21-02-2019, 10:29 AM
अचानक मेरी नज़र चाबी के छेद पर पड़ी. मैने अपनी आँख लगाकर देखा क्या हो रहा है अंदर.
भैया बिस्तर पर बैठे थे और भाभी ज़मीन पर अपने घुटनो पर. दोनो नंगे थे. भाभी को नंगा देख कर मेरी आँखें फटी रह गयी. गोरा शरीर, सुंदर चूचियाँ देख कर मैं अपने लंड को और तेज़ी से हिलाने लगा. हाथ में उनके भैया का लंड था जिसे वो हल्के-हल्के हिला रही थी.
"आपका लंड मुझे पागल कर देता है. रोज़ रात को ये कमीनी चूत मेरी, बहुत परेशन करती है. आपके लंड के लिए तरसती है. रोज़ रात को एक योद्धा की तरह आपके लंड से युद्ध करना चाहती है और उस युद्ध में आपसे हारना चाहती है. आपका अमृत पा कर ही इसे ठंडक मिलती है."
भाभी जीभ निकाल कर भैया के पेशाब वाले छेद को चाटने लगी.
"क्या सही में?.... आह!!!"
"हाँ... औरत की संभोग की प्यास मर्द से कई गुना ज़्यादा होती है. लेकिन आप आधे वक्त घर पर ही नही होते. ऐसी रातों में बस अपनी उंगली से ही इस कमीनी को शांत करती हूँ. बहुत अकेली हो जाती हूँ आपके बिना. दिल नही लगता मेरा."
"सुम्मी, उठ फर्श से..... "
भाभी फर्श से उठ कर भैया के सामने खड़ी हो गयी. मेरा लंड उनके नंगे बदन को और बढ़कर सलामी देने लगा. भैया ने भाभी की कमर को दोनो हाथों से पकड़ा और उनका पेट चूम लिया.
"सुम्मी, अगर ऐसी बात है तो क्यूँ ना मैं तेरे इस प्यारे से पेट में एक बच्चा दे दूँ?" यह कहके एक बार फिर उन्होने भाभी का पेट चूम लिया.
भाभी ने एक कातिल मुस्कान देकर कहा "हाँ, दे दीजिए मुझे एक प्यारा सा बच्चा. बना दीजिए मुझे माँ. बो दीजिए अपना बीज मेरी इस कोख में". भाभी अपना हाथ अपने पेट पर रखते हुए बोली.
"चल आजा बिस्तर पे. आज तेरी कोख हरी कर देता हूँ. बच्चेदानी हिला कर चोदून्गा, साली, एक साथ चार बच्चे पैदा करेगी तू." भैया बोले.
"रुकिये... पहले मेरी बुर चाट के इसे गीला कर दीजिए ना एक बार" भाभी बोली.
"मेरी जान, तुझे कितनी बार बोलू, मेरी चूत चाटना पसंद नही. बहुत ही कसैला सा स्वाद होता है."
"आप मुझसे तो अपना लंड चुसवा लेते हैं, मेरी चूत क्या इस काबिल नही की उसे थोड़ा प्यार मिले."
"तू चूस्ती भी तो मज़े से है, चल अब देर मत कर, लेट जा और टांगे खोल दे"
भैया बिस्तर पर बैठे थे और भाभी ज़मीन पर अपने घुटनो पर. दोनो नंगे थे. भाभी को नंगा देख कर मेरी आँखें फटी रह गयी. गोरा शरीर, सुंदर चूचियाँ देख कर मैं अपने लंड को और तेज़ी से हिलाने लगा. हाथ में उनके भैया का लंड था जिसे वो हल्के-हल्के हिला रही थी.
"आपका लंड मुझे पागल कर देता है. रोज़ रात को ये कमीनी चूत मेरी, बहुत परेशन करती है. आपके लंड के लिए तरसती है. रोज़ रात को एक योद्धा की तरह आपके लंड से युद्ध करना चाहती है और उस युद्ध में आपसे हारना चाहती है. आपका अमृत पा कर ही इसे ठंडक मिलती है."
भाभी जीभ निकाल कर भैया के पेशाब वाले छेद को चाटने लगी.
"क्या सही में?.... आह!!!"
"हाँ... औरत की संभोग की प्यास मर्द से कई गुना ज़्यादा होती है. लेकिन आप आधे वक्त घर पर ही नही होते. ऐसी रातों में बस अपनी उंगली से ही इस कमीनी को शांत करती हूँ. बहुत अकेली हो जाती हूँ आपके बिना. दिल नही लगता मेरा."
"सुम्मी, उठ फर्श से..... "
भाभी फर्श से उठ कर भैया के सामने खड़ी हो गयी. मेरा लंड उनके नंगे बदन को और बढ़कर सलामी देने लगा. भैया ने भाभी की कमर को दोनो हाथों से पकड़ा और उनका पेट चूम लिया.
"सुम्मी, अगर ऐसी बात है तो क्यूँ ना मैं तेरे इस प्यारे से पेट में एक बच्चा दे दूँ?" यह कहके एक बार फिर उन्होने भाभी का पेट चूम लिया.
भाभी ने एक कातिल मुस्कान देकर कहा "हाँ, दे दीजिए मुझे एक प्यारा सा बच्चा. बना दीजिए मुझे माँ. बो दीजिए अपना बीज मेरी इस कोख में". भाभी अपना हाथ अपने पेट पर रखते हुए बोली.
"चल आजा बिस्तर पे. आज तेरी कोख हरी कर देता हूँ. बच्चेदानी हिला कर चोदून्गा, साली, एक साथ चार बच्चे पैदा करेगी तू." भैया बोले.
"रुकिये... पहले मेरी बुर चाट के इसे गीला कर दीजिए ना एक बार" भाभी बोली.
"मेरी जान, तुझे कितनी बार बोलू, मेरी चूत चाटना पसंद नही. बहुत ही कसैला सा स्वाद होता है."
"आप मुझसे तो अपना लंड चुसवा लेते हैं, मेरी चूत क्या इस काबिल नही की उसे थोड़ा प्यार मिले."
"तू चूस्ती भी तो मज़े से है, चल अब देर मत कर, लेट जा और टांगे खोल दे"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.