21-02-2019, 10:30 AM
भाभी ने वैसा ही किया. भैया अपने लंड पर थूक मल रहे थे.
भैया ने भाभी की टाँगों को खोल कर, अपना लंड हाथ में लेकर उसे भाभी की चूत पर रखकर एक झटका मारा.
"आह" भाभी के मूँह से निकला. भाभी का ख़याल ना रखते हुए, वो झटके पे झटके मार मार के अपना पूरा छेह इंच का लंड भाभी की चूत में जड़ दिया.
"साली, तेरी कमीनी चूत तो बेशर्मी से गीली हो रही है."
दोनो ने दो मिनिट साँस ली. फिर भैया बोले "छिनाल, तैयार हो जा... माँ बनने वाली है तू... इसी कोख से दर्जनों बच्चे जनेगी तू."
और फिर तीव्र गति से भाभी की चुदाई शुरू हो गई. भाभी भैया के नीचे लेटी हुई थी और चेहरे पे चुदाई के भाव थे.
"ओह... ओह... ओह... सस्स्स्सस्स... आह" भाभी के मुख से कामुक आवाज़ें सुन कर मैं अपना लंड और तेज़ी से हिलने लगा.
"ले चुद साली... और चुद...." भाभी का हाथ लेकर भैया ने उसे अपने टट्टो पर रख दिया.
"ले सहला मेरे टटटे... और ज़्यादा बीज दूँगा तुझे" भाभी भैया के टॅटन को सहलाने लगी.
भैया ने भाभी के कंधों पर हाथ रखकर उन्हे कसकर पकड़ लिया और कसकर चोद्ने लगे.
"ले, मालिश कर मेरे लंड की अपनी चूत से.... साली, क्या लील रही है तेरी चूत मेरे लंड को... लगता है बड़ी उतावली है तू मेरे बीज के लिए"
और भाभी चीख पड़ी...
"चोद मुझे साले भड़वे... दे दे मुझे अपना बच्चा.... हरी कर दे मेरी कोख". भैया ने चुदाई और तेज़ कर दी. अब तो पूरा बिस्तर बुरी तरह से हिल रहा था.
भाभी ने अपनी उंगली अपने मूँह में डालकर गीली की और उससे भैया के पिछवाड़े वाले छेद को रगड़ने लगी.
"आह... सुम्मी.. मैं छूटने वाला हूँ." भैया बोले.
"नही.. थोड़ा रूको... मैं भी छूटने वाली हूँ" भाभी बोली
"नही... और नही रुक सकता, सुम्मी..... आह... मैं छूट रहा हूँ... ये ले मेरा बीज... आह".
भैया ने सारा माल भाभी की चूत में डाल दिया.
फिर भैया एक तरफ करवट लेकर सो गये. मुझसे भी रहा नही गया. मैं भी छूट गया और मेरा सारा माल फर्श पर गिर गया.
थोड़ी देर बाद मैने च्छेद से झाँक कर देखा तो भैया सो गये थे, ख़र्राटों की आवाज़ आ रही थी. भाभी अभी भी जागी हुई थी और हाँफ रही थी. वो गुस्से में थी.
भैया की तरफ मुँह करके भाभी बोली "अपनी हवस मेरी चूत पर निकाल कर... करवट लेकर सो गया, मादरचोद!"
अचानक भाभी उठी तो मुझे लगा वो दरवाज़े पर आ रही हैं. इसलिए मैं वहाँ से भाग कर अपने कमरे में आ गया.
कुछ देर रुकने के बाद मैने सोचा एक आख़िरी बार भाभी के नंगे बदन के दर्शन कर लूँ. मैं ध्यान से नीचे उतरा और फिर से छेद से झाँका.
भैया ने भाभी की टाँगों को खोल कर, अपना लंड हाथ में लेकर उसे भाभी की चूत पर रखकर एक झटका मारा.
"आह" भाभी के मूँह से निकला. भाभी का ख़याल ना रखते हुए, वो झटके पे झटके मार मार के अपना पूरा छेह इंच का लंड भाभी की चूत में जड़ दिया.
"साली, तेरी कमीनी चूत तो बेशर्मी से गीली हो रही है."
दोनो ने दो मिनिट साँस ली. फिर भैया बोले "छिनाल, तैयार हो जा... माँ बनने वाली है तू... इसी कोख से दर्जनों बच्चे जनेगी तू."
और फिर तीव्र गति से भाभी की चुदाई शुरू हो गई. भाभी भैया के नीचे लेटी हुई थी और चेहरे पे चुदाई के भाव थे.
"ओह... ओह... ओह... सस्स्स्सस्स... आह" भाभी के मुख से कामुक आवाज़ें सुन कर मैं अपना लंड और तेज़ी से हिलने लगा.
"ले चुद साली... और चुद...." भाभी का हाथ लेकर भैया ने उसे अपने टट्टो पर रख दिया.
"ले सहला मेरे टटटे... और ज़्यादा बीज दूँगा तुझे" भाभी भैया के टॅटन को सहलाने लगी.
भैया ने भाभी के कंधों पर हाथ रखकर उन्हे कसकर पकड़ लिया और कसकर चोद्ने लगे.
"ले, मालिश कर मेरे लंड की अपनी चूत से.... साली, क्या लील रही है तेरी चूत मेरे लंड को... लगता है बड़ी उतावली है तू मेरे बीज के लिए"
और भाभी चीख पड़ी...
"चोद मुझे साले भड़वे... दे दे मुझे अपना बच्चा.... हरी कर दे मेरी कोख". भैया ने चुदाई और तेज़ कर दी. अब तो पूरा बिस्तर बुरी तरह से हिल रहा था.
भाभी ने अपनी उंगली अपने मूँह में डालकर गीली की और उससे भैया के पिछवाड़े वाले छेद को रगड़ने लगी.
"आह... सुम्मी.. मैं छूटने वाला हूँ." भैया बोले.
"नही.. थोड़ा रूको... मैं भी छूटने वाली हूँ" भाभी बोली
"नही... और नही रुक सकता, सुम्मी..... आह... मैं छूट रहा हूँ... ये ले मेरा बीज... आह".
भैया ने सारा माल भाभी की चूत में डाल दिया.
फिर भैया एक तरफ करवट लेकर सो गये. मुझसे भी रहा नही गया. मैं भी छूट गया और मेरा सारा माल फर्श पर गिर गया.
थोड़ी देर बाद मैने च्छेद से झाँक कर देखा तो भैया सो गये थे, ख़र्राटों की आवाज़ आ रही थी. भाभी अभी भी जागी हुई थी और हाँफ रही थी. वो गुस्से में थी.
भैया की तरफ मुँह करके भाभी बोली "अपनी हवस मेरी चूत पर निकाल कर... करवट लेकर सो गया, मादरचोद!"
अचानक भाभी उठी तो मुझे लगा वो दरवाज़े पर आ रही हैं. इसलिए मैं वहाँ से भाग कर अपने कमरे में आ गया.
कुछ देर रुकने के बाद मैने सोचा एक आख़िरी बार भाभी के नंगे बदन के दर्शन कर लूँ. मैं ध्यान से नीचे उतरा और फिर से छेद से झाँका.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.