21-02-2019, 10:06 AM
मैं जीभ को अंदर डाल डाल कर उसकी चूत को चाटने लगा। उसकी सीत्कारें कमरे के मौसम को रंगीन करने लगी,"आह्हह्ह... ओह्ह्ह आऊचच्च्च... खा जा.... आह्ह्ह मैं मर गयी ईईईइ.... आःह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ़.... तू तो बहुत मस्त है रे...ओह्ह्ह आह्हह्ह !"
मैंने दोनों हाथ बढ़ा कर उसकी दोनों चूचियाँ पकड़ ली और मसलने लगा और जीभ को जितना अंदर जा रही थी चूत में घुसा घुसा कर उसकी चूत चाट रहा था। वो इस अनोखे आनन्द को ज्यादा देर तक नहीं झेल पाई और जोरदार ढंग से झड़ गई। उसकी चूत के नमकीन पानी का स्वाद मेरे मुँह में घुल गया।
अब वो मेरे लण्ड को पकड़ पकड़ कर मसल रही थी, साँस तेज तेज चल रही थी उसकी।
मैंने अब लण्ड जैसे ही उसके मुँह की तरफ किया तो उसने थोड़ी सी झिझक के साथ उसको मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
कुछ देर चूसने के बाद वो चुदवाने के लिए बेचैन हो गई। मेरा लण्ड भी अब पूरा अकड़ कर खड़ा था। मैंने लण्ड का सुपारा उसकी चूत के मुहाने पर रखा तो वो बोली- राज.. आज तुमने मुझे लूट लिया...
मैं कुछ नहीं बोला बस एक झटका लगा कर आधा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया।
"आह्हह्ह.... आराम से राज... तुम्हारा बहुत मोटा है...!" लण्ड की तारीफ़ सुन कर मैं मुस्कुराया और एक जोरदार धक्के के साथ ही पूरा लण्ड उसकी चूत में जड़ तक गाड़ दिया। लण्ड सीधा उसकी बच्चादानी से जाकर टकराया और वो उछल पड़ी। मैंने बिना देर किये धक्के लगाने शुरू कर दिये। हर धक्के के साथ शर्मीला के मुँह से “आह्ह्ह... ओह्ह्ह... उफ्फ्फ्फ्फ़. उईई... मम्म्म...और जोर से मेरे राजा... आह्ह.. जोर से... मजा आ गया...” निकल रहा था।
वो चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी। वो बहक चुकी थी और अब और बहकना चाहती थी। वो दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ पकड़ कर खिंच रही थी और मेरे हर धक्के को अंदर तक महसूस करना चाहती थी,"चोद मेरे राजा.. अह्ह्ह... आह्हह्ह... ओह्ह्ह. चोद जोर जोर से चोद... फाड़ दे इस को... लण्ड देख कर बहक गई... इसकी सजा तो मिलनी ही चाहिए इसको... फाड़ दे जोर जोर से चोद कर फाड़ दे...." वो मस्ती के मारे लगभग चीख रही थी।
उसके मस्त होने से मुझे भी भरपूर मज़ा आ रहा था। सच कहूँ तो उसकी चूत थी भी बहुत मस्त और कसी। लगता ही नहीं था कि इस चूत से कोई बच्चा भी निकला होगा छह साल पहले।
चूत मस्ती के मारे पानी पानी हो रही थी, फच्च फच्च की आवाज मादकता का संगीत सुना रही थी। अब लण्ड सटासट चूत में आ-जा रहा था। बेहद मस्ती का माहौल था। रात पूरी तरह से बहक चुकी थी। बिस्तर पर जैसे भूचाल आ गया था था। जोरदार धक्कों से शर्मीला की चुदाई हो रही थी और वो भी गाण्ड उठा उठा कर मेरा लण्ड अंदर तक ले रही थी।
लगभग बीस मिनट की जोरदार चुदाई के बाद शर्मीला तीन बार झड़ कर पस्त हो गई थी और अब मेरा लण्ड भी शर्मीला की चूत पर अपने प्यार की बरसात करने को बेताब था। मेरे धक्कों की गति कई गुणा बढ़ गई थी। लण्ड शर्मीला की चूत का भुरता बना रहा था और फिर मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। लण्ड से वीर्य की बौछार शुरू हो गई। गर्म गर्म वीर्य जब शर्मीला की चूत में गिरा तो वो तड़प कर मुझसे लिपट गई। लण्ड चूत को वीर्य से भरने में लगा था। मैं भी अब पस्त होकर शर्मीला के गदराए बदन पर लेटा हुआ था।शर्मीला ने भी अपनी बाहों में मुझे जकड़ रखा था। हम दोनों ने परमसुख की प्राप्ति कर ली थी।
चुदवाने के बाद शर्मीला उठ कर अपने कमरे में चली गई। मैं कुछ देर के बाद उठ कर उसके कमरे में गया तो देखा वो गुमसुम सी ड्राइंगरूम में सोफे पर बैठी थी। मैं उसके पास बैठ गया तो वो परेशानी वाली आवाज में बोली- राज हमें यह सब नहीं करना चाहिए था... मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं और मुझे उन्हें धोखा नहीं देना चाहिए था.!
"शर्मीला, जो जो जब जब होना है हो कर रहता है... तुम सोचो कि क्यों भगवान ने हम दोनों को अकेले में मिलवाया और क्यों तुम्हारे और मेरे दिल में एक दूसरे के प्रति आकर्षण जगाया... तुम अपने आप को दोष ना दो, जो हुआ वो ऊपर वाले की मर्जी थी।"
वो सुबक पड़ी तो मैंने उसके चेहरे को ऊपर उठाया और उसकी आँखों को चूम लिया। मैंने उसको अपनी बाहों में भरा और अपने होंठ उसके होंठो से लगा दिए। उसने एक बार तो अपने होंठ मेरे होंठों से हटाये पर फिर एकदम से मेरे गले लग गई और फिर तो आप सब समझ ही सकते हो कि क्या हुआ होगा।
कुछ ही देर बाद हम दोनों एक बार फिर कमरे में बिस्तर पर थे बिना कपड़ों के। फिर तो कमरे में सुबह तक भूचाल मचा रहा। कब सुबह हुई पता ही नहीं चला।
अगले दिन इंटरव्यू के बाद मैं वापिस घर पहुँचा तो पता लगा की शर्मीला के पति आज नहीं आ रहे हैं। मुझे वापिस आना था पर शर्मीला ने मुझे आने ही नहीं दिया और फिर वो रात भी बहक गई।
मैंने दोनों हाथ बढ़ा कर उसकी दोनों चूचियाँ पकड़ ली और मसलने लगा और जीभ को जितना अंदर जा रही थी चूत में घुसा घुसा कर उसकी चूत चाट रहा था। वो इस अनोखे आनन्द को ज्यादा देर तक नहीं झेल पाई और जोरदार ढंग से झड़ गई। उसकी चूत के नमकीन पानी का स्वाद मेरे मुँह में घुल गया।
अब वो मेरे लण्ड को पकड़ पकड़ कर मसल रही थी, साँस तेज तेज चल रही थी उसकी।
मैंने अब लण्ड जैसे ही उसके मुँह की तरफ किया तो उसने थोड़ी सी झिझक के साथ उसको मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
कुछ देर चूसने के बाद वो चुदवाने के लिए बेचैन हो गई। मेरा लण्ड भी अब पूरा अकड़ कर खड़ा था। मैंने लण्ड का सुपारा उसकी चूत के मुहाने पर रखा तो वो बोली- राज.. आज तुमने मुझे लूट लिया...
मैं कुछ नहीं बोला बस एक झटका लगा कर आधा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया।
"आह्हह्ह.... आराम से राज... तुम्हारा बहुत मोटा है...!" लण्ड की तारीफ़ सुन कर मैं मुस्कुराया और एक जोरदार धक्के के साथ ही पूरा लण्ड उसकी चूत में जड़ तक गाड़ दिया। लण्ड सीधा उसकी बच्चादानी से जाकर टकराया और वो उछल पड़ी। मैंने बिना देर किये धक्के लगाने शुरू कर दिये। हर धक्के के साथ शर्मीला के मुँह से “आह्ह्ह... ओह्ह्ह... उफ्फ्फ्फ्फ़. उईई... मम्म्म...और जोर से मेरे राजा... आह्ह.. जोर से... मजा आ गया...” निकल रहा था।
वो चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी। वो बहक चुकी थी और अब और बहकना चाहती थी। वो दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ पकड़ कर खिंच रही थी और मेरे हर धक्के को अंदर तक महसूस करना चाहती थी,"चोद मेरे राजा.. अह्ह्ह... आह्हह्ह... ओह्ह्ह. चोद जोर जोर से चोद... फाड़ दे इस को... लण्ड देख कर बहक गई... इसकी सजा तो मिलनी ही चाहिए इसको... फाड़ दे जोर जोर से चोद कर फाड़ दे...." वो मस्ती के मारे लगभग चीख रही थी।
उसके मस्त होने से मुझे भी भरपूर मज़ा आ रहा था। सच कहूँ तो उसकी चूत थी भी बहुत मस्त और कसी। लगता ही नहीं था कि इस चूत से कोई बच्चा भी निकला होगा छह साल पहले।
चूत मस्ती के मारे पानी पानी हो रही थी, फच्च फच्च की आवाज मादकता का संगीत सुना रही थी। अब लण्ड सटासट चूत में आ-जा रहा था। बेहद मस्ती का माहौल था। रात पूरी तरह से बहक चुकी थी। बिस्तर पर जैसे भूचाल आ गया था था। जोरदार धक्कों से शर्मीला की चुदाई हो रही थी और वो भी गाण्ड उठा उठा कर मेरा लण्ड अंदर तक ले रही थी।
लगभग बीस मिनट की जोरदार चुदाई के बाद शर्मीला तीन बार झड़ कर पस्त हो गई थी और अब मेरा लण्ड भी शर्मीला की चूत पर अपने प्यार की बरसात करने को बेताब था। मेरे धक्कों की गति कई गुणा बढ़ गई थी। लण्ड शर्मीला की चूत का भुरता बना रहा था और फिर मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। लण्ड से वीर्य की बौछार शुरू हो गई। गर्म गर्म वीर्य जब शर्मीला की चूत में गिरा तो वो तड़प कर मुझसे लिपट गई। लण्ड चूत को वीर्य से भरने में लगा था। मैं भी अब पस्त होकर शर्मीला के गदराए बदन पर लेटा हुआ था।शर्मीला ने भी अपनी बाहों में मुझे जकड़ रखा था। हम दोनों ने परमसुख की प्राप्ति कर ली थी।
चुदवाने के बाद शर्मीला उठ कर अपने कमरे में चली गई। मैं कुछ देर के बाद उठ कर उसके कमरे में गया तो देखा वो गुमसुम सी ड्राइंगरूम में सोफे पर बैठी थी। मैं उसके पास बैठ गया तो वो परेशानी वाली आवाज में बोली- राज हमें यह सब नहीं करना चाहिए था... मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं और मुझे उन्हें धोखा नहीं देना चाहिए था.!
"शर्मीला, जो जो जब जब होना है हो कर रहता है... तुम सोचो कि क्यों भगवान ने हम दोनों को अकेले में मिलवाया और क्यों तुम्हारे और मेरे दिल में एक दूसरे के प्रति आकर्षण जगाया... तुम अपने आप को दोष ना दो, जो हुआ वो ऊपर वाले की मर्जी थी।"
वो सुबक पड़ी तो मैंने उसके चेहरे को ऊपर उठाया और उसकी आँखों को चूम लिया। मैंने उसको अपनी बाहों में भरा और अपने होंठ उसके होंठो से लगा दिए। उसने एक बार तो अपने होंठ मेरे होंठों से हटाये पर फिर एकदम से मेरे गले लग गई और फिर तो आप सब समझ ही सकते हो कि क्या हुआ होगा।
कुछ ही देर बाद हम दोनों एक बार फिर कमरे में बिस्तर पर थे बिना कपड़ों के। फिर तो कमरे में सुबह तक भूचाल मचा रहा। कब सुबह हुई पता ही नहीं चला।
अगले दिन इंटरव्यू के बाद मैं वापिस घर पहुँचा तो पता लगा की शर्मीला के पति आज नहीं आ रहे हैं। मुझे वापिस आना था पर शर्मीला ने मुझे आने ही नहीं दिया और फिर वो रात भी बहक गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.