21-02-2019, 10:22 PM
मैं जब पापा के कमरे से बाहर आया तो सीमा अपने रूम के दरवाजे पर चुपचाप खड़ी थी. उसका चेहरा नीचे झुका हुआ था और हल्का हल्का मुस्कुरा रही थी. मैं उसके पास गया और धीरे से उसका चेहरा ऊपर किया. उसकी नज़रें मुझ से मिलीं, पर फिर शर्मा के उसने गर्दन झुका ली. आज वो चंचल शरारती लड़की मुझ से नज़र तक नहीं मिला पा रही थी और शर्म से गड़ी जा रही थी. उसने गुलाबी रंग का सूट पहन रखा था और चुन्नी भी नहीं ली हुई थी. आज वो मुझ पर कयामत ढा रही थी. मैंने दोनों हाथ उसकी कमर पर लपेट कर उसे अपने आगोश में ले लिया. वो बेल कि तरह मुझ से लिपट गयी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
