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एक दिन अचानक
#3
वो उठी और कमरे में घूम कर देखा. मैंने अब बाहर का दरवाजा बंद कर दिया. ये पहला मौका था की हम दोनों एक बंद कमरे में अकेले थे. मै सोफे पर उसके साथ बैठ गया. हम अपनी घर की बातें करने लगे. कुछ इधर उधर की बात करने के बाद बात मेरी बीवी के बारे में होने लगी. हमारी शादी को १५ साल हो चुके थे. मैंने बताया की अब वो अपने बच्चे में ज्यादा ख्याल देती है. मेरी जरुरत को इनता महत्व नही देती. और सेक्स के लिए भी बहुत उदासीन हो चुकी है. अब हमारे बीच में कुछ नया नही है. जिसके लिए हम ज्यादा परेशान हो या व्याकुल रहे.
रागिनी ने कहा फ़िर भी आप अपनी बीवी और बच्चे का बहुत ख्याल रखते हो और संगीता भी खुश." मै उसकी इस बात पर खुश हुआ और उसे धन्यवाद दिया. फ़िर मैंने उससे पूंछा "रागिनी अब तुम्हारे फॅमिली के बारे में बताओ. तुम्हारे पति भी तुम लोगो का बहुत ख्याल रखते है. तुम्हे खुश रखते है . है ना?" मैंने कहा.
मैंने रागिनी के चहरे पर उदासी देखी. एक गहरी साँस लेकर उसने कहा :सभी यही सोचते है की हम लोग खुश है."
"रागिनी क्या बात है? तुम दुखी लग रही हो. तुम्हारे चेहरे से लग रहा है की तुम खुश नही हो."
"नही.. नही.. ऐसी बात नही है.. सब कुछ ठीक ही है." उसने कहा.
"नही रागिनी.. तुम कुछ छुपा रही हो. क्या तुम मुझे बताना नही चाहोगी?"
" मेरा प्रॉब्लम ये है की मेरी बीवी अब मुझमे इंटेरेस्ट नही लेती. तुम समझ रही हो न मै क्या कहना चाहता हु? उसे मेरी फिकर करना चाहिए. लेकिन फ़िर भी हम दोनों के बीच कोई प्रॉब्लम नही है. हालाँकि हमारे बीच प्यार और सेक्स वाली बात अब इतनी ज्यादा नही है. मै उससे दूर जाना चाहता हूँ. लेकिन जा नही पाता. मुझे लगता है की शायद वो फ़िर से मुझे समझ ले."
रागिनी मेरी बात बहुत ध्यान से सुन रही थी. उसने कहा वो सब समझ रही है. कुछ देर में हमारी बातें बहुत गंभीर होने लगी. भावुकता आने लगी बातचीत में. मै थोड़ा भावुक होने लगा तब रागिनी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रखा. और मुझे समझाने की कोशिश करने लगी. उसके हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में गर्मी सी आने लगी और मेरा लंड खड़ा होने लगा.

अब मैंने उसका हाथ कस कर पकड़ लिया और कहा "रागिनी मै ये कहना नही चाहता था लेकिन अब बिना कहे रहा नही जाता जिस दिन पहली बार मैंने तुम्हे देखा था उसी दिन से मै तुम्हे पाना चाहता हूँ. और ये सच है "
ये सुनते ही उसने मेरी तरफ़ देखा उसकी नज़रों में थोड़ा आश्चर्य था. उसने कहा " तुम बहुत बदमाश हो. अच्छा हुआ यहाँ तुम्हारी बीवी नही है और उसने ये सुना नही. अगर वो ये सुन लेती तो मुझसे बात करना बंद कर देती और मुझे ग़लत समझती."
"क्या तुम उसे ये बताने वाली हो?" मैंने उससे ये मजाक में पूंछा.
"मै नही कहूँगी लेकिन......" उसने अपना वाक्य पूरा नही किया.
"रागिनी क्या मै तुमसे कुछ रिक्वेस्ट कर सकता हूँ? तुम उसे मानोगी?"
"ये तो आपके रिक्वेस्ट पर निर्भर करता है"
'अगर मै तुमसे कुछ मांगू तो?"
"क्या?"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: एक दिन अचानक - by neerathemall - 22-02-2019, 12:06 AM



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