21-02-2019, 10:21 PM
उस दिन के बाद मुझे कई दिनों तक सीमा के साथ अकेले कुछ करने का मौका नहीं मिला क्योंकि पापा टूर से वापस आ गए थे और एक हफ्ते की छुट्टी पर थे. मम्मी भी हमेशा घर पर ही रहती थी. सीमा मेरे उठने से पहले सवेरे सवेरे रोज कॉलेज चली जाती थी. दोपहर को जब वो वापस आती तो मैं उस वक्त कोलेज में होता था. हम लोग सिर्फ डिनर के टाइम पर ही इकट्ठे होते थे. मेरा और मेरी बहन का कमरा अलग अलग था और बीच में मम्मी पापा का कमरा था. इसलिए रात को ना वो मेरे पास आ सकती थी और ना मैं उसके पास – क्योंकि पकडे जाने का खतरा था.
पर सीमा ने मौके का भरपूर फायदा उठाया. उसे मुझे सेडयूस करने में बहुत मज़ा आता था. सबकी नज़र बचा कर कभी आँख मार देना कभी फ्लाइंग किस देना तो आम बात थी. एक दिन शाम को पापा बालकोनी में अखबार पढ़ रहे थे और मम्मी किचन में थी. सीमा अपने कमरे से चिल्लाई “भैया एक मिनट आना प्लीज़?”
मैंने सोचा कुछ काम से बुलाया होगा, कमरे में जाते ही उसने अपनी स्कर्ट उपर उठा कर अपनी गोरी गोरी चूत मेरे सामने नंगी कर दी. उसने नीचे से कच्छी नहीं पहनी हुई थी. सबको सुनाकर बोली “भैया ये सवाल समझ में नहीं आ रहा है.” और बेहद कामुक अंदाज़ में अपनी चूत में ऊँगली डाल कर अपनी मुहं में चूसने लगी और तड़प कर बोली “प्लीज़ भैय्या मेरी मदद करो” मेरी तो जैसे गांड ही फट गयी और मैं कुछ बिना बोले ही बाहर आ गया. कहीं पकडे जाते तो? मैं बाहर आकर ड्राइंग रूम में बैठ कर टी वी देखने लगा. वो भी बिना कच्छी पहने स्कर्ट में मेरे सामने सोफे पर बैठ गयी और टी वी देखने लगी. किचन सोफे के पीछे थी और कड़छी चलने की आवाज से उसे पता चल रहा था कि मम्मी किचन में है. उसने टांगें खोल कर मुझे फिर से चूत के दर्शन कराने शुरू कर दिए.
सीमा (मज़े लेते हुए): अच्छा शो है ना भैय्या? (घर के बाकी लोग सोच रहे थे कि वो टी वी शो के बारे में बोल रही है पर असलियत मैं और सीमा जानते थे).
मैं (हकलाते हुए): हाँ बहुत अच्छा है. पर अभी खत्म हो जाएगा (मैंने इशारा किया कि वो ये सब ना करे).
थोड़ी देर में वो मुस्कुराते हुए वापस अपने कमरे में चली गयी. मैंने भी अपने रूम में जाकर अपनी प्यारी बहना की चूत को याद करते हुए दो बार मुठ मारी.
एक बार जब पापा घर के काम से बाहर गए हुए थे और मम्मी नहा रही थी तो सीमा मेरे कमरे में आ गयी. आते ही वो मुझसे लिपट गयी और मुझे बेतहाशा चूमने लगी. मैं भी उसके बूब्स दबाने लगा और उसे किस करने लगा.
मैं: अब बर्दाश्त नहीं होता मेरी रानी.
सीमा: मैं भी तो तड़प रही हूँ भैय्या.
वो नीचे से ब्रा और पैंटी पहले ही उतार कर आयी थी. उसने अपनी टी शर्ट उपर कर दी. अपनी नंगी चुचियाँ मेरे सामने करके बोली “भैय्या देखो न, ये तुम्हारे चूसने को तरस रही हैं”
मैं बेकाबू हो कर अपनी बहन की चुचियाँ चूसने और दबाने लगा
“आअह्हह्हह भैया........और जोर से चूसो.” वो पजामे के ऊपर से मेरा लंड सहलाने लगी और मैं भी उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर अपनी मस्त बहना की चूत सहलाने लगा. सीमा ने मेरे लंड का पानी निकाल दिया. सीमा भी झड़ चुकी थी. किसी के आने से पहले ही सीमा तुरंत अपने कमरे में वापस चली गयी.
वैसे हम दोनों भाई बहन एकदम नोर्मल बिहेव करते थे पर अंदर ही अंदर हम दोनों सुलग रहे थे. रोज उसका गोरा नंगा बदन, चिकनी जांघें, मस्त संतरे जैसी चुचियाँ, ब्राउन निप्पल, गोल गोल छोटे छोटे चूतड़, कुंवारी चूत को याद कर के मेरा लंड हमेशा खड़ा रहता था. जबसे मैंने अपने प्यारी बहना के सुंदर नंगे बदन को देखा था तब से मैं बेताब था कि कब मुझे उसकी चुदाई का मौका मिलेगा. आखिर भगवान ने वो दिन दिखा ही दिया. सात दिन बाद पापा फिर से टूर पर चले गए और उसी दिन मम्मी को कीर्तन पर जाना था. उस दिन मम्मी ने सीमा कि छुट्टी करवा दी क्योंकि घर का खाना बनाना और सफाई करनी थी. मम्मी मुझे और सीमा को घर का ख्याल रखने कि हिदायत देकर सुबह ही नहा धोकर पड़ोस कि औरतों के साथ चली गयी और बता कर गयी कि कीर्तन रात के दस बजे तक चलेगा.
मम्मी के जाते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया और सीमा के पास गया. वो बालकोनी में खड़ी थी.
मैं: चल सीमा, अंदर आ ना?
सीमा: रुको भय्या, मम्मी को जाते हुए देख रही हूँ (वो पक्का कर लेना चाहती थी ताकि मम्मी किसी चीज़ को भूलकर वापस ना आ जाए).
हमारी बालकोनी की चार फुट की दीवार थी. यानी चार फुट के नीचे बाहर से कुछ दिखाई नहीं दे सकता था. मैंने हौले हौले सीमा कि कमर सहलानी शुरू कर दी. उसने कुछ नहीं कहा. मैं फिर धीरे धीरे अपना हाथ नीचे ले गया और उसकी सलवार के ऊपर से उसके चूतड़ सहलाने लगा. आ हा क्या मज़ा आ रहा था. कई दिन बाद मैंने अपनी बहन को टच किया था. मैंने उसके चूतड़ दबाते हुए कहा, “मेरी जान आज हमें मिलने से कोई नहीं रोक सकता”. हम लोगों ने देखा कि मम्मी अब सचमुच चली गयी थी.
सीमा: आप चलो, मैं आती हूँ.
मैं सबसे पहले अपने पापा के रूम में गया और वोदका का एक पेग लगा लिया. दरअसल वोदका पीने के बाद मस्ती बढ़ जाती है और चुदाई का बहुत मज़ा आता है. लंड भी काफी देर बाद झड़ता है. ये बात मेरे दोस्तों ने बताई थी. आज मैं अपनी प्यारी बहना के साथ पूरी मस्ती लेना चाहता था. आज मैंने पक्का फैसला कर लिया कि अपनी सगी बहन को चोद कर रहूँगा.
पर सीमा ने मौके का भरपूर फायदा उठाया. उसे मुझे सेडयूस करने में बहुत मज़ा आता था. सबकी नज़र बचा कर कभी आँख मार देना कभी फ्लाइंग किस देना तो आम बात थी. एक दिन शाम को पापा बालकोनी में अखबार पढ़ रहे थे और मम्मी किचन में थी. सीमा अपने कमरे से चिल्लाई “भैया एक मिनट आना प्लीज़?”
मैंने सोचा कुछ काम से बुलाया होगा, कमरे में जाते ही उसने अपनी स्कर्ट उपर उठा कर अपनी गोरी गोरी चूत मेरे सामने नंगी कर दी. उसने नीचे से कच्छी नहीं पहनी हुई थी. सबको सुनाकर बोली “भैया ये सवाल समझ में नहीं आ रहा है.” और बेहद कामुक अंदाज़ में अपनी चूत में ऊँगली डाल कर अपनी मुहं में चूसने लगी और तड़प कर बोली “प्लीज़ भैय्या मेरी मदद करो” मेरी तो जैसे गांड ही फट गयी और मैं कुछ बिना बोले ही बाहर आ गया. कहीं पकडे जाते तो? मैं बाहर आकर ड्राइंग रूम में बैठ कर टी वी देखने लगा. वो भी बिना कच्छी पहने स्कर्ट में मेरे सामने सोफे पर बैठ गयी और टी वी देखने लगी. किचन सोफे के पीछे थी और कड़छी चलने की आवाज से उसे पता चल रहा था कि मम्मी किचन में है. उसने टांगें खोल कर मुझे फिर से चूत के दर्शन कराने शुरू कर दिए.
सीमा (मज़े लेते हुए): अच्छा शो है ना भैय्या? (घर के बाकी लोग सोच रहे थे कि वो टी वी शो के बारे में बोल रही है पर असलियत मैं और सीमा जानते थे).
मैं (हकलाते हुए): हाँ बहुत अच्छा है. पर अभी खत्म हो जाएगा (मैंने इशारा किया कि वो ये सब ना करे).
थोड़ी देर में वो मुस्कुराते हुए वापस अपने कमरे में चली गयी. मैंने भी अपने रूम में जाकर अपनी प्यारी बहना की चूत को याद करते हुए दो बार मुठ मारी.
एक बार जब पापा घर के काम से बाहर गए हुए थे और मम्मी नहा रही थी तो सीमा मेरे कमरे में आ गयी. आते ही वो मुझसे लिपट गयी और मुझे बेतहाशा चूमने लगी. मैं भी उसके बूब्स दबाने लगा और उसे किस करने लगा.
मैं: अब बर्दाश्त नहीं होता मेरी रानी.
सीमा: मैं भी तो तड़प रही हूँ भैय्या.
वो नीचे से ब्रा और पैंटी पहले ही उतार कर आयी थी. उसने अपनी टी शर्ट उपर कर दी. अपनी नंगी चुचियाँ मेरे सामने करके बोली “भैय्या देखो न, ये तुम्हारे चूसने को तरस रही हैं”
मैं बेकाबू हो कर अपनी बहन की चुचियाँ चूसने और दबाने लगा
“आअह्हह्हह भैया........और जोर से चूसो.” वो पजामे के ऊपर से मेरा लंड सहलाने लगी और मैं भी उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर अपनी मस्त बहना की चूत सहलाने लगा. सीमा ने मेरे लंड का पानी निकाल दिया. सीमा भी झड़ चुकी थी. किसी के आने से पहले ही सीमा तुरंत अपने कमरे में वापस चली गयी.
वैसे हम दोनों भाई बहन एकदम नोर्मल बिहेव करते थे पर अंदर ही अंदर हम दोनों सुलग रहे थे. रोज उसका गोरा नंगा बदन, चिकनी जांघें, मस्त संतरे जैसी चुचियाँ, ब्राउन निप्पल, गोल गोल छोटे छोटे चूतड़, कुंवारी चूत को याद कर के मेरा लंड हमेशा खड़ा रहता था. जबसे मैंने अपने प्यारी बहना के सुंदर नंगे बदन को देखा था तब से मैं बेताब था कि कब मुझे उसकी चुदाई का मौका मिलेगा. आखिर भगवान ने वो दिन दिखा ही दिया. सात दिन बाद पापा फिर से टूर पर चले गए और उसी दिन मम्मी को कीर्तन पर जाना था. उस दिन मम्मी ने सीमा कि छुट्टी करवा दी क्योंकि घर का खाना बनाना और सफाई करनी थी. मम्मी मुझे और सीमा को घर का ख्याल रखने कि हिदायत देकर सुबह ही नहा धोकर पड़ोस कि औरतों के साथ चली गयी और बता कर गयी कि कीर्तन रात के दस बजे तक चलेगा.
मम्मी के जाते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया और सीमा के पास गया. वो बालकोनी में खड़ी थी.
मैं: चल सीमा, अंदर आ ना?
सीमा: रुको भय्या, मम्मी को जाते हुए देख रही हूँ (वो पक्का कर लेना चाहती थी ताकि मम्मी किसी चीज़ को भूलकर वापस ना आ जाए).
हमारी बालकोनी की चार फुट की दीवार थी. यानी चार फुट के नीचे बाहर से कुछ दिखाई नहीं दे सकता था. मैंने हौले हौले सीमा कि कमर सहलानी शुरू कर दी. उसने कुछ नहीं कहा. मैं फिर धीरे धीरे अपना हाथ नीचे ले गया और उसकी सलवार के ऊपर से उसके चूतड़ सहलाने लगा. आ हा क्या मज़ा आ रहा था. कई दिन बाद मैंने अपनी बहन को टच किया था. मैंने उसके चूतड़ दबाते हुए कहा, “मेरी जान आज हमें मिलने से कोई नहीं रोक सकता”. हम लोगों ने देखा कि मम्मी अब सचमुच चली गयी थी.
सीमा: आप चलो, मैं आती हूँ.
मैं सबसे पहले अपने पापा के रूम में गया और वोदका का एक पेग लगा लिया. दरअसल वोदका पीने के बाद मस्ती बढ़ जाती है और चुदाई का बहुत मज़ा आता है. लंड भी काफी देर बाद झड़ता है. ये बात मेरे दोस्तों ने बताई थी. आज मैं अपनी प्यारी बहना के साथ पूरी मस्ती लेना चाहता था. आज मैंने पक्का फैसला कर लिया कि अपनी सगी बहन को चोद कर रहूँगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
