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एक दिन अचानक
#2
उस दिन जब हम बिग बाज़ार में थे. तो अचानक मेरी पत्नी की नज़र एक सुंदर सी औरत पर पड़ी और उसने आवाज़ लगायी.. रागिनी.., ये सुन कर वो औरत ने पीछे मुड़ कर देखा और मेरी पत्नी को देख कर जोर से चिल्लाई.. हाय संगीता.. कितने दिनों के बाद मिली तू... दोनों सहेली एक दुसरे से बात करती रही और मई रागिनी को देख रहा था.. मै तो अपनी आँख बंद करना ही भूल गया था.. इतनी खूबसूरत.. क्या फिगर है.. ऐसा लगा जैसे सब कुछ एकदम सांचे में तराश कर लगाया हो. उसकी नोंकदार चून्चियां.. पतली कमर और उभरे हुए नितम्ब.. उफ़ एक तो मै वैसे ही बहुत सेक्सी हूँ और ऐसे फिगर वाली सुंदर औरतें मेरी कमजोरी है. उसने एक काले रंग का सलवार सूट पहना था. जिसमे से उसके बदन का हर कटाव एक दम साफ़ नज़र आ रहा था. उसके गोरे रंग पर कला ड्रेस मनो उसके बदन की रेखाओं को उजागर कर रहा था. उसकी गोलाई और उभार से मेरी नज़र हटाने का नाम ही नही ले रही थी. तभी मेरी बीवी ने पलट कर मेरी तरफ़ देखा और कहा ये रागिनी है मेरी कॉलेज की फ्रेंड. मैंने हेलो कहा, उसने मुस्कुराके जवाब दिया.. अब मैंने उसने होंठो को देखा.. एकदम रस भरे गुलाबी होंठ. मानो कह रहे हो आओ मेरा रस चूस लो. इस पहली मुलाकात में ही रागिनी ने मेरे लंड को मानो चोदने की दावत दे दी थी. ये सोच मुझे परेशान करने लगी की इसे कैसे चोदा जाए. एक तरफ़ मै सोच रहा था की ये मेरी बीवी की ख़ास सहेली है.. कही कुछ गड़बड़ न हो जाए इसे चोदने के चक्कर में. सच तो ये था की मेरी बीवी भी काफी सेक्सी है लेकिन रागिनी उससे भी ज्यादा सेक्सी और सुंदर थी. उसे मेरे बिस्तर में ले कर नंगी करके चोदना ही मेरा सपना बन गया.. उस पहली मुलाकात के बाद. उस दिन तो दोनों ने मिलकर ही शौपिंग की लेकिन उसके बाद भी अक्सर दोनों साथ साथ ही घूमने जाती. रागिनी को नंगी करके चोदने का सपना सपना ही रहेगा ऐसा मुझे लगने लगा था क्योंकि वो बहुत ही नपे तुले स्टाइल में बात करती थी, कभी कोई वाहियात बात या कोई गन्दा मजाक नही करती थी. उसकी बातों से पता चलता था की वो अपने पति को भी बहुत प्यार करती थी. और उसके साथ खुश भी है. कभी कभी रात में अपनी बीवी को चोदते हुए मै कल्पना करता था की मेरी बांहों में रागिनी है और मै उसे चोद रहा हूँ. रागिनी की बातों से लगता था की वो थोडी पुराने खयालात की है और बहुत ही शर्मीली भारतीय गृहिणी है. उसके बाल बहुत लंबे थे जो की मुझे ज्यादा पसंद है. शरीर मानो अजंता की कोई मूर्ति हो. उसकी चून्चिया उसके चूतड और उसके गदराये जांघ जो की उसकी सलवार से महसूस होते थे. उसका चेहरा अंडाकृति था. गोरा और भरा हुआ. सबसे बड़ी बात जो मुझे बाद में पता चली की उसके २ बच्चे है. उसके शरीर की बनावट से वो 25 साल की युवती लगती थी. जबकि उसकी उमर थी 35 साल. मुझे उसके पतली कमर के साथ डोलते हुए चूतड बहुत विचलित करते थे. मै सोचता था की उसे नंगी करने के बाद उसके गोरे गदराये चूतड कितने प्यारे लगेंगे.. उन्हें सहलाने में और दबाने में कितना मजा आएगा. . .

और कमर से ऊपर नज़र जाते ही.. उफ़ उसकी भरी हुयी छातियाँ.. उसके स्तन एकदम कसे हुए थे.. 2 बच्चों की माँ लेकिन स्तन जैसे 20 साल की कुंवारी लड़की के.. ३६ साइज़ होगा उनका.. दोनों उसके ब्लौस या कुरते के अन्दर एक दूसरे से चिपके हुए रहते थे.. जिसके कारण उसके बीच की घाटी बहुत ही उत्तेजक दिखाई देती थी. सब क्कुछ मिला कर मेरे जैसे कामी पुरूष के लिए वो एक विस्फोटक औरत थी... ऐसे ही दिन गुजर रहे थे. अचानक मेरी बीवी के पिताजी की तबियत ख़राब होने का समाचार आया. उसने मेरे बेटे को साथ लिया और दूसरे दिन सुबह की बस से चली गई.

इस बात को करीब एक हफ्ता हो गया. मै घर में अकेला ही था. मेरे ऑफिस में भी मार्च के महीने के लिए बहुत काम था..मुझे छुट्टी भी नही मिली थी. इसलिए सुबह जल्दी ही ऑफिस जाना पड़ता था..एक दिन सुबह प्रात: कालीन विधि व स्नान करने के बाद मै काफी की चुस्की ले रहा था. की दरवाजे की बेल बजी मैंने हाथ में लिया हुआ पेपर रखा. मै सोच रहा था की इतने सुबह कौन आ गया. दरवाजे पर जाकर पहले खिड़की से बाहर देखा.. वहां और कोई नही मेरे सपनो की मलिका रागिनी खड़ी थी. मैंने दरवाजा खोला. . मै सोच रहा था की इतनी सुबह वो मेरी बीवी से मिलने क्यो आई है जबकि उसे मालूम था की मेरी बीवी पिछले हफ्ते अपने मायके गई हुयी है और अभी करीब दो हफ्ते वही रहेगी..
मैंने दरवाजा खोला और कहा " गुड मोर्निंग रागिनी" वो वहीँ चुपचाप खड़ी रही.. मैंने कहा "वही खड़ी रहोगी क्या? हेल्लो भी नही कहोगी"?
"हाय" उसने कहा. वो मुस्कुरायी. " आपकी बीवी कहाँ है? और इस वक्त आप क्या कर रहे हो घर में? रागिनी ने पूंछा

"तुम्हे संगीता ने पिछले हफ्ते फोन करके बताया था ना की वो अपने मायके जा रही है. उसके पिताजी की तबियत ठीक नही थी. खैर तुम इतनी सुबह सुबह कैसे आ गई. " उससे बात करते हुए मेरी नज़रें उसकी उभरी हुयी चून्चियों पर बार बार जा रही थी. और मीचे मेरे लंड में तनाव आ रहा था. वो मेरे शोर्ट में टेंट न बना ले इसलिए मै एक हाथ से उसे दबाने की कोशिश में लगा था.और हलके से मसल भी रहा था. .वो अन्दर आई. मैंने उसे सोफे पर बैठने को कहा फ़िर अन्दर जा कर उसके लिए एक कप काफ़ी ले कर आया और उसे दिया. फ़िर उसके सामने बैठते हुए मैंने थोडी हिम्मत जुटाते हुए कहा कहा.. "इतनी सुबह सुबह भी तुम काफी खुबसूरत लग रही हो.और मजाक में कहा "शायद मुझे कुछ हो जाए तुम्हे देख कर."

रागिनी मेरे इस दुस्साहस पर कुछ बोली नही इसलिए मुझे भी आश्चर्य हुआ. मेरी हिम्मत और बढ़ी. उसने काफ़ी ख़तम की और कहा "मै चलती हूँ" मैंने कहा "तो आप यहाँ सिर्फ़ अपनी सहेली से मिलने आई थी? वो नही है तो एक बुढ्ढे को अकेला छोड़ कर जा रही हो?"
"ओह्ह आप बुढ्ढे हो?" और वो मुस्कुराई मैंने उसे मुस्कुराते देखा, उसकी ये मुस्कराहट कुछ अलग थी. " क्या ये ही मौका है.. जिसका मै इंतज़ार कर रहा था.. क्या मेरा सपना सच होने वाला है.". मैंने सोचा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: एक दिन अचानक - by neerathemall - 22-02-2019, 12:05 AM



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