठ रख दिए.मैंने बहुत हलके से उसके होंठो पर "चु..ऊ..क.," करके चुम्बन कर दिया. मै उसके बांहों को सहला रहा था.. और उन्हें सहलाते हुए मैंने उसका आँचल धीरे से कंधे से हटा दिया. उसके दोनों हाथ मैंने पकड़ रखे थे.. इसलिए वो अपना आँचल संवार नही पायी. और मेरे सामने उसके पीन पयोधर आमंत्रण देते हुए महसूस हुए.वैसे मै उसकी बांहों की सहलाते हुए उसकी चुन्चियों को बाजू से स्पर्श कर रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: एक दिन अचानक - by neerathemall - 22-02-2019, 12:08 AM



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