21-02-2019, 02:57 PM
मैं हंस दिया। सब सो गए। पिछली रात की तरह भाभी का फिर से वही हाल था लेकिन मेरा नहीं ! कल तो दूर से देखा था और आज इतने पास से ! मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा। तभी भाभी घूमी और उनका हाथ मेरे लंड पर आ गिरा। एक तो मेरा लंड खड़ा था और साथ में भाभी का हाथ ! मजा भी आया और डर भी लग रहा था।
कुछ देर तक मैं ऐसे ही रहा, फिर मैंने भाभी का हाथ दबाया अपने लंड पर ! क्या मजा आ रहा था।
फिर भाभी का हाथ पकड़ कर लंड को सहलाने लगा, उस पर भी भाभी की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने भाभी का हाथ उठाया और अपने निक्कर के अंदर दे दिया। अब भाभी का हाथ मेरे नंगे लंड पर था, मुझ से रहा न गया और अपनी निक्कर और कच्छा भी उतार दिया। अब मैं भाभी का हाथ पकड़ कर अपना लंड हिला रहा था।
फिर भाभी की मैक्सी जो जाँघों तक उठी हुई थी, उसे देखने लगा कि कुछ दिखता है या नहीं।
मैंने देखा कि भाभी के कच्छी नहीं पहनी थी उसकी चूत दिख रही थी, पर अँधेरे में साफ़ नजर नहीं आ रही थी। धीरे धीरे मैं भाभी की जाँघों को छू रहा था, चूम रहा था। फिर मैं ऊपर आया और भाभी की चूची का जायजा लेने लगा, देखने में बड़े थे और छूने से पता चला कि वाकई में बड़े थे।
कुछ देर मैं उन्हें दबाता रहा और मैक्सी के ऊपर से ही चूचियाँ चूसने लगा, किस करने लगा और भी बहुत कुछ !
साथ में अपना लंड भी हिला रहा था।
20-25 मिनट एक बाद मेरा वीर्य गिरने लगा, वो भी भाभी के कपड़ों पर ! अब मैं शांत हो गया था, मैंने कपड़े पहने और सो गया।
मैं उठा तो भाभी नहा कर आई और कहने लगी- देवर जी, आपने तो कल मेरे कपड़ों के साथ मेरे हाथ भी गंदे कर दिए, आपने क्या सोंचा हाथ में से उसकी खुशबू नहीं आएगी?
कैसे भी रात हो गई, मैं कमरे में सोने गया। भाभी भी थोड़ी देर बाद आई, वो भी मेरे बगल में सोने लगी, अभी हम जाग ही रहे थे। भाभी बोली- देवर जी, आज भी मेरे कपडे गंदे करने हैं क्या?
कुछ देर तक मैं ऐसे ही रहा, फिर मैंने भाभी का हाथ दबाया अपने लंड पर ! क्या मजा आ रहा था।
फिर भाभी का हाथ पकड़ कर लंड को सहलाने लगा, उस पर भी भाभी की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने भाभी का हाथ उठाया और अपने निक्कर के अंदर दे दिया। अब भाभी का हाथ मेरे नंगे लंड पर था, मुझ से रहा न गया और अपनी निक्कर और कच्छा भी उतार दिया। अब मैं भाभी का हाथ पकड़ कर अपना लंड हिला रहा था।
फिर भाभी की मैक्सी जो जाँघों तक उठी हुई थी, उसे देखने लगा कि कुछ दिखता है या नहीं।
मैंने देखा कि भाभी के कच्छी नहीं पहनी थी उसकी चूत दिख रही थी, पर अँधेरे में साफ़ नजर नहीं आ रही थी। धीरे धीरे मैं भाभी की जाँघों को छू रहा था, चूम रहा था। फिर मैं ऊपर आया और भाभी की चूची का जायजा लेने लगा, देखने में बड़े थे और छूने से पता चला कि वाकई में बड़े थे।
कुछ देर मैं उन्हें दबाता रहा और मैक्सी के ऊपर से ही चूचियाँ चूसने लगा, किस करने लगा और भी बहुत कुछ !
साथ में अपना लंड भी हिला रहा था।
20-25 मिनट एक बाद मेरा वीर्य गिरने लगा, वो भी भाभी के कपड़ों पर ! अब मैं शांत हो गया था, मैंने कपड़े पहने और सो गया।
मैं उठा तो भाभी नहा कर आई और कहने लगी- देवर जी, आपने तो कल मेरे कपड़ों के साथ मेरे हाथ भी गंदे कर दिए, आपने क्या सोंचा हाथ में से उसकी खुशबू नहीं आएगी?
कैसे भी रात हो गई, मैं कमरे में सोने गया। भाभी भी थोड़ी देर बाद आई, वो भी मेरे बगल में सोने लगी, अभी हम जाग ही रहे थे। भाभी बोली- देवर जी, आज भी मेरे कपडे गंदे करने हैं क्या?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.