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Gay/Lesb - LGBT मनोज से माया तक का सफर
#48


_________________अपडेट ::7________________
घर पहूंचकर में मेरे रूम में आ गया , 
मेरी गांड में हल्का सा दर्द और खुजली जैसी महसूस हो रही थी , में लेट्रिन चला गया ,
लेकिन फ्रेश होने पर भी हल्का सा दर्द महसूस हो रहा था ,
तभी मुझे मदनजी की याद आ गयी,
उनके घर भी तो जाना था , शाम के 7 बज रहे थे 8:30 के बाद पापा भी आ जाते है ,
लेकिन जाना तो था क्योंकि अगर हिस्ट्री में भी रिजल्ट खराब आया तो पापा बहुत ही गुस्सा हो जाने वाले थे ।।
मैंने अपनी ड्रेस चेंज की एक बरमूडा और टीशर्ट पहनी और नीचे आया हॉल में कमलाबाई बैठी हुई थी,
मैंने उनको कहा की पास के पार्क में जा रहा हूँ , 
तभी उसने मुझे रोका और एक 100 का नोट दिया ,
मुझे कहा की आइसक्रीम खा लेना और एक मेरे लिये भी ले आना... में खुश हो गया और जल्दी जल्दी बाहर निकल गया.. 
_____

में मदनजी के घर की और बढ़ने लगा जो मेरे घर के पास ही था ,
उनका घर 2सरे फ्लोर पर था मेंने उनके घर की बेल बजाई तो उनकी पत्नी ने दरवाजा खोला ,
उनका का कद छोटा था ..करीब 5.5 इंच लेकिन शरीर गदराया हुआ था ,
गांड और बूब्स बहुत ही आकर्षक थे और बड़े भी.... उन्होंने एक ब्लेक कलर का शार्ट गाउन पहन रखा था ..
जो उनके घुटनो तक था .. उसका गला वी-कट था.. जिसमें से उनके बूब्स साफ-साफ दिख रहे थे ,।।
उन्होंने मुझसे कहा :- तुम मनोज हो ना.. मैंने हा करी तो उन्होंने मुझको अंदर बुला लिया और बोली
तुम्हारे सर बाहर गये है घर का सामान लाने आओ वो आये तब तक हम बातें करते है..
.
में घर के अंदर आ गया.. साफ सुधरा घर था.. 
जरूरत की हर चीज थी ,
तभी मदनजी की पत्नी 
(उनका नाम दीपा था) ने एक कोल्डड्रिंक लाके 
मेरे आगे रख दिया और बोली :- जब तक तुम्हारे सर आते है तब तक कुछ ठंडा पी लो ...
.
में ठंडा पिने लगा वो मेरे सामने बैठ गयी अपनी 
टांग पे टांग चढ़ा कर .. उसकी जाँघे साफ 
दिख रही थी ..
वो बहुत ही गौरी और बिना बाल के थी .... 
में धीरे-धीरे कोल्ड्रिंक पिने लगा.. 
करीब 5 मिनिट में मैने वो कोल्ड्रिंक पी लिया, 
तभी बेल बजी दीपाजी ने दरवाजा खोला तो मदनजी आये थे ..
उन्होंने मुझको देखकर स्माइल दी में भी मुस्कराया ....उनके हाथ में जो सामान था, 
वो लेकर दीपाजी अंदर चली गयी , मदनजी मेरे पास आकर बैठ गये ,
उन्होंने एक हाथ मेरी पीठ पे रख दिया और बोले :-मनोज तुम आज बिल्कुल फ्रेश दिख रहे हो लगता है की जैसे अभी नहाकर आये हो ..
उन्होंने अपना दूसरा हाथ मेरे गाल पर रख लिया और मेरा गाल सहलाने लगे..
मुझे भी अच्छा लग रहा था वो बोले:-  देखो में नहीं चाहता हूँ की तुम फैल हो जाओ लेकिन तुम्हारा पर बहुत ही खराब है मनोज में समझ नहीं पा रहा हूँ की में क्या करूँ...??? 
में :-  सर प्लीज मुझको फैल मत कीजिये में जो आप बोलोगे वही करूँगा में रुआंसा सा हो गया था ...
.
मदनजी ने मेरा चेहरा उठाकर मुझको एक किस किया और बोले :- घबराओ मत मनोज बेटा इसका भी कुछ रास्ता निकालते है ,
लेकिन तुमको मेरा साथ देना होगा तो ही कुछ हो पायेगा....
.
में :-- सर में जो आप बोलोगे वही करूँगा लेकिन मुझको फैल मत कीजिये प्लीज.. मैने उनके पैर पकड़ लिए..
मेरे आंखों में आंसू आ गये थे ..
.
लेकिन सर ने मुझको शांत किया और मेरे आंसू पोंछ दीये ...
____

तभी दीपाजी आकर मेरे दूसरे बाजू में बैठ गयी, 
उन्होंने मेरी नँगी जांघ(बरमूडा घुटनो से ऊपर ही था)  पर हाथ रख दिया... मुझे बहुत ही मस्त लगा उनका स्पर्श..
वो बोली :- क्या हुआ बेटा तुम रो क्यों रहे हो क्या सर बे तुमको कुछ कहा या मारा क्या...???
तभी सर बोले :- अरे नहीं दीपा दरअसल इसका पेपर बहुत ही खराब हुआ है इसीलिए ये दुखी है ...
दीपाजी :- ओहो ये बात है तो आप कुछ मदद करो ना इसकी ..
देखो कितना प्यारा बच्चा है में इसको दुखी नहीं देख सकती हूँ आप कुछ करो इसकी सहायता करो ना..

मदनजी बोले :- दीपा में इसकी सहायता करना चाहता हूँ, लेकिन इसको भी कुछ करना होगा यार ।।
में :-- सर में कुछ भी करने को तैयार हूं जो आप बोलो पर मुझे फेल ना कीजियेगा प्लीज सर ...
.
सर ने मेरे चेहरे को अपने दोनो हाथों से पकड़ के मुझसे पूछा :- देखो मनोज इसमें तुमको कुछ दर्द भी हो सकता है और थोड़ी झिझक भी ..
लेकिन तुम अगर मेरा कहा मान लोगे तो में तुम्हारी पूरी मदद करूँगा बेटे ये वादा है मेरा ....
.
तभी दीपाजी ने मेरी छाती पे अपना हाथ रख दिया और बोली :- मनोज बेटा इनका कहा काम करो तो शायद ये तुम्हे अच्छे नम्बर दे देवे...
ये कहकर उन्होंने मेरे गाल चुम लिये... उनके हाथ मेरी छाती पर घूम रहे थे.....

 
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RE: मनोज से माया तक का सफर - by Salmakhan21 - 21-02-2019, 08:54 PM
RE: मनोज से माया तक का सफर - by Sexyboyforol - 13-03-2019, 09:53 AM



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