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चचेरे भाई की बीवी
#15
"महीने के कुछ दिन ख़ास होते हैं.... तब मेरी बच्चेदानी में अंडा होता है... उसे जब मर्द का बीज आकर मिलता है तब बच्चा पैदा होता है.... लेकिन तू फ़िक्र मत कर... जिस दिन मेरी बच्चेदानी में अंडा हुआ और चूत में तेरे लंड की खुजली हुई, तो तू कॉंडम पहनकर मेरे साथ सेक्स कर लेना... वैसे भी मुझे भी एक नाजायज़ औलाद को जन्म नही देना"

मैं भाभी का पेट चूमता रहा. भाभी साड़ी पहन कर तय्यार हो रही थी. मैं नंगा ही उनका पेट चूम रहा था. उनकी बातें सुन के मेरा लंड पूरा तन गया.

भाभी बोली, "चल राजू, तू भी कपड़े पहन ले.... हाय राम, इतनी चुदाई के बाद भी तेरा लंड खड़ा हो गया... कोई हैवान छुपा है तेरे लंड में."

"भाभी... बस आपके प्यार को तरसता है ये.... इसे थोड़ा प्यार कर लो ना"
मैने उपर उठ कर बोला. भाभी मुस्कुराई और ज़मीन पर बैठ कर मेरा लंड हाथ में लेकर उससे खेलने लगी. उन्होने मेरे लंड पर थूका और मेरा लंड पर थूक मलने लगी.

वो मेरे लंड को हिलाने लगी. मेरे लंड के टोपे पर पानी आ चुका था जिसे भाभी ने जीभ निकल कर चखा.
"बड़ा अच्छा स्वाद है तेरे लंड का, राजू"
भाभी मेरे लंड को चूम रही थी, चाट रही थी. मैं उम्मीद कर रहा था की भाभी मेरे लंड को चूसेंगी. लेकिन भाभी ने ऐसा नही किया. उन्होने मेरे दोनो टटटे पकड़े और बारी-बारी से एक-एक को मूँह में लेकर चूसा.

मुझसे रहा नही गया और मैने भाभी का चेहरा पकड़ा और लंड मूँह में डालकर अंदर-बाहर करने लगा. भाभी ने चूतड़ पर चपत लगाई. लंड मूँह से निकालकर बोली "अभी सिखाया हुआ पाठ भूल गया. मेरे साथ कुछ भी ज़बरदस्ती मत करना... इजाज़त ले हमेशा."

"सॉरी भाभी... पर लंड बहुत तंग कर रहा था... प्लीज़ चूसो ना इसे"
भाभी मेरे लंड को चूसने लगी और मेरे टटटे सहलाने लगी.

उन्होने लंड मूह से बाहर निकाला और बोली "राजू, मैं अभी नहा कर आई हूँ इसलिए मुझे गंदा मत करना... मेरे मुँह में ही अपना वीर्य निकल देना" और भाभी फिर से मेरा लंड चूसने लगी.

भाभी पूरे चाव से मेरा लंड चूस रही थी और प्यार से मेरे टटटे सहला रही थी. फिर उन्होने एक हाथ मेरे चूतड़ पर रख दिए और प्यार से चूतड़ सहलाने लगी. वो मेरा लंड चूस रही थी और साथ ही मेरे टटटे और चूतड़ सहला रही थी. फिर उन्होने अपनी उंगली ली और मेरे चूतड़ के छेद को उससे रगड़ने लगी. इतने में मैंने भाभी का सिर पकड़ा और मूँह में ही छूटने लगा. करीब ३० सेकेंड छूटा और फिर शांत हो गया.

भाभी मेरा सारा माल पी गयी. मैं फर्श पर ही लेट गया. भाभी अपनी साड़ी ठीक करने लगी.
"चल राजू... कपड़े पहन ले और अपने कमरे में चला जा."

मैं उठा. भाभी का पल्लू हटा के नाभि चूमी, कुछ देर पेट को अपने चेहरे से लगाया और फिर कपड़े उठा कर नंगा ही अपने कमरे में चला गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: चचेरे भाई की बीवी - by neerathemall - 21-02-2019, 02:51 PM



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