21-02-2019, 02:54 PM
मैं कुछ दिनों के लिए अपने मामा के यहाँ गया हुआ था, वहाँ मेरे मामा, मामी, उनका बेटा रोहित और उसकी बीवी अंजलि हैं, उनकी शादी 6 महीने पहले ही हुई थी। भाभी की उम्र यही कोई 22-23 होगी, कसा हुआ बदन, गोरा रंग !
सभी मेरा बहुत ख्याल रख रहे थे। मामा का बेटा फ़ौज में है, उस समय भी वो घर पर नहीं था, एक महीने बाद आने वाला था। मामा भी सरकारी नौकरी वाले थे तो वो भी उसमें व्यस्त रहते थे और खाली होते तो खेतों के काम में लग जाते। मामी थोड़ी बीमार सी रहती थी, उनका समय आस-पड़ोस के घरों में बातचीत करके या मंदिरों में बीतता था।
मामा ने मुझे कहा- बेटा, तेरे भैया एक महीने बाद आयेंगे, तब तक यहीं रुक जा तू ! बहू का भी मन लगा रहेगा।
मामी ने भी कहा और भाभी का भी यही कहना था तो मैं रुक गया।
अब मेरा ज्यादा वक्त भाभी के साथ ही गुजरता। दो दिन हो गए थे मुझे। मैं अपने फ़ोन में नंगी फिल्में रखता हूँ, एक दिन भाभी मेरा फ़ोन देख रही थी तो शायद उसने वो भी देख ली थी, शाम को मेरे से पूछ बैठी- देवर जी, आप बड़े हो गए हो ! किसी लड़की से दोस्ती की है या नहीं...?
मैंने कहा- की तो है..
तब उन्होंने पूछा- ..सिर्फ दोस्ती की है या कुछ और भी किया है?
मैंने कहा- नहीं भाभी, सिर्फ दोस्ती है और कुछ नहीं !
भाभी ने कहा- तो क्या फ़ोन में जो रखा है उन्हें देख कर क्या करते हो?
मैं समझ गया कि भाभी ने वो फ़िल्में देख ली हैं।
मैंने झट से कहा- वो तो बस ऐसे ही पड़ी हैं, देखने का वक्त ही कहाँ मिलता है !
भाभी ने कहा- दूसरो को दिखाने के लिए रखी हैं !
और हंस दी।
मैं भी हंस दिया। फिर भाभी ने कहा- वैसे काफी अच्छी फ़िल्में हैं, मैंने सभी देख ली थी।
मैंने भाभी से कहा- भाभी, लेकिन वो तो 126 फ़िल्में थी, आपने एक दिन में कैसे देख ली सब?
भाभी ने कहा- बस देख ली और सब्र कर लिया।
मैंने कहा- कैसा सब्र?
तब भाभी ने कहा- अब चुप रहो ! बहुत बदमाशी कर ली !
सब सोने चल दिए।
सभी मेरा बहुत ख्याल रख रहे थे। मामा का बेटा फ़ौज में है, उस समय भी वो घर पर नहीं था, एक महीने बाद आने वाला था। मामा भी सरकारी नौकरी वाले थे तो वो भी उसमें व्यस्त रहते थे और खाली होते तो खेतों के काम में लग जाते। मामी थोड़ी बीमार सी रहती थी, उनका समय आस-पड़ोस के घरों में बातचीत करके या मंदिरों में बीतता था।
मामा ने मुझे कहा- बेटा, तेरे भैया एक महीने बाद आयेंगे, तब तक यहीं रुक जा तू ! बहू का भी मन लगा रहेगा।
मामी ने भी कहा और भाभी का भी यही कहना था तो मैं रुक गया।
अब मेरा ज्यादा वक्त भाभी के साथ ही गुजरता। दो दिन हो गए थे मुझे। मैं अपने फ़ोन में नंगी फिल्में रखता हूँ, एक दिन भाभी मेरा फ़ोन देख रही थी तो शायद उसने वो भी देख ली थी, शाम को मेरे से पूछ बैठी- देवर जी, आप बड़े हो गए हो ! किसी लड़की से दोस्ती की है या नहीं...?
मैंने कहा- की तो है..
तब उन्होंने पूछा- ..सिर्फ दोस्ती की है या कुछ और भी किया है?
मैंने कहा- नहीं भाभी, सिर्फ दोस्ती है और कुछ नहीं !
भाभी ने कहा- तो क्या फ़ोन में जो रखा है उन्हें देख कर क्या करते हो?
मैं समझ गया कि भाभी ने वो फ़िल्में देख ली हैं।
मैंने झट से कहा- वो तो बस ऐसे ही पड़ी हैं, देखने का वक्त ही कहाँ मिलता है !
भाभी ने कहा- दूसरो को दिखाने के लिए रखी हैं !
और हंस दी।
मैं भी हंस दिया। फिर भाभी ने कहा- वैसे काफी अच्छी फ़िल्में हैं, मैंने सभी देख ली थी।
मैंने भाभी से कहा- भाभी, लेकिन वो तो 126 फ़िल्में थी, आपने एक दिन में कैसे देख ली सब?
भाभी ने कहा- बस देख ली और सब्र कर लिया।
मैंने कहा- कैसा सब्र?
तब भाभी ने कहा- अब चुप रहो ! बहुत बदमाशी कर ली !
सब सोने चल दिए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.