21-02-2019, 09:52 AM
पहली बार तो मैं डर गया कि क्या हुआ इसे, पर उसने कहा- संजू, मुझे सेक्स चाहिए अब !
इस पर मैंने कहा- चलो आगे बढ़ते हैं !
तब देखते ही देखते हम एक दूसरे के हर अंग को चूमने लगे, मैंने उसके चूचे मसलने चालू किये, अब वो और आवाजें निकालने लगी।
मैंने उसकी जींस को उतार दिया तथा उसने मेरी जींस को निकाल दिया। अब हम सिर्फ अपने अन्तर्वस्त्रों में थे। उसके बाद उसने मेरा लण्ड जो साढ़े सात इंच का लम्बा तथा साढ़े तीन इंच मोटा है, को अपन हाथ में लिया और मुठ मारने लगी। अब आवाज मेरे मुँह से निकलने लगी।
मैंने उस रात जम कर उसके वक्ष को मसला तथा चूसा, उसके गोरे गोरे छोटे मस्त चूचे एकदम लाल हो गए थे। तब मैं उसकी बुर तक पहुँचा तथा उसकी बुर को पहले तो होंठों से छुआ, उसके बाद चूसना शुरु किया, वो मस्त होकर बोलने लगी- संजू, और करो ! करो ! उई माँ ! और करो !
कुछ देर बाद वो मुझसे बोलने लगी- संजू, अब और बर्दाश्त नहीं होता, मुझे चोदो ! तुम्हारा लण्ड काफी मस्त है, इस चूत की प्यास मिटा दो !
उसने खुद थोड़ी क्रीम अपनी बुर तथा मेरे लंड पर लगाई तथा मेरे ऊपर आकर बैठ गई।
वाह ! वो पहली बार का हसीन समय कितना मजेदार था ! मैं बयान नहीं कर पा रहा हूँ, इसके बाद मेरा लंड करीब थोड़ा ही अंदर गया होगा कि वो चिल्लाने लगी, कहने लगी- संजू, तुम्हारा लंड मजेदार है ! बहुत मजा आएगा आज !
उसके बाद मैंने उसे नीचे लिटाया, खुद ऊपर आगया तथा एक धक्का जोर से लगाया, उसकी बुर के अंदर मेरा सात इंच का लंड करीब-करीब पूरा जा चुका था, उसकी बुर फट गई तथा थोड़ा खून भी निकल गया था पर उसे बहुत अच्छा लगा था, वो जोर से अपनी कमर ऊपर करने लगी, कहने लगी- फक्क मी संजू ! फक्क मी ! अब मैंने उसे अपनी बाहों में पकड़ा और उसकी बुर में पूरा लंड डालकर उसे चोदने लगा, वो भी साथ देने लगी।
फिर उसने घुटने के बल बैठ कर मुझे पीछे से चोदने के लिए बोला। इस बार मैंने अपनी लंड को थोड़ा और जोर लगाकर उसकी बुर के अंदर डाल दिया और धक्के मारने लगा, वो और चिल्लाने लगी- संजू और जोर से ! और करो !
अब मैं भी पूरे जोर से उसे चोदने लगा। करीब 15 मिनट बाद वो मुझे जोर से पकड़ कर चिल्लाने लगी- उम्म्म उम् उम्मा आह आह !
मैं और जोर जोर से चोदने लगा उसे ! फिर वो झड़ गई। ऐसा उसने बाद में बताया था पर मैं अभी भी उससे चोदने में लगा था, मुझे यह सब पता नहीं था, फिर वो हांफ़ने लगी और थोड़ा रुकने को बोली। फिर पाँच मिनट बाद वो फिर मेरे लंड को लेकर अपनी बुर में लेने लगी। मैं फिर उसकी चुदाई करने लगा। इस तरह करीब एक घंटे तक लगातार चली चुदाई के बाद मैं वहाँ से आया तथा वो सोने चली गई।
फिर इसके एक महीने बाद वो आगरा चली गई पर वो हसीन लम्हों की याद मुझे दे गई।
फिर एक बार वो कोलकाता आई, मुझसे मिली, कहा- मुझे पुरानी यादें ताज़ा करनी हैं।
फिर हम एक होटल में पहुँचे, वहाँ मज़े किये। पर वो कहानी अगली बार......
आज जूली मेरे जीवन में नहीं है, मैं फिर एक साल से अकेला हो गया हूँ।
इस पर मैंने कहा- चलो आगे बढ़ते हैं !
तब देखते ही देखते हम एक दूसरे के हर अंग को चूमने लगे, मैंने उसके चूचे मसलने चालू किये, अब वो और आवाजें निकालने लगी।
मैंने उसकी जींस को उतार दिया तथा उसने मेरी जींस को निकाल दिया। अब हम सिर्फ अपने अन्तर्वस्त्रों में थे। उसके बाद उसने मेरा लण्ड जो साढ़े सात इंच का लम्बा तथा साढ़े तीन इंच मोटा है, को अपन हाथ में लिया और मुठ मारने लगी। अब आवाज मेरे मुँह से निकलने लगी।
मैंने उस रात जम कर उसके वक्ष को मसला तथा चूसा, उसके गोरे गोरे छोटे मस्त चूचे एकदम लाल हो गए थे। तब मैं उसकी बुर तक पहुँचा तथा उसकी बुर को पहले तो होंठों से छुआ, उसके बाद चूसना शुरु किया, वो मस्त होकर बोलने लगी- संजू, और करो ! करो ! उई माँ ! और करो !
कुछ देर बाद वो मुझसे बोलने लगी- संजू, अब और बर्दाश्त नहीं होता, मुझे चोदो ! तुम्हारा लण्ड काफी मस्त है, इस चूत की प्यास मिटा दो !
उसने खुद थोड़ी क्रीम अपनी बुर तथा मेरे लंड पर लगाई तथा मेरे ऊपर आकर बैठ गई।
वाह ! वो पहली बार का हसीन समय कितना मजेदार था ! मैं बयान नहीं कर पा रहा हूँ, इसके बाद मेरा लंड करीब थोड़ा ही अंदर गया होगा कि वो चिल्लाने लगी, कहने लगी- संजू, तुम्हारा लंड मजेदार है ! बहुत मजा आएगा आज !
उसके बाद मैंने उसे नीचे लिटाया, खुद ऊपर आगया तथा एक धक्का जोर से लगाया, उसकी बुर के अंदर मेरा सात इंच का लंड करीब-करीब पूरा जा चुका था, उसकी बुर फट गई तथा थोड़ा खून भी निकल गया था पर उसे बहुत अच्छा लगा था, वो जोर से अपनी कमर ऊपर करने लगी, कहने लगी- फक्क मी संजू ! फक्क मी ! अब मैंने उसे अपनी बाहों में पकड़ा और उसकी बुर में पूरा लंड डालकर उसे चोदने लगा, वो भी साथ देने लगी।
फिर उसने घुटने के बल बैठ कर मुझे पीछे से चोदने के लिए बोला। इस बार मैंने अपनी लंड को थोड़ा और जोर लगाकर उसकी बुर के अंदर डाल दिया और धक्के मारने लगा, वो और चिल्लाने लगी- संजू और जोर से ! और करो !
अब मैं भी पूरे जोर से उसे चोदने लगा। करीब 15 मिनट बाद वो मुझे जोर से पकड़ कर चिल्लाने लगी- उम्म्म उम् उम्मा आह आह !
मैं और जोर जोर से चोदने लगा उसे ! फिर वो झड़ गई। ऐसा उसने बाद में बताया था पर मैं अभी भी उससे चोदने में लगा था, मुझे यह सब पता नहीं था, फिर वो हांफ़ने लगी और थोड़ा रुकने को बोली। फिर पाँच मिनट बाद वो फिर मेरे लंड को लेकर अपनी बुर में लेने लगी। मैं फिर उसकी चुदाई करने लगा। इस तरह करीब एक घंटे तक लगातार चली चुदाई के बाद मैं वहाँ से आया तथा वो सोने चली गई।
फिर इसके एक महीने बाद वो आगरा चली गई पर वो हसीन लम्हों की याद मुझे दे गई।
फिर एक बार वो कोलकाता आई, मुझसे मिली, कहा- मुझे पुरानी यादें ताज़ा करनी हैं।
फिर हम एक होटल में पहुँचे, वहाँ मज़े किये। पर वो कहानी अगली बार......
आज जूली मेरे जीवन में नहीं है, मैं फिर एक साल से अकेला हो गया हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
