21-02-2019, 10:06 AM
शर्मीला मेरे पास आई और बोली- दूध पी लिया तुमने?
मैंने दोनों हाथों से लण्ड को छुपाने की कोशिश करते हुए हाँ में सर हिला दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
गिलास बिस्तर के दूसरी तरफ रखा था तो शर्मीला ने मुझे गिलास पकड़ाने को कहा। पर मेरे दोनों हाथ तो लण्ड को छुपाने में लगे थे तो गिलास कैसे पकड़ाता। जब शर्मीला ने दूसरी बार गिलास देने को कहा तो मैंने एक हाथ बढ़ा कर गिलास उठाने के लिए मुड़ा तो मेरा लण्ड कूद कर बाहर आ गया और सिर उठा कर खड़ा हो गया।
शर्मीला ने शरमाने का नाटक करते हुए अपनी आँखें हाथों से ढक ली। पर वो वहाँ से गई नहीं थी। मैंने मौका देख कर उसका हाथ पकड़ा तो वो हाथ छुड़वा कर कमरे से बाहर चली गई। मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया।
वो रसोई में थी और एक कोने में खड़ी थी। मैं भी रसोई में चला गया। उसकी साँसे तेज तेज चल रही थी, वो बोली- राज, तुम जाओ अपने कमरे में...प्लीज !
पर मैं चूत का रसिया ऐसे कैसे उसको छोड़ देता। मैंने आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ कर चूम लिया। उसने झटके से अपना हाथ छुड़वा लिया और रसोई से जाने लगी। जब वो जाने लगी तो मैंने हाथ बढ़ा कर उसकी कमर को पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया। अब वो मेरी बाहों की जकड़ में थी और छुटने के लिए छटपटा रही थी। मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पर रख दिए और उसको चूमने लगा। गर्दन को चूमने के बाद उसके कंधे और फिर उसके कान की लटकन को मैंने अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया।
वो कुछ बोल नहीं रही थी बस अपने आप को मेरे बाहों के घेरे से छुड़वाने की कोशिश कर रही थी। उसकी साँसें तेज हो गई थी। तभी मैंने उसको घुमा कर दीवार के साथ लगा कर खड़ा कर दिया। उसने आँखें बंद की हुई थी। पसीने पसीने हो चुकी थी वो। मैं अब भी उस से चिपक कर खड़ा था। मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रखे तो वो सिहर उठी।
उसने गर्दन झटक कर अपने होंठों को मेरे होंठों से अलग किया और बोली- राज... मत करो ऐसा... मैं बहक रही हूँ... प्लीज मत करो...
मैं जवाब में कुछ नहीं बोला बस मैंने दुबारा अपने होंठों से उसका मुँह बंद कर दिया और एक हाथ से उसकी गोल गोल चूची को पकड़ कर मसलने लगा। वो बदहवास सी होती जा रही थी।
मैंने मन ही मन कुछ सोचा और एकाएक उसको छोड़ कर अलग हो गया। वो मेरी इस हरकत से हैरान हो गई और अचम्भित निगाहों से मेरी तरफ देखने लगी। मैं भी उसकी आँखों में देख रहा था। तभी मैंने दोनों बाहें फैला कर उसको आने का इशारा किया तो पहले तो वो चुपचाप खड़ी रही पर फिर वो अपने आप को रोक नहीं पाई और मेरी बाहों में समा गई। मैंने एक बार फिर से उसके होंठों का रसपान शुरू कर दिया। अब वो भी इस चुम्बन में मेरा सहयोग कर रही थी।
मैंने उसको अपनी बाहों में उठाया और कमरे में ले गया। जब उसको बिस्तर पर लेटाया तो उसका पल्लू बगल में गिर गया, उसके ब्लाउज में कसे दो खरबूजे के आकार की चूचियाँ देख मेरा लण्ड सलामी देने लगा। मैं उसके बगल में लेट गया और ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को चूमने लगा।
"राज... मत करो ऐसा... मैं बहक रही हूँ राज... रोक लो अपने आप को... प्लीज..." वो बड़बड़ा रही थी पर उसके हाथ अब मेरे सिर पर बालों को सहला रहे थे और मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबा रहे थे।
मैंने एक एक करके उसके ब्लाउज के हुक खोल दिए, उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी। ब्लाउज खुलते ही उसके दोनों खरबूजे ऊपर को तन कर खड़े हो गए। मैंने देर नहीं की और उसकी बाईं चूची को अपने मुँह में ले लिया और उसके चुचक को अपने दांतों से काटने और जीभ से सहलाने लगा। दाईं चूची को मेरा हाथ मसल रहा था।
शर्मीला पलंग पर जल बिन मछली की तरह छटपटा रही थी। वो वासना की आग में जल रही थी अब। वो मेरे लगभग आठ इंच लम्बे लण्ड को अपनी चूत में लेने को बेचैन हो रही थी। पर मुँह पर अभी भी ना ही थी।
मैंने अगले पाँच मिनट में शर्मीला के सारे कपड़े उतार कर एक तरफ़ रख दिए और उसके नंगे बदन को चूमने लगा। क्लीन शेव चूत देख कर मज़ा आ गया। शर्मीला की चुत का रंग थोड़ा काला सा था पर अंदर से लाली झलक रही थी। मैं उसकी नाभि क्षेत्र को चूमते-चूमते नीचे बढ़ रहा था। और जब मैंने अपने होंठ उसकी चूत पर रखे तो उसके शरीर में सिहरन सी दौड़ गई। उसने बाद में बताया कि यह उसके लिए बिल्कुल नया मज़ा था।
मैंने दोनों हाथों से लण्ड को छुपाने की कोशिश करते हुए हाँ में सर हिला दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
गिलास बिस्तर के दूसरी तरफ रखा था तो शर्मीला ने मुझे गिलास पकड़ाने को कहा। पर मेरे दोनों हाथ तो लण्ड को छुपाने में लगे थे तो गिलास कैसे पकड़ाता। जब शर्मीला ने दूसरी बार गिलास देने को कहा तो मैंने एक हाथ बढ़ा कर गिलास उठाने के लिए मुड़ा तो मेरा लण्ड कूद कर बाहर आ गया और सिर उठा कर खड़ा हो गया।
शर्मीला ने शरमाने का नाटक करते हुए अपनी आँखें हाथों से ढक ली। पर वो वहाँ से गई नहीं थी। मैंने मौका देख कर उसका हाथ पकड़ा तो वो हाथ छुड़वा कर कमरे से बाहर चली गई। मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया।
वो रसोई में थी और एक कोने में खड़ी थी। मैं भी रसोई में चला गया। उसकी साँसे तेज तेज चल रही थी, वो बोली- राज, तुम जाओ अपने कमरे में...प्लीज !
पर मैं चूत का रसिया ऐसे कैसे उसको छोड़ देता। मैंने आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ कर चूम लिया। उसने झटके से अपना हाथ छुड़वा लिया और रसोई से जाने लगी। जब वो जाने लगी तो मैंने हाथ बढ़ा कर उसकी कमर को पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया। अब वो मेरी बाहों की जकड़ में थी और छुटने के लिए छटपटा रही थी। मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पर रख दिए और उसको चूमने लगा। गर्दन को चूमने के बाद उसके कंधे और फिर उसके कान की लटकन को मैंने अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया।
वो कुछ बोल नहीं रही थी बस अपने आप को मेरे बाहों के घेरे से छुड़वाने की कोशिश कर रही थी। उसकी साँसें तेज हो गई थी। तभी मैंने उसको घुमा कर दीवार के साथ लगा कर खड़ा कर दिया। उसने आँखें बंद की हुई थी। पसीने पसीने हो चुकी थी वो। मैं अब भी उस से चिपक कर खड़ा था। मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रखे तो वो सिहर उठी।
उसने गर्दन झटक कर अपने होंठों को मेरे होंठों से अलग किया और बोली- राज... मत करो ऐसा... मैं बहक रही हूँ... प्लीज मत करो...
मैं जवाब में कुछ नहीं बोला बस मैंने दुबारा अपने होंठों से उसका मुँह बंद कर दिया और एक हाथ से उसकी गोल गोल चूची को पकड़ कर मसलने लगा। वो बदहवास सी होती जा रही थी।
मैंने मन ही मन कुछ सोचा और एकाएक उसको छोड़ कर अलग हो गया। वो मेरी इस हरकत से हैरान हो गई और अचम्भित निगाहों से मेरी तरफ देखने लगी। मैं भी उसकी आँखों में देख रहा था। तभी मैंने दोनों बाहें फैला कर उसको आने का इशारा किया तो पहले तो वो चुपचाप खड़ी रही पर फिर वो अपने आप को रोक नहीं पाई और मेरी बाहों में समा गई। मैंने एक बार फिर से उसके होंठों का रसपान शुरू कर दिया। अब वो भी इस चुम्बन में मेरा सहयोग कर रही थी।
मैंने उसको अपनी बाहों में उठाया और कमरे में ले गया। जब उसको बिस्तर पर लेटाया तो उसका पल्लू बगल में गिर गया, उसके ब्लाउज में कसे दो खरबूजे के आकार की चूचियाँ देख मेरा लण्ड सलामी देने लगा। मैं उसके बगल में लेट गया और ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को चूमने लगा।
"राज... मत करो ऐसा... मैं बहक रही हूँ राज... रोक लो अपने आप को... प्लीज..." वो बड़बड़ा रही थी पर उसके हाथ अब मेरे सिर पर बालों को सहला रहे थे और मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबा रहे थे।
मैंने एक एक करके उसके ब्लाउज के हुक खोल दिए, उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी। ब्लाउज खुलते ही उसके दोनों खरबूजे ऊपर को तन कर खड़े हो गए। मैंने देर नहीं की और उसकी बाईं चूची को अपने मुँह में ले लिया और उसके चुचक को अपने दांतों से काटने और जीभ से सहलाने लगा। दाईं चूची को मेरा हाथ मसल रहा था।
शर्मीला पलंग पर जल बिन मछली की तरह छटपटा रही थी। वो वासना की आग में जल रही थी अब। वो मेरे लगभग आठ इंच लम्बे लण्ड को अपनी चूत में लेने को बेचैन हो रही थी। पर मुँह पर अभी भी ना ही थी।
मैंने अगले पाँच मिनट में शर्मीला के सारे कपड़े उतार कर एक तरफ़ रख दिए और उसके नंगे बदन को चूमने लगा। क्लीन शेव चूत देख कर मज़ा आ गया। शर्मीला की चुत का रंग थोड़ा काला सा था पर अंदर से लाली झलक रही थी। मैं उसकी नाभि क्षेत्र को चूमते-चूमते नीचे बढ़ रहा था। और जब मैंने अपने होंठ उसकी चूत पर रखे तो उसके शरीर में सिहरन सी दौड़ गई। उसने बाद में बताया कि यह उसके लिए बिल्कुल नया मज़ा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.