18-05-2020, 05:22 PM
(18-03-2020, 05:25 PM)neerathemall Wrote:किसी ने देख लिया तो
किसी ने देख लिया था जो साथ चलते हुए
पहुँच गई है कहाँ जाने बात चलते हुए
सफ़र सफ़र है कभी राएगाँ नहीं होता
सर-ए-सहर चली आई है रात चलते हुए
सुना है तुम भी इसी दश्त-ए-ग़म से गुज़रे हो
सो हम ने की है बड़ी एहतियात चलते हुए
हम अपनी उखड़ी हुई साँसों को बहाल करें
कहीं रखे तो सही काएनात चलते हुए
हवा रुकी तो अजब हुस्न था मगर 'शहबाज़'
गिरा गई है कई सूखे
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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