21-02-2019, 10:06 AM
मैं अपनी चचेरी बहन के पास उसके ससुराल में गया था और तभी यह सब हो गया। मेरा इंटरव्यू था वहाँ। सुबह जल्दी नहीं पहुँच सकता था तो मैं एक दिन पहले ही वहाँ पहुँच गया। जब मैं पहुँचा तो बारिश हो रही थी और मैं उनके घर पहुँचते पहुँचते बहुत भीग गया था।
वैसे तो मैंने एक दिन पहले ही फोन करके उनको मेरे आने का बता दिया था पर जब मैं पहुँचा तो हैरान रह गया। उनके मकान पर ताला लटका हुआ था। ताला देख कर मैं बेचैन हो गया क्यूंकि उस शहर में मैं पहली बार आया था और मेरी बहन और जीजा के अलावा मुझे यहाँ कोई जानता भी नहीं था।
मैं उनके घर के आगे खड़ा हुआ भीग रहा था कि तभी पास वाले मकान से आवाज लगाई किसी ने। वो एक खूबसूरत सी औरत थी जो मुझे बुला रही थी।
मैं उनका गेट खोल कर अंदर चला गया।
तभी वो बोली- तुम राज हो क्या..?
उसके मुँह से अपना नाम सुन कर हैरानी भी हुई और संतुष्टि भी कि चलो कोई तो जानता है मुझे यहाँ। मैंने जब हाँ में सर हिलाया तो वो मुझे लेकर घर के अंदर गई। अंदर पहुँच कर उसने मुझे तौलिया दिया और बाथरूम में जाकर कपड़े बदल कर आने को कहा। मैं भी चुपचाप बाथरूम में चला गया। मुझे अभी तक घर में किसी और के होने का एहसास नहीं मिला था।
बाहर आने के बाद वो मुझसे बात करने लगी और उसने बताया कि मेरे जीजा को एक बेहद जरूरी काम से बाहर जाना पड़ गया है। वो जाते हुए उसको बता कर गए थे मेरे आने के बारे में और इसी लिए वो बाहर खड़ी मेरा ही इन्तजार कर रही थी। बातें करते करते ही मुझे पता चला की यह जीजा के चचेरे भाई की बीवी थी या दूसरे शब्दों में कहें तो मेरी दीदी की जेठानी थी। अब मैं बिल्कुल निश्चिंत था क्यूंकि अब मुझे कोई परेशानी नहीं थी। उसने मेरे लिए चाय बनाई और फिर हम दोनों बैठ कर चाय पीने लगे।
मेरे कपड़े गीले हो गए थे तो मैंने अब सिर्फ एक बनियान और लोअर पहना हुआ था जो मैं रात को सोते समय पहनने के लिए साथ में लाया था। चाय पीने के बाद वो अंदर गई और मशीन में डाल कर मेरे कपड़े पानी में से निकाल कर सुखा दिए। जब वो मेरे कपड़े धो रही थी तो मेरी नजर उस पर पड़ी। वो अपनी साड़ी को ऊपर करके मशीन पर झुकी मेरी कपड़े खंगाल रही थी। सबसे पहले मेरी नजर उसकी गोरी गोरी टांगों पर पड़ी जिन्हें देखते ही मेरे दिल में हलचल होने लगी। थोड़ा ऊपर देखा तो दिल धाड़ धाड़ बजने लगा। दीदी की जेठानी जिसका नाम शर्मीला था जब वो झुकी तो उसकी चूचियों का आकार देखकर मेरा लण्ड लाव खाने लगा। मैंने लोअर के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था क्यूंकि वो गीला हो गया था।
ढीले से लोवर में जब लण्ड खड़ा होना शुरू हुआ तो तम्बू सा बन गया। मुझे इसका एहसास जब हुआ तो मैं बहुत असहज सा हो गया। मैं दूसरी तरफ मुँह करके लण्ड को बैठाने की कोशिश करने लगा पर जितना मैं कोशिश कर रहा था उतना ही वो और अकड़ कर खड़ा हो रहा था।
कुछ देर बाद वो कपड़े सुखा कर फिर से मेरे पास आ कर बैठ गई। मैंने उससे पूछा- तुम घर में अकेली हो?
तो उसने बताया कि उसके पति भी जीजा और दीदी के साथ गए हुए हैं और उसका बेटा जो 6 साल का है वो पास के घर में टयूशन पढ़ने गया है। बारिश के कारण वो अभी तक नहीं आया है।
कपड़े धोते हुए उसके खुद के कपड़े भी गीले हो गए थे। गीले कपड़े उसके गदराए बदन से चिपक गए थे। मेरी हालत खराब होती जा रही थी। पर कुछ कर नहीं सकता था। कुछ देर बाद वो उठ कर रसोई में चली गई रात का खाना बनाने के लिए, मैं बाहर सोफे पर बैठा टीवी देखता रहा और रसोई में खड़ी शर्मीला की गाण्ड जो साड़ी में बुरी तरह से कसी हुई थी देख रहा था। लण्ड वैसे फड़क रहा था जैसे खाना देख कर भूखे के पेट में चूहे कूदते हैं।
तब तक उसका बेटा भी आ गया और फिर जल्दी ही मेरी और उसकी दोस्ती भी हो गई। रात को खाना खाने के बाद सोने की तैयारी होने लगी। शर्मीला ने मुझे मेहमानकक्ष में सो जाने को बोला और वहीं मेरा बिस्तर ठीक कर दिया।
मेरे दिल में चुदाई करने की बेचैनी हो रही थी पर इज्ज़त के डर से मैं कुछ कर नहीं सकता था। वो मेरे दीदी की जेठानी थी, रिश्ता ही कुछ ऐसा था। मैं भी कुछ देर टीवी देख कर कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गया और अपने लण्ड महाराज को समझा-बुझा कर बैठाने की कोशिश करने लगा।
तभी मुझे लगा कि दरवाजे पर कोई था। मैंने लण्ड पर से अपना हाथ हटाया और करवट बदल कर लेट गया। तभी दरवाजे पर खट खट हुई, मैंने देखा तो शर्मीला थी, वो मुझे दूध देने आई थी।
मैंने उसकी तरफ करवट ली तो मेरा लण्ड ऊपर को सिर उठा कर खड़ा हो गया। मैंने जानबूझ कर उसके सामने ही लण्ड को हाथ से नीचे दबाया। मैं चाहता था कि उसका मेरे लण्ड पर ध्यान पड़े। पर वो तो पहले ही मेरे लण्ड को घूर रही थी। जब मैं दूध का गिलास उसके हाथ से लेने लगा तो मैं ताड़ गया कि उसका ध्यान लण्ड पर है।
मैंने उसको छेड़ते हुए उसके दिल को टटोला और पूछ लिया- क्या देख रही हैं आप?
वो सकपका गई और दूध मुझे पकड़ा कर एकदम से कमरे से बाहर चली गई।
मैंने दूध पिया, गर्म दूध पीकर और शर्मीला की गदराए बदन को देख कर मेरा लण्ड पूरे शवाब पर आ गया। कुछ देर बाद मैंने लण्ड को पजामे से बाहर निकाल लिया और उसको सहलाने लगा। मुझे एक बार फिर ऐसा लगा कि कोई दरवाजे पर है। पर अब तो मैं भी उसको अपना लण्ड दिखाना चाहता था। तभी दरवाजे पर दुबारा खटखट हुई तो मैंने लण्ड को पजामे में अंदर करने की कोशिश की पर वो खड़ा हो कर अकड़ गया था तो अंदर नहीं गया।
वैसे तो मैंने एक दिन पहले ही फोन करके उनको मेरे आने का बता दिया था पर जब मैं पहुँचा तो हैरान रह गया। उनके मकान पर ताला लटका हुआ था। ताला देख कर मैं बेचैन हो गया क्यूंकि उस शहर में मैं पहली बार आया था और मेरी बहन और जीजा के अलावा मुझे यहाँ कोई जानता भी नहीं था।
मैं उनके घर के आगे खड़ा हुआ भीग रहा था कि तभी पास वाले मकान से आवाज लगाई किसी ने। वो एक खूबसूरत सी औरत थी जो मुझे बुला रही थी।
मैं उनका गेट खोल कर अंदर चला गया।
तभी वो बोली- तुम राज हो क्या..?
उसके मुँह से अपना नाम सुन कर हैरानी भी हुई और संतुष्टि भी कि चलो कोई तो जानता है मुझे यहाँ। मैंने जब हाँ में सर हिलाया तो वो मुझे लेकर घर के अंदर गई। अंदर पहुँच कर उसने मुझे तौलिया दिया और बाथरूम में जाकर कपड़े बदल कर आने को कहा। मैं भी चुपचाप बाथरूम में चला गया। मुझे अभी तक घर में किसी और के होने का एहसास नहीं मिला था।
बाहर आने के बाद वो मुझसे बात करने लगी और उसने बताया कि मेरे जीजा को एक बेहद जरूरी काम से बाहर जाना पड़ गया है। वो जाते हुए उसको बता कर गए थे मेरे आने के बारे में और इसी लिए वो बाहर खड़ी मेरा ही इन्तजार कर रही थी। बातें करते करते ही मुझे पता चला की यह जीजा के चचेरे भाई की बीवी थी या दूसरे शब्दों में कहें तो मेरी दीदी की जेठानी थी। अब मैं बिल्कुल निश्चिंत था क्यूंकि अब मुझे कोई परेशानी नहीं थी। उसने मेरे लिए चाय बनाई और फिर हम दोनों बैठ कर चाय पीने लगे।
मेरे कपड़े गीले हो गए थे तो मैंने अब सिर्फ एक बनियान और लोअर पहना हुआ था जो मैं रात को सोते समय पहनने के लिए साथ में लाया था। चाय पीने के बाद वो अंदर गई और मशीन में डाल कर मेरे कपड़े पानी में से निकाल कर सुखा दिए। जब वो मेरे कपड़े धो रही थी तो मेरी नजर उस पर पड़ी। वो अपनी साड़ी को ऊपर करके मशीन पर झुकी मेरी कपड़े खंगाल रही थी। सबसे पहले मेरी नजर उसकी गोरी गोरी टांगों पर पड़ी जिन्हें देखते ही मेरे दिल में हलचल होने लगी। थोड़ा ऊपर देखा तो दिल धाड़ धाड़ बजने लगा। दीदी की जेठानी जिसका नाम शर्मीला था जब वो झुकी तो उसकी चूचियों का आकार देखकर मेरा लण्ड लाव खाने लगा। मैंने लोअर के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था क्यूंकि वो गीला हो गया था।
ढीले से लोवर में जब लण्ड खड़ा होना शुरू हुआ तो तम्बू सा बन गया। मुझे इसका एहसास जब हुआ तो मैं बहुत असहज सा हो गया। मैं दूसरी तरफ मुँह करके लण्ड को बैठाने की कोशिश करने लगा पर जितना मैं कोशिश कर रहा था उतना ही वो और अकड़ कर खड़ा हो रहा था।
कुछ देर बाद वो कपड़े सुखा कर फिर से मेरे पास आ कर बैठ गई। मैंने उससे पूछा- तुम घर में अकेली हो?
तो उसने बताया कि उसके पति भी जीजा और दीदी के साथ गए हुए हैं और उसका बेटा जो 6 साल का है वो पास के घर में टयूशन पढ़ने गया है। बारिश के कारण वो अभी तक नहीं आया है।
कपड़े धोते हुए उसके खुद के कपड़े भी गीले हो गए थे। गीले कपड़े उसके गदराए बदन से चिपक गए थे। मेरी हालत खराब होती जा रही थी। पर कुछ कर नहीं सकता था। कुछ देर बाद वो उठ कर रसोई में चली गई रात का खाना बनाने के लिए, मैं बाहर सोफे पर बैठा टीवी देखता रहा और रसोई में खड़ी शर्मीला की गाण्ड जो साड़ी में बुरी तरह से कसी हुई थी देख रहा था। लण्ड वैसे फड़क रहा था जैसे खाना देख कर भूखे के पेट में चूहे कूदते हैं।
तब तक उसका बेटा भी आ गया और फिर जल्दी ही मेरी और उसकी दोस्ती भी हो गई। रात को खाना खाने के बाद सोने की तैयारी होने लगी। शर्मीला ने मुझे मेहमानकक्ष में सो जाने को बोला और वहीं मेरा बिस्तर ठीक कर दिया।
मेरे दिल में चुदाई करने की बेचैनी हो रही थी पर इज्ज़त के डर से मैं कुछ कर नहीं सकता था। वो मेरे दीदी की जेठानी थी, रिश्ता ही कुछ ऐसा था। मैं भी कुछ देर टीवी देख कर कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गया और अपने लण्ड महाराज को समझा-बुझा कर बैठाने की कोशिश करने लगा।
तभी मुझे लगा कि दरवाजे पर कोई था। मैंने लण्ड पर से अपना हाथ हटाया और करवट बदल कर लेट गया। तभी दरवाजे पर खट खट हुई, मैंने देखा तो शर्मीला थी, वो मुझे दूध देने आई थी।
मैंने उसकी तरफ करवट ली तो मेरा लण्ड ऊपर को सिर उठा कर खड़ा हो गया। मैंने जानबूझ कर उसके सामने ही लण्ड को हाथ से नीचे दबाया। मैं चाहता था कि उसका मेरे लण्ड पर ध्यान पड़े। पर वो तो पहले ही मेरे लण्ड को घूर रही थी। जब मैं दूध का गिलास उसके हाथ से लेने लगा तो मैं ताड़ गया कि उसका ध्यान लण्ड पर है।
मैंने उसको छेड़ते हुए उसके दिल को टटोला और पूछ लिया- क्या देख रही हैं आप?
वो सकपका गई और दूध मुझे पकड़ा कर एकदम से कमरे से बाहर चली गई।
मैंने दूध पिया, गर्म दूध पीकर और शर्मीला की गदराए बदन को देख कर मेरा लण्ड पूरे शवाब पर आ गया। कुछ देर बाद मैंने लण्ड को पजामे से बाहर निकाल लिया और उसको सहलाने लगा। मुझे एक बार फिर ऐसा लगा कि कोई दरवाजे पर है। पर अब तो मैं भी उसको अपना लण्ड दिखाना चाहता था। तभी दरवाजे पर दुबारा खटखट हुई तो मैंने लण्ड को पजामे में अंदर करने की कोशिश की पर वो खड़ा हो कर अकड़ गया था तो अंदर नहीं गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.