20-05-2020, 11:18 PM
एक नशा सा था मेरी आँखों मैं ....... बदन गरम था ....... नींद आ रही थी ...........
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
नशा सा भरा था मेरी आखो मैं, मेरे हाथ से मोबाइल कब छूट गया पता ही न चला और एक हात तो था
ही नीचे "चाशनी कि दुकान मैं" पलके भारी हो रही थी फिर मैंने जोबन दबाये आज जायदा रस भरे लग रहे
थे , मुझे वैसे भी मेरे जोबन और दुसरो के उभरे हुए जोबन पसंद आते थे पर आज अपने जोबन दबा कर
लगा , मैं भी कुछ कम नहीं हूँ....
फिर अपना हाथ निकला "नीचे " से और "चाट" गयी चाशनी न जाने क्या हो गया था मुझे रोके न रुका
जाये .. उफ़ क्या करू हाय ...........
अब नींद ने मारा जोर , डर था कि मेरा हाथ "नीचे वाली" मैं न रह जाये और मैं सो जाऊ ... कोई देख न
ले ..... पर हाथ न हटाने कि तलब परेशां कर रही थी , क्या करती स्कर्ट के उपर से ही अपनी "नीचे वाली"
को दबा कर सो गयी, और जब तक नीद नहीं आई तब तक अपनी नीचे वाली कि नर्म पंखुडियो से खेलती
रही, ...........
फिर न जाने कब सो गयी, "भरी चाशनी" ले कर
अब मैं नींद मैं थी .... वो सपना क़यामत था , आज भी याद है ,..... काफी कुछ करती हूँ कोशिश ......
जायदा से जायदा याद कर लिखने कि .......
मिलती हूँ जल्दी ......... सपने के साथ ......
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका