21-02-2019, 02:48 PM
मैं उपर की ओर बढ़ा और भाभी के कमरे तक पहुँचा. मैने दरवाज़ा खटखटने की सोची लेकिन कुत्ते की पूंछ कभी सीधी हुई है? मैं हर बार की तरह चाभी वाले छेद से अंदर झाँकने के लिए झुका. नज़ारा देख कर मेरी आँखें फटी रह गयी और मेरा लंड फनफना कर खड़ा हो गया. सामने भाभी केवल गुलाबी रंग की ब्रा और चड्डी में खड़ी खुद को शीशे में निहार रही थी.
मैं अपना लंड निकल कर धीरे-धीरे हिलने लगा. भाभी के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी. वो अपने बदन को घूम-घूम कर आईने में देख रही थी. फिर वो अपने बदन के अंगों को हाथों से सहलाने लगी. गर्दन और चूचियों को सहलाते हुए वो अपने खूबसूरत पेट और नाभि पर हाथ फेरते हुए बोली "बहुत जल्द..."
उसके बाद भाभी ने अपनी ब्रा और चड्डी उतार दी और चूतड़ मटकाते हुए बाथरूम में नहाने चली गयी. मैं अपना लंड हिला रहा था. तभी मैने देखा की भाभी कमरा अंदर से बंद करना भूल गयी थी. मैं चुपचाप, बिना आवाज़ किए उनके कमरे में घुस गया. भाभी की ब्रा और चड्डी अभी भी ज़मीन पर पड़ी थी. मैने उनकी चड्डी ज़मीन से उठाई और उसे सूंघने लगा.
क्या मादक खुश्बू आ रही थी उनकी चड्डी से. ऐसी खुश्बू सिर्फ़ एक चुदासी औरत की चूत से ही आ सकती थी. मैं चड्डी सूंघते हुए अपना लंड बुरी तरह से हिला रहा था.
फिर मैंने उनकी चड्डी को अपने लंड पर लगाकर आँखें बंद कर ली. भाभी की चड्डी गीली थी. मैने अपना लंड चड्डी के उसी जगह पर लगाया था जहाँ भाभी की चूत थी. मेरा लंड का टोपा गीला हो चुका था. उस गीलेपन ने भाभी की चड्डी भी गीली कर दी. कुछ देर और हिलने के बाद मैं छूटने वाला था. मैने भाभी की चड्डी को एक बार अपने लंड से रगड़कर अलग किया और छूटने को तय्यार था.
मैने अपनी आँखें खोली तो देखा भाभी बाथरूम के दरवाज़े पर खड़ी थी. उन्होने सिर्फ़ एक पीली तौलिया पहनी थी. वो मेरी तरफ देख रही थी और उनका मूह हैरानी से खुला था. मेरा हाथ अपने लंड से छूट गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. मेरा मुठ मेरे लंड से बाहर निकल कर फर्श पर गिर रहा था.
मैं अपना लंड निकल कर धीरे-धीरे हिलने लगा. भाभी के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी. वो अपने बदन को घूम-घूम कर आईने में देख रही थी. फिर वो अपने बदन के अंगों को हाथों से सहलाने लगी. गर्दन और चूचियों को सहलाते हुए वो अपने खूबसूरत पेट और नाभि पर हाथ फेरते हुए बोली "बहुत जल्द..."
उसके बाद भाभी ने अपनी ब्रा और चड्डी उतार दी और चूतड़ मटकाते हुए बाथरूम में नहाने चली गयी. मैं अपना लंड हिला रहा था. तभी मैने देखा की भाभी कमरा अंदर से बंद करना भूल गयी थी. मैं चुपचाप, बिना आवाज़ किए उनके कमरे में घुस गया. भाभी की ब्रा और चड्डी अभी भी ज़मीन पर पड़ी थी. मैने उनकी चड्डी ज़मीन से उठाई और उसे सूंघने लगा.
क्या मादक खुश्बू आ रही थी उनकी चड्डी से. ऐसी खुश्बू सिर्फ़ एक चुदासी औरत की चूत से ही आ सकती थी. मैं चड्डी सूंघते हुए अपना लंड बुरी तरह से हिला रहा था.
फिर मैंने उनकी चड्डी को अपने लंड पर लगाकर आँखें बंद कर ली. भाभी की चड्डी गीली थी. मैने अपना लंड चड्डी के उसी जगह पर लगाया था जहाँ भाभी की चूत थी. मेरा लंड का टोपा गीला हो चुका था. उस गीलेपन ने भाभी की चड्डी भी गीली कर दी. कुछ देर और हिलने के बाद मैं छूटने वाला था. मैने भाभी की चड्डी को एक बार अपने लंड से रगड़कर अलग किया और छूटने को तय्यार था.
मैने अपनी आँखें खोली तो देखा भाभी बाथरूम के दरवाज़े पर खड़ी थी. उन्होने सिर्फ़ एक पीली तौलिया पहनी थी. वो मेरी तरफ देख रही थी और उनका मूह हैरानी से खुला था. मेरा हाथ अपने लंड से छूट गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. मेरा मुठ मेरे लंड से बाहर निकल कर फर्श पर गिर रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.