21-02-2019, 10:05 PM
(This post was last modified: 22-08-2022, 02:24 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
"भैया.... देखो मैं झड़ जाऊंगी.... प्लीज़.... अब लन्ड को चूत में आगे से घुसेड़ दो ना....।"
मुन्ना ने अपना एक बार फिर से मेरे बोबे दाब कर आगे से ही मेरी चूत मे लन्ड घुसेड़ दिया।
गली में सन्नाटा था.... बस एक दो कुत्ते नजर आ रहे थे....कोई हमें देखने वाला या टोकने वाला नहीं था । मेरी चूत एकदम गीली थी .... लन्ड फ़च की आवाज करते हुये गहराई तक उतर गया। आग से आग मिल गयी.... मन में कसक सी उठी.... और एक हूक सी उठी.... एक सिसकारी निकल पड़ी।
"चोद दे मुन्ना.... चोद दे.... अपनी बहन को चोद दे.... आज मुझे निहाल कर दे........" मैं सिसकते हुए बोली।
"हाय दीदी....इसमें इतना मजा आता है.... मुझे नहीं मालूम था.... हाय दीदी...." मुन्ना ने जोश में अब चोदना चालू कर दिया था। मुझे भी तेज मजा आने लगा था। सुख के सागर में गोते लगाने लगी.... शायद भैया के साथ ये गलत सम्बन्ध.... गलत काम .... चोरी चोरी चुदाई में एक अजीब सा आकर्षण भी था........ जो आनन्द दुगुना किये दे रहा था।
"मुन्ना.... हाय तेरा मोटा लन्ड रे.... कितना मजा आ रहा है....फ़ाड दे रे मेरी चूत...."
"दीदी रे.... हां मेरी दीदी........ खा ले तू भी आज भैया का लन्ड........ मुझे तो दीदी.... स्वर्ग का मजा दे दिया...."
उसकी चोदने की रफ़्तार बढती जा रही थी.... मुझे कुत्ते की तरह चोदे जा रहा था.... मेरे मन की इच्छा निकलती जा रही थी.... आज मेरा भैया मेरा सैंया बन गया.... उसका लन्ड ले कर मुझे असीम शान्ति मिल रही थी।
"अब जोर से चोद दे भैय्या .... दे लन्ड.... और जोर से लन्ड मार .... मेरी चूत पानी छोड़ रही है....ऊऊऊउईईईई.... दे ....और दे.... चोद दे मुन्ना...."
मेरी चरमसीमा आ रही थी.... मैं बेहाल हो उठी थी.... मुझे लग रहा था मुझे और चोदे.... इतना चोदे कि.... बस जिन्दगी भर चोदता ही रहे .... और और.... अति उत्तेजना से मैं स्खलित होने लगी। मैं झड़ने लगी........मैं रोकने कि कोशिश करती रही पर.... मेरा रोकना किसी काम ना आया.... बस एक बार निकलना चालू हो गया तो निकलता ही गया.... मेरा शरीर खडे खडे ऐंठता रहा.... एक एक अंग अंगड़ाई लेता हुआ रिसने लगा.... मेरा जिस्म जैसे सिमटने लगा। मैं धीरे धीरे जमीन पर आने लगी। अब सभी अंगों मे उत्तेजना समाप्त होने लगी थी। मैं मुन्ना का लन्ड निकालने की कोशिश करने लगी। पर उसका शरीर पर कसाव और पकड बहुत मजबूत थी। उसका लन्ड अब मुझे मोटा और लम्बा लगने लगा था.... लन्ड के भारीपन का अह्सास होने लगा था.... मेरी चूत में अब चोट लगने लगी थी....
"भैया....छोड़ दो अब.... हाय लग रही है........"
पर उसका मोटा लन्ड लग रहा था मेरी चूत को फ़ाड डालेगा.... ओह ओह ये क्या.... मुन्ना ने अपना लन्ड मेरी चूत में जोर से गड़ा दिया.... मैं छटपटा उठी.... तेज अन्दर दर्द हुआ.... शायद जड़ तक को चीर दिया था....
मुन्ना ने अपना एक बार फिर से मेरे बोबे दाब कर आगे से ही मेरी चूत मे लन्ड घुसेड़ दिया।
गली में सन्नाटा था.... बस एक दो कुत्ते नजर आ रहे थे....कोई हमें देखने वाला या टोकने वाला नहीं था । मेरी चूत एकदम गीली थी .... लन्ड फ़च की आवाज करते हुये गहराई तक उतर गया। आग से आग मिल गयी.... मन में कसक सी उठी.... और एक हूक सी उठी.... एक सिसकारी निकल पड़ी।
"चोद दे मुन्ना.... चोद दे.... अपनी बहन को चोद दे.... आज मुझे निहाल कर दे........" मैं सिसकते हुए बोली।
"हाय दीदी....इसमें इतना मजा आता है.... मुझे नहीं मालूम था.... हाय दीदी...." मुन्ना ने जोश में अब चोदना चालू कर दिया था। मुझे भी तेज मजा आने लगा था। सुख के सागर में गोते लगाने लगी.... शायद भैया के साथ ये गलत सम्बन्ध.... गलत काम .... चोरी चोरी चुदाई में एक अजीब सा आकर्षण भी था........ जो आनन्द दुगुना किये दे रहा था।
"मुन्ना.... हाय तेरा मोटा लन्ड रे.... कितना मजा आ रहा है....फ़ाड दे रे मेरी चूत...."
"दीदी रे.... हां मेरी दीदी........ खा ले तू भी आज भैया का लन्ड........ मुझे तो दीदी.... स्वर्ग का मजा दे दिया...."
उसकी चोदने की रफ़्तार बढती जा रही थी.... मुझे कुत्ते की तरह चोदे जा रहा था.... मेरे मन की इच्छा निकलती जा रही थी.... आज मेरा भैया मेरा सैंया बन गया.... उसका लन्ड ले कर मुझे असीम शान्ति मिल रही थी।
"अब जोर से चोद दे भैय्या .... दे लन्ड.... और जोर से लन्ड मार .... मेरी चूत पानी छोड़ रही है....ऊऊऊउईईईई.... दे ....और दे.... चोद दे मुन्ना...."
मेरी चरमसीमा आ रही थी.... मैं बेहाल हो उठी थी.... मुझे लग रहा था मुझे और चोदे.... इतना चोदे कि.... बस जिन्दगी भर चोदता ही रहे .... और और.... अति उत्तेजना से मैं स्खलित होने लगी। मैं झड़ने लगी........मैं रोकने कि कोशिश करती रही पर.... मेरा रोकना किसी काम ना आया.... बस एक बार निकलना चालू हो गया तो निकलता ही गया.... मेरा शरीर खडे खडे ऐंठता रहा.... एक एक अंग अंगड़ाई लेता हुआ रिसने लगा.... मेरा जिस्म जैसे सिमटने लगा। मैं धीरे धीरे जमीन पर आने लगी। अब सभी अंगों मे उत्तेजना समाप्त होने लगी थी। मैं मुन्ना का लन्ड निकालने की कोशिश करने लगी। पर उसका शरीर पर कसाव और पकड बहुत मजबूत थी। उसका लन्ड अब मुझे मोटा और लम्बा लगने लगा था.... लन्ड के भारीपन का अह्सास होने लगा था.... मेरी चूत में अब चोट लगने लगी थी....
"भैया....छोड़ दो अब.... हाय लग रही है........"
पर उसका मोटा लन्ड लग रहा था मेरी चूत को फ़ाड डालेगा.... ओह ओह ये क्या.... मुन्ना ने अपना लन्ड मेरी चूत में जोर से गड़ा दिया.... मैं छटपटा उठी.... तेज अन्दर दर्द हुआ.... शायद जड़ तक को चीर दिया था....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.