21-02-2019, 10:18 AM
एक दिन अचानक ही ये सारी मर्यादायें टूट कर छिन्न भिन्न हो गई। दोनों के मन में काम भावनायें जागृत हो उठी…। उस दिन सारा काम निपटाने के पश्चात हम दोनों यूँ ही खेल रहे थे, कि मन में ज्वाला सुलग उठी। भाभी का टुक्की वाला ब्लाऊज कील में फ़ंस कर फ़ट गया और सामने से चिर गया। भाभी का एक कठोर स्तन उभर कर बाहर निकल आया। मेरी नजरें स्तन पर ज्यों ही पड़ी, मैं देखता ही रह गया, सुन्न सा रह गया। भाभी एक दम सिहर कर दीवार से चिपक गई। मैं अपनी आंखे फ़ाड़ फ़ाड़ कर उन्हें देखने लगा। भाभी सिहर उठी और अपने हाथों को अपने नंगे स्तन के ऊपर रख कर छुपाने लगी। मैं धीरे धीरे भाभी की ओर बढ़ने लगा। वो सिमटने लगी। मेरा एक हाथ उसके कठोर स्तनों को छूने के लिये बढ़ गया।
“नहीं भैया, नहीं… मत छूना मुझे !”
“ये… ये… कितने चमक दार, कितने सुन्दर है…”
मेरी अंगुलियों ने ज्यों ही उनके स्तन छुये, मेरे बदन में जैसे आग लग गई। भाभी तुरन्त झुक कर मेरी बगल से भाग निकली, और दूर जाकर जीभ निकाल कर चिढ़ाने लगी। मैं स्तब्ध सा उन्हे देखता रह गया। जाने क्यूँ इस घटना के बाद मैं चुप चुप सा रहने लगा। मेरे दिल में भाभी के लिये ऐसे वैसे वासना भरे विचार सताने लगे। शायद जवानी का तकाजा था, जो मेरे मन को उद्वेलित कर रहा था।
“नहीं भैया, नहीं… मत छूना मुझे !”
“ये… ये… कितने चमक दार, कितने सुन्दर है…”
मेरी अंगुलियों ने ज्यों ही उनके स्तन छुये, मेरे बदन में जैसे आग लग गई। भाभी तुरन्त झुक कर मेरी बगल से भाग निकली, और दूर जाकर जीभ निकाल कर चिढ़ाने लगी। मैं स्तब्ध सा उन्हे देखता रह गया। जाने क्यूँ इस घटना के बाद मैं चुप चुप सा रहने लगा। मेरे दिल में भाभी के लिये ऐसे वैसे वासना भरे विचार सताने लगे। शायद जवानी का तकाजा था, जो मेरे मन को उद्वेलित कर रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.