21-02-2019, 10:29 AM
"राजेश, तुझे सबसे उपर दूसरी मंज़िल पर कमरा दिया है. अपना सामान लगा ले और नहा-धो कर नीचे आजा खाने के लिए." चाची बोली.
मैं अपना सामान उपर ले जाने लगा. मेरी नज़र भाभी पर पड़ी, तो वो मेरी तरफ मुस्कुराकर कर देखी और अपना पल्लू हल्का सा खोलकर अपनी नाभि के दर्शन कराकर चिढ़ा रही थी.
शाम को भैया वापस आए. हम सब ने खाना खाया और रात को सोने चले गये. रात को मेरी नींद अचानक खुली. मुझे प्यास लगी थी. मैं पानी पीने के लिए नीचे गया. सबसे नीचे वाली मंज़िल पर चाची सो रही थी. मैं पानी पी कर उपर आ रहा था कि तभी पहली मंज़िल पर मुझे कुछ आवाज़ें सुनाई दी. इस मंज़िल पर भैया-भाभी का कमरा था. उनके कमरे से एक औरत की मधुर कामुक आवाज़ें आ रही थी. मैने सोचा की कान लगा के सुने क्या चल रहा है अंदर. थोड़ा इंतज़ार करने के बाद मैने दरवाज़े पर अपना कान लगा दिया. अंदर से भैया बोल रहे थे, "सुम्मी, चूस... हाँ..और ज़ोर से चूस. मुझे मालूम है तू कितनी इस लंड की दीवानी है. चूस... चूस साली रांड़... चूस". और तभी भाभी के लंड चूसने की आवाज़ और तेज़ हो गयी.
मेरा लंड फनफना उठा. मुझसे रहा नही गया. मैने अपने पयज़ामे में से अपना लंड निकाला और और धीरे-धीरे उसे हिलने लगा.
"आह... आह...आह.... क्या मस्त चूस्ती है तू, साली मादरचोद"
भाभी भैया के लंड को ३ मिनिट से चूस रही थी.
"सुम्मी.... अब रुक जा... नही तो मैं तेरे मूँह में ही छूट जाऊँगा."
अंदर से भाभी की लंड चूसने की आवाज़ें बंद हो गयी.
"अब बता... मेरा लंड तुझे कितना पसंद है?"
भाभी बोली, "आप जानते हैं, फिर भी मुझसे बुलवाना चाहते हैं."
"बता ना मेरी जान"
मैं अपना सामान उपर ले जाने लगा. मेरी नज़र भाभी पर पड़ी, तो वो मेरी तरफ मुस्कुराकर कर देखी और अपना पल्लू हल्का सा खोलकर अपनी नाभि के दर्शन कराकर चिढ़ा रही थी.
शाम को भैया वापस आए. हम सब ने खाना खाया और रात को सोने चले गये. रात को मेरी नींद अचानक खुली. मुझे प्यास लगी थी. मैं पानी पीने के लिए नीचे गया. सबसे नीचे वाली मंज़िल पर चाची सो रही थी. मैं पानी पी कर उपर आ रहा था कि तभी पहली मंज़िल पर मुझे कुछ आवाज़ें सुनाई दी. इस मंज़िल पर भैया-भाभी का कमरा था. उनके कमरे से एक औरत की मधुर कामुक आवाज़ें आ रही थी. मैने सोचा की कान लगा के सुने क्या चल रहा है अंदर. थोड़ा इंतज़ार करने के बाद मैने दरवाज़े पर अपना कान लगा दिया. अंदर से भैया बोल रहे थे, "सुम्मी, चूस... हाँ..और ज़ोर से चूस. मुझे मालूम है तू कितनी इस लंड की दीवानी है. चूस... चूस साली रांड़... चूस". और तभी भाभी के लंड चूसने की आवाज़ और तेज़ हो गयी.
मेरा लंड फनफना उठा. मुझसे रहा नही गया. मैने अपने पयज़ामे में से अपना लंड निकाला और और धीरे-धीरे उसे हिलने लगा.
"आह... आह...आह.... क्या मस्त चूस्ती है तू, साली मादरचोद"
भाभी भैया के लंड को ३ मिनिट से चूस रही थी.
"सुम्मी.... अब रुक जा... नही तो मैं तेरे मूँह में ही छूट जाऊँगा."
अंदर से भाभी की लंड चूसने की आवाज़ें बंद हो गयी.
"अब बता... मेरा लंड तुझे कितना पसंद है?"
भाभी बोली, "आप जानते हैं, फिर भी मुझसे बुलवाना चाहते हैं."
"बता ना मेरी जान"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.