21-02-2019, 07:17 PM
सिग्नल
" सही कह रही हो मैं डर रहां था की कहीं , लेकिन वो कुछ ज्यादा ही चुलबुली लग रही थी , और एक बार किसी काम के चक्कर में उसने मुझे छत पे बुलाया ,शादीकी गहमागहमी में सब लोग नीचे थे और हम दोनों छत पर एकदम अकेले , उसने आँख नचा शरारत से मुझसे पूछा , इससे ज्यादा कोई लड़की क्या सिग्नल देगी , मैंने सोचा ,लेकिन ये भी तो एकदम निरे ,…
' अगले दिन उसने कोई शिकायत विकायत तो नहीं , "
मैं जानती थी वो क्या सोच रहे होंगे , इसलिए मैंने पूछ लिया।
" भैया कल रात को आप को लगता है ठीक से नींद नहीं आ रही थी। "
मैं तो घबड़ाया लेकिन वो बहुत अदा से बोली , " कोई बात नहीं , मुझे भी ठीक से नींद नहीं आ रही थी। " और जब तक मैं कुछ और बोलता , सीढ़ी से सीधे नीचे वो।
" कुछ और तो नहीं बोला था "मैं खोद खोद के पूछ रही थी।
वो थोड़ी देर चुप रहे जैसे कुछ सोच रहे हों , और फिर बोले ,
"हाँ ,सीढ़ी पे वो रुक गयी थी और जब मैं उसके पास पहुँच गया तो , हलके से मुस्करा के बोली ,
" आप बहुत सीधे हो , जितना मैं सोचती थी , उससे भी ज्यादा "
और ये कहके हंसती हुयी नीचे उत्तर गयी।
और मैं समझ गयी उसका मतलब। सच में इतने सिगनल , फिर भी इंजन भरतपुर के स्टेशन पे नहीं घुसा।
" दिन में देर तक , मैं उसकी सहेलियों के साथ मिल के कभी डेकोरेशन , कभी शॉपिंग , हाँ एक बात और , जब मैं शॉपिंग के लिए जा रहा था तो वो मुझसे अकेले मेंआके बोली ,उसकी केयर फ्री खत्म हो गयी है , मैं ले आऊं , लेकिन बाजार में पहुंचा ही था उसका एक एस एम एस आया, ढेर सारी स्माइलिज और ' रहने दो , अबजरूरत नहीं है। छुट्टी खत्म।
मेरा तो मन हुआ माथा पीट लूँ।
और मैंने बोल ही दिया ,
" यार तुम बास्तव में बुद्धू हो। ये उसका कहने का तरीका था की उसके ' वो दिन ' खत्म हो गए हैं और वो रेड़ी है। उस दिन तो लड़की को वो खुजली मचती है कीबस , और उससे बढ़ के वो एकदम सेफ दिन होता। तुमसे ज्यादा तो वो ही , अच्छा जाओ जरा हमलोगों का वेडिंग एलबम ले आओ।
वो ले आये।
मैंने एक फोटो निकाल ली आपने वेडिंग एल्बम से , एकदम मस्त माल लग रही थी।
झूम झूम के वो नाच रही थी। इस फोटो में उसकी चुन्नी नीचे सरक गयी थी , और उसके छोटे छोटे कड़े कड़े ,नए आये उभार एकदम साफ दिख रहे थे ,और हलकासा क्लीवेज भी।
" कित्ते मस्त लग रहे हैं न उसके जोबन , एकदम दबाने लायक " मैंने उनकी आँखों में आखें डाल कर कहा।
उनकी आँखे भी अपनी उस मस्त ममेरी बहन के उभारों से चिपकी थीं।
मैंने उनकी ऊँगली पकड़ कर , उसके कच्चे टिकोरों पे रख दीं।
" दबाओगे ने , इसे बोल न " मैंने और उकसाया।
ललचाई नज़रों से उसके उभारों को देखते उन्होंने स्वीकारा , " हूँ ,.... हाँ, …"
" उस दिन रात में उसके मम्मे छूने में ,सहलाने में मजा आया था न " मैंने पूछा। [/
ललचाई नज़रों से उसके उभारों को देखते उन्होंने स्वीकारा , " हूँ ,.... हाँ, …"
" उस दिन रात में उसके मम्मे छूने में ,सहलाने में मजा आया था न " मैंने पूछा।
वो उस रात की यादों में खोये हुए थे जब यही उभार उनकी मुट्ठी में थे।
" हाँ बहुत , खूब अच्छा लग रहा था। " ख्यालों में डूबे वो बोले।
" फ्राक के ऊपर से ही दबाया था न " मैंने हलके से उनके कान में फुसफुसाया।
" हाँ पतली सी ,कॉटन की फ्राक थी , बहुत अच्छा लग रहा था दबाने में। " वो खोये खोये बोले।
" हाँ उसके टिकोरे हैं ही बहुत मस्त , अबकी मायके चलोगे न अपने तो दिलवा दूंगी उसकी खोल के ,बोल दबाओगे न " उनका नाड़ा खोलते हुए मैंने पूछा।
जवाब उनके औजार ने दिया , एकदम टनाटन। खूब कड़ा ,तना।
" सिर्फ उसके जोबन , चूंचियां दबाने में मजा आया था , या उसकी घुन्डियाँ भी पकड़ने में " मैंने हलके हलके मुठियाते पूछा।
" घुन्डियाँ भी , मटर के दाने ऐसी थीं कड़ी कड़ी। " वो बोले।
अब मैंने उनका औजार उनके हाथ में पकड़ा दिया और एक दो बार ऊपर नीचे करके , फिर बोला ,
" चल न दिलवा दूंगी उसकी लेकिन अबकी मत शरमा के बीच में , पहले उाकी हलके हलके पकड़ के छूना , सहलाना , खूब हलके से जैसे उस रात कर रहे थे , फिरधीरे धीरे दबाना। "
हूँ हलके से वो बोले और उन्होंने अपना मुठियाना शुरू कर दिया था।
" बहुत मजा अायेगा उसके मम्मे दबाने में ,सच्ची , फिर जोर जोर से दबाना ,रगड़ना ,मसलना " मैं हलके से उनके कान में बोली।
वो एकदम खोये खोये थे आँखे बंद , " लेकिन अगर वो मना करे तो :
बहुत धीमे से वो बोले।
मैं हूँ न तुम काहें चिंता कर रहे हो , मैं दिलवाऊँगी उसकी , सीधे से न माने तो जबरन , इत्ते दिन से तुम्हे अपने उभार दिखा दिखा के ललचा रही है , पहले तो खूबचूंची दबाना , फिर घुंडी भी। और एक घुंडी मुंह में ले के हलके हलके चूसना चुभलाना , बहुत रस है साली के जुबना में। "
जवाब उनका हाथ दे रहां था , मुठियाने की स्पीड बढ़ गयी थी।
" हाँ , हूँ " उनकी आँखे आधी बंद थी , वो सिसक रहे थे।
" और थोड़ा बहुत छिनालपना करे न ,नखड़ा दिखाए न तो जबरदस्ती करना , कस कस दबाना ,मसलना उसकी चूंची , देखना कुछ देर में ही खुद ही साल्ली ,छिनारबोलेगी , ' हाँ भइया , और जोर से दबाओ , कस कस के मसलो ,रगड़ो मेरी चूंची। ' छोड़ना मत उसको। " मैं उनको और जोर से चढ़ा रही थी।
वह कल्पना की दुनिया में खो गए थे , और मुठियाने की रफ्तार तेज हो गयी थी।
" सही कह रही हो मैं डर रहां था की कहीं , लेकिन वो कुछ ज्यादा ही चुलबुली लग रही थी , और एक बार किसी काम के चक्कर में उसने मुझे छत पे बुलाया ,शादीकी गहमागहमी में सब लोग नीचे थे और हम दोनों छत पर एकदम अकेले , उसने आँख नचा शरारत से मुझसे पूछा , इससे ज्यादा कोई लड़की क्या सिग्नल देगी , मैंने सोचा ,लेकिन ये भी तो एकदम निरे ,…
' अगले दिन उसने कोई शिकायत विकायत तो नहीं , "
मैं जानती थी वो क्या सोच रहे होंगे , इसलिए मैंने पूछ लिया।
" भैया कल रात को आप को लगता है ठीक से नींद नहीं आ रही थी। "
मैं तो घबड़ाया लेकिन वो बहुत अदा से बोली , " कोई बात नहीं , मुझे भी ठीक से नींद नहीं आ रही थी। " और जब तक मैं कुछ और बोलता , सीढ़ी से सीधे नीचे वो।
" कुछ और तो नहीं बोला था "मैं खोद खोद के पूछ रही थी।
वो थोड़ी देर चुप रहे जैसे कुछ सोच रहे हों , और फिर बोले ,
"हाँ ,सीढ़ी पे वो रुक गयी थी और जब मैं उसके पास पहुँच गया तो , हलके से मुस्करा के बोली ,
" आप बहुत सीधे हो , जितना मैं सोचती थी , उससे भी ज्यादा "
और ये कहके हंसती हुयी नीचे उत्तर गयी।
और मैं समझ गयी उसका मतलब। सच में इतने सिगनल , फिर भी इंजन भरतपुर के स्टेशन पे नहीं घुसा।
" दिन में देर तक , मैं उसकी सहेलियों के साथ मिल के कभी डेकोरेशन , कभी शॉपिंग , हाँ एक बात और , जब मैं शॉपिंग के लिए जा रहा था तो वो मुझसे अकेले मेंआके बोली ,उसकी केयर फ्री खत्म हो गयी है , मैं ले आऊं , लेकिन बाजार में पहुंचा ही था उसका एक एस एम एस आया, ढेर सारी स्माइलिज और ' रहने दो , अबजरूरत नहीं है। छुट्टी खत्म।
मेरा तो मन हुआ माथा पीट लूँ।
और मैंने बोल ही दिया ,
" यार तुम बास्तव में बुद्धू हो। ये उसका कहने का तरीका था की उसके ' वो दिन ' खत्म हो गए हैं और वो रेड़ी है। उस दिन तो लड़की को वो खुजली मचती है कीबस , और उससे बढ़ के वो एकदम सेफ दिन होता। तुमसे ज्यादा तो वो ही , अच्छा जाओ जरा हमलोगों का वेडिंग एलबम ले आओ।
वो ले आये।
मैंने एक फोटो निकाल ली आपने वेडिंग एल्बम से , एकदम मस्त माल लग रही थी।
झूम झूम के वो नाच रही थी। इस फोटो में उसकी चुन्नी नीचे सरक गयी थी , और उसके छोटे छोटे कड़े कड़े ,नए आये उभार एकदम साफ दिख रहे थे ,और हलकासा क्लीवेज भी।
" कित्ते मस्त लग रहे हैं न उसके जोबन , एकदम दबाने लायक " मैंने उनकी आँखों में आखें डाल कर कहा।
उनकी आँखे भी अपनी उस मस्त ममेरी बहन के उभारों से चिपकी थीं।
मैंने उनकी ऊँगली पकड़ कर , उसके कच्चे टिकोरों पे रख दीं।
" दबाओगे ने , इसे बोल न " मैंने और उकसाया।
ललचाई नज़रों से उसके उभारों को देखते उन्होंने स्वीकारा , " हूँ ,.... हाँ, …"
" उस दिन रात में उसके मम्मे छूने में ,सहलाने में मजा आया था न " मैंने पूछा। [/
ललचाई नज़रों से उसके उभारों को देखते उन्होंने स्वीकारा , " हूँ ,.... हाँ, …"
" उस दिन रात में उसके मम्मे छूने में ,सहलाने में मजा आया था न " मैंने पूछा।
वो उस रात की यादों में खोये हुए थे जब यही उभार उनकी मुट्ठी में थे।
" हाँ बहुत , खूब अच्छा लग रहा था। " ख्यालों में डूबे वो बोले।
" फ्राक के ऊपर से ही दबाया था न " मैंने हलके से उनके कान में फुसफुसाया।
" हाँ पतली सी ,कॉटन की फ्राक थी , बहुत अच्छा लग रहा था दबाने में। " वो खोये खोये बोले।
" हाँ उसके टिकोरे हैं ही बहुत मस्त , अबकी मायके चलोगे न अपने तो दिलवा दूंगी उसकी खोल के ,बोल दबाओगे न " उनका नाड़ा खोलते हुए मैंने पूछा।
जवाब उनके औजार ने दिया , एकदम टनाटन। खूब कड़ा ,तना।
" सिर्फ उसके जोबन , चूंचियां दबाने में मजा आया था , या उसकी घुन्डियाँ भी पकड़ने में " मैंने हलके हलके मुठियाते पूछा।
" घुन्डियाँ भी , मटर के दाने ऐसी थीं कड़ी कड़ी। " वो बोले।
अब मैंने उनका औजार उनके हाथ में पकड़ा दिया और एक दो बार ऊपर नीचे करके , फिर बोला ,
" चल न दिलवा दूंगी उसकी लेकिन अबकी मत शरमा के बीच में , पहले उाकी हलके हलके पकड़ के छूना , सहलाना , खूब हलके से जैसे उस रात कर रहे थे , फिरधीरे धीरे दबाना। "
हूँ हलके से वो बोले और उन्होंने अपना मुठियाना शुरू कर दिया था।
" बहुत मजा अायेगा उसके मम्मे दबाने में ,सच्ची , फिर जोर जोर से दबाना ,रगड़ना ,मसलना " मैं हलके से उनके कान में बोली।
वो एकदम खोये खोये थे आँखे बंद , " लेकिन अगर वो मना करे तो :
बहुत धीमे से वो बोले।
मैं हूँ न तुम काहें चिंता कर रहे हो , मैं दिलवाऊँगी उसकी , सीधे से न माने तो जबरन , इत्ते दिन से तुम्हे अपने उभार दिखा दिखा के ललचा रही है , पहले तो खूबचूंची दबाना , फिर घुंडी भी। और एक घुंडी मुंह में ले के हलके हलके चूसना चुभलाना , बहुत रस है साली के जुबना में। "
जवाब उनका हाथ दे रहां था , मुठियाने की स्पीड बढ़ गयी थी।
" हाँ , हूँ " उनकी आँखे आधी बंद थी , वो सिसक रहे थे।
" और थोड़ा बहुत छिनालपना करे न ,नखड़ा दिखाए न तो जबरदस्ती करना , कस कस दबाना ,मसलना उसकी चूंची , देखना कुछ देर में ही खुद ही साल्ली ,छिनारबोलेगी , ' हाँ भइया , और जोर से दबाओ , कस कस के मसलो ,रगड़ो मेरी चूंची। ' छोड़ना मत उसको। " मैं उनको और जोर से चढ़ा रही थी।
वह कल्पना की दुनिया में खो गए थे , और मुठियाने की रफ्तार तेज हो गयी थी।