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चचेरी बहन की रजाई
#4
फिर सरिता ने अपने मुहं को रज़ाई से थोड़ा सा बाहर रखा, बस वो कभी कभी अपना मुहं अंदर करके मुझे किस कर रही थी, लेकिन उसका हाथ लगातार मेरे लंड को सहला और ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था और हम एक दूसरे के अंगो के साथ खेल रहे थे। अब मैंने उसकी कमीज को पूरा ऊपर किया और फिर दोनों बूब्स को ब्रा से बाहर निकालकर एक बूब्स को चूसने तो दूसरे बूब्स को दबाने लगा दोस्तों ऐसा करने से मुझे बहुत मजा आ रहा था और में कभी उसके निप्पल को काटता तो कभी बूब्स को पूरा अपने मुहं में लेने की कोशिश करता। दोस्तों मैंने करीब 15 मिनट तक बूब्स से खेलने के बाद उसकी सलवार में अपना एक हाथ डालकर उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को मसलने लगा था और वो भी अब तक पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, लेकिन दोस्तों बस में उसकी चूत की गरमी और गीलेपन को महसूस कर सकता था, देख नहीं सकता था, क्योंकि उस समय रजाई के अंदर बहुत अंधेरा था। फिर मैंने उसकी पेंटी को पूरा नीचे कर दिया और मैंने अपनी एक अंगुली को उसकी चूत में डाल दिया, जिसकी वजह से वो एकदम से सीहर उठी। दोस्तों में इससे पहले भी एक लड़की की सील तोड़ चुका था इसलिए में उसकी चूत में ऊँगली डालते ही समझ गया था कि यह पहले से ही चुद चुकी हुई है, लेकिन मुझे क्या करना था मुझे तो बस पानी निकालना था और फिर मैंने अपनी एक अंगुली को एक ज़ोर से झटके के साथ पूरा अंदर डाल दिया जिसकी वजह से उसके मुहं से धीरे धीरे सिसकियाँ निकल रही थी, लेकिन उसने अपने आप पर बहुत कंट्रोल किया, क्योंकि और भी लोग हमारे पास में सो रहे थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: चचेरी बहन की रजाई - by neerathemall - 21-02-2019, 11:22 PM



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