21-02-2019, 02:49 PM
मुझे लगा की फिर से सज़ा मिलेगी. लेकिन भाभी मेरे पास आई और मेरे लंड पर अपना थूक थूका और बोली "ले, इसे अपने पूरे लंड पर मल और फिर हिला"
मैने वैसा ही किया और मुझे और आनंद मिला. मैं आँखें बंद करके अपना लंड हिलाए जा रहा था. तभी मुझे अपने लंड पर कुछ गीला गरम-सा महसूस हुआ. मैने नीचे सिर झुकाया तो पाया की भाभी मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी. मैने अपना हाथ लंड से हटाया और भाभी ने मेरे लंड के पूरे आठ इंच अपना मुँह में ले लिए. भाभी अपनी जीभ से मेरा पूरा लंड चाट रही थी. उनकी आँखें बंद थी और चाटते हुए उन्होने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला और मेरे लंड के मूतने वाले छेद को जीभ से चाटने लगी.
मैं भाभी के बालों को सहलाते हुए बोल पड़ा "सुम्मी... चूसो इसे... चूस एक ढाई रुपये वाली रंडी के जैसे... मुझे मालूम है की तू कैसी लालची निगाहों से इसे देखती है.... चूस इसे... और प्यास बुझाले अपनी..."
भाभी ये सुनके मेरा लंड ज़ोर से चूसने लगी और हल्के-हल्के मेरे टट्टो को सहलाने लगी. मुझसे रहा नही गया. मैने भाभी का चेहरा दोनो हाथों से पकड़ा और कसके अपना लंड उनके मुँह से अंदर-बाहर करने लगा. कुछ ही देर में भाभी मेरी गांड पर चपत लगाने लगी और चिकोटी काटने लगी. मुझे दर्द हुआ तो मैने उन्हे छोड़ दिया.
भाभी कुछ देर खाँसी और फिर बोली "तू और तेरा भाई... दोनो एक नंबर के भड़वे.... साले मेरे से अपना लंड मज़े से चुस्वाएँगे... लेकिन दोनो में से कोई भी मेरी बुर नही चाटेगा.... चल इधर आ... और चाट इसे"
भाभी बिस्तर पर बैठ गयी. मैं ज़मीन पर अपने घुटनों पर बैठ गया. मैने उनकी साड़ी का पल्लू हटाया और उनका खूबसूरत पेट और नाभि नज़र आई. मुझसे रहा नही गया मैने उनकी नाभि चूम ली और पेट को अपने चेहरे से लगा लिया. भाभी ने मेरे बाल खीचें और बोली "साले... चूत चाटने को बोला था... मेरा पेट क्यों चूम रहा है?"
"भाभी, प्लीज़... आप नही जानती हो की आपके पेट और नाभि का मैं कितना दीवाना हूँ... दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ है ये... आपका गुलाम बनके रहूँगा हमेशा, बस मुझसे इसे प्यार करने दो"
भाभी ने मुझे अपने पेट और नाभि को खूब प्यार करने दिया.
"चल... अब देर मत कर... मेरी चूत बहुत प्यासी है"
मैने भाभी की साड़ी उठाई और उनकी खूबसूरत जांघें चूम ली. जांघें चूमते हुए मैने उनकी चड्डी उतार दी. फिर उनकी चूत के पास जाकर एक गहरी साँस अंदर ली. वो भाभी के बदन की असली खुश्बू थी. वो खुश्बू से मैं पागल हो गया और भाभी की चूत को मैने चूम लिया.
भाभी के मुँह से "आह!" निकल पड़ी. मैने सिर उठाकर उपर देखा तो भाभी के आँखें बंद थी और चहेरे पर कामुकता के खूबसूरत भाव थे.
भाभी बोली, "राजू, फिर से कर... बहुत तड़पाती है ये कमीनी". मैंने भाभी को थोड़ा परेशान करने की सोची. मैने चूत के पास अपना मुँह लगाया और दोनो जांघों को पास लाकर अपने गालों से चिपका लिया. फिर चूत के इर्द-गिर्द ही अपनी जीभ से भाभी की चूत छेड़नी शुरू की. मैने ठान ली की जबतक भाभी खुद तड़प कर मुझसे चूत चाटने को ना बोले, मैं उनकी चूत नही चाटूंगा. और मैने वैसा ही किया.
चूत के इर्द-गिर्द ही जीभ घुमा रहा था और इसके साथ ही मेरी खुरदरी दाढ़ी भाभी की जांघों को सता रही थी. भाभी बार बार सोच रही थी की मैं चूत अब चाटूँगा लेकिन मैं ऐसा नही कर रहा था. तंग आकर भाभी ने अपना हाथ मेरे सिर पर लगाकर मुझसे अपनी चूत चटवाने की कोशिश की लेकिन मैने फिर भी उनकी चूत नही चाटी. आख़िर में भाभी के सब्र का बाँध टूट गया और वो बोली "भड़वे साले... चाट ले ना अब मेरी चूत को"
मैने वैसा ही किया और मुझे और आनंद मिला. मैं आँखें बंद करके अपना लंड हिलाए जा रहा था. तभी मुझे अपने लंड पर कुछ गीला गरम-सा महसूस हुआ. मैने नीचे सिर झुकाया तो पाया की भाभी मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी. मैने अपना हाथ लंड से हटाया और भाभी ने मेरे लंड के पूरे आठ इंच अपना मुँह में ले लिए. भाभी अपनी जीभ से मेरा पूरा लंड चाट रही थी. उनकी आँखें बंद थी और चाटते हुए उन्होने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला और मेरे लंड के मूतने वाले छेद को जीभ से चाटने लगी.
मैं भाभी के बालों को सहलाते हुए बोल पड़ा "सुम्मी... चूसो इसे... चूस एक ढाई रुपये वाली रंडी के जैसे... मुझे मालूम है की तू कैसी लालची निगाहों से इसे देखती है.... चूस इसे... और प्यास बुझाले अपनी..."
भाभी ये सुनके मेरा लंड ज़ोर से चूसने लगी और हल्के-हल्के मेरे टट्टो को सहलाने लगी. मुझसे रहा नही गया. मैने भाभी का चेहरा दोनो हाथों से पकड़ा और कसके अपना लंड उनके मुँह से अंदर-बाहर करने लगा. कुछ ही देर में भाभी मेरी गांड पर चपत लगाने लगी और चिकोटी काटने लगी. मुझे दर्द हुआ तो मैने उन्हे छोड़ दिया.
भाभी कुछ देर खाँसी और फिर बोली "तू और तेरा भाई... दोनो एक नंबर के भड़वे.... साले मेरे से अपना लंड मज़े से चुस्वाएँगे... लेकिन दोनो में से कोई भी मेरी बुर नही चाटेगा.... चल इधर आ... और चाट इसे"
भाभी बिस्तर पर बैठ गयी. मैं ज़मीन पर अपने घुटनों पर बैठ गया. मैने उनकी साड़ी का पल्लू हटाया और उनका खूबसूरत पेट और नाभि नज़र आई. मुझसे रहा नही गया मैने उनकी नाभि चूम ली और पेट को अपने चेहरे से लगा लिया. भाभी ने मेरे बाल खीचें और बोली "साले... चूत चाटने को बोला था... मेरा पेट क्यों चूम रहा है?"
"भाभी, प्लीज़... आप नही जानती हो की आपके पेट और नाभि का मैं कितना दीवाना हूँ... दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ है ये... आपका गुलाम बनके रहूँगा हमेशा, बस मुझसे इसे प्यार करने दो"
भाभी ने मुझे अपने पेट और नाभि को खूब प्यार करने दिया.
"चल... अब देर मत कर... मेरी चूत बहुत प्यासी है"
मैने भाभी की साड़ी उठाई और उनकी खूबसूरत जांघें चूम ली. जांघें चूमते हुए मैने उनकी चड्डी उतार दी. फिर उनकी चूत के पास जाकर एक गहरी साँस अंदर ली. वो भाभी के बदन की असली खुश्बू थी. वो खुश्बू से मैं पागल हो गया और भाभी की चूत को मैने चूम लिया.
भाभी के मुँह से "आह!" निकल पड़ी. मैने सिर उठाकर उपर देखा तो भाभी के आँखें बंद थी और चहेरे पर कामुकता के खूबसूरत भाव थे.
भाभी बोली, "राजू, फिर से कर... बहुत तड़पाती है ये कमीनी". मैंने भाभी को थोड़ा परेशान करने की सोची. मैने चूत के पास अपना मुँह लगाया और दोनो जांघों को पास लाकर अपने गालों से चिपका लिया. फिर चूत के इर्द-गिर्द ही अपनी जीभ से भाभी की चूत छेड़नी शुरू की. मैने ठान ली की जबतक भाभी खुद तड़प कर मुझसे चूत चाटने को ना बोले, मैं उनकी चूत नही चाटूंगा. और मैने वैसा ही किया.
चूत के इर्द-गिर्द ही जीभ घुमा रहा था और इसके साथ ही मेरी खुरदरी दाढ़ी भाभी की जांघों को सता रही थी. भाभी बार बार सोच रही थी की मैं चूत अब चाटूँगा लेकिन मैं ऐसा नही कर रहा था. तंग आकर भाभी ने अपना हाथ मेरे सिर पर लगाकर मुझसे अपनी चूत चटवाने की कोशिश की लेकिन मैने फिर भी उनकी चूत नही चाटी. आख़िर में भाभी के सब्र का बाँध टूट गया और वो बोली "भड़वे साले... चाट ले ना अब मेरी चूत को"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.