21-02-2019, 09:52 AM
यह कहानी मेरी और मेरी सहकर्मी जूली की है जो मेरे ही ऑफिस में काम करती थी, हम दोनों ने नए थे तो कंपनी ने हम दोनों को ट्रेनिंग के लिए पुणे भेज दिया। वहाँ बीस दिनों की मार्केटिंग-ट्रेनिंग थी।
वहाँ पर पहले दिन 98 प्रतिशत अंक और सर्वोत्तम प्रदर्शन के लिए मुझे मैन ऑफ़ द ट्रेनिंग चुना गया। इसी बीच में हमारी दोस्ती भी हो गई और हम अच्छे दोस्त बन गए।
एक दिन जूली ने मुझे कहा- संजू, तुमसे एक बात कहनी थी, अगर तुम्हे बुरा न लगे तो !
मैंने कहा- कहो?
तो उसने कहा- आई लव यू ! क्या तुम मुझे अपनी प्रेमिका बनाना चाहोगे?
तब तक मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी तो मैंने भी हाँ कर दिया। उस दिन से वो ट्रेनिंग में मेरे ही पास आकर बैठने लगी तथा मुझसे हंसी मजाक भी करने लगी। कभी-कभी मेरे पीछे चिकोटी तक काट देती थी। इसके साथ साथ मेरी भी हिम्मत बढ़ने लगी, मैं भी उसके अंगों को छूने लगा, कभी मौका मिलता तो हम लोग चुम्बन भी कर लेते थे, कभी ,मैं उसे अपनी बाहों में ले लेता था।
आखिरी दिन से पहले हमारे यहाँ कॉकटेल पार्टी थी। वहाँ से अपने कमरे में लौटते-लौटते रात के दो बज चुके थे, सभी लोग अपने-अपने कमरे में चले गए थे, मैं भी जूली को उसके कमरे तक छोड़ने गया, वहाँ पहुँच कर जूली कुछ ज्यादा ही शरारती हो गई थी।
वो बार बार मेरे बदन से लिपटने लगी तथा कहने लगी- संजू, मुझे कुछ-कुछ हो रहा है !
तो मैंने पूछा- कहाँ?
तो उसने अपने नीचे हाथ रख कर कहा- यहाँ !
मुझे यहाँ से आगे बढ़ने में डर लग रहा था क्योंकि मैंने इसके पहले कभी सेक्स किया नहीं था, सो मैंने कहा- सो जा ! कल बात करते हैं।
इस पर उसने मुझे पकड़ कर बिस्तर पर गिरा दिया और कहने लगी- बदन दर्द कर रहा है ! जरा मेरी मदद करो !
मैंने कहा- मैं मालिश कर देता हूँ।
उसने कहा- ठीक है !
और मेरी तरफ पीठ करके बैठ गई। मैं उसकी पीठ पर हल्के-हल्के मालिश करने लगा। यह पहली बार था जब मैं किसी लड़की के साथ बंद कमरे में इस तरह कर बैठा था, मुझे उसकी गोरी-गोरी पीठ, लम्बे बाल तथा बड़े-बड़े रसीले स्तन मस्त लग रहे थे। अब मेरे सब्र का बांध टूट चुका था, मैंने उससे अपने आगोश में लिया और उसके ऊपर लेट कर तथा उसे चूमने लगा। इस पर वो सिसकारियाँ भरने लगी।
वहाँ पर पहले दिन 98 प्रतिशत अंक और सर्वोत्तम प्रदर्शन के लिए मुझे मैन ऑफ़ द ट्रेनिंग चुना गया। इसी बीच में हमारी दोस्ती भी हो गई और हम अच्छे दोस्त बन गए।
एक दिन जूली ने मुझे कहा- संजू, तुमसे एक बात कहनी थी, अगर तुम्हे बुरा न लगे तो !
मैंने कहा- कहो?
तो उसने कहा- आई लव यू ! क्या तुम मुझे अपनी प्रेमिका बनाना चाहोगे?
तब तक मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी तो मैंने भी हाँ कर दिया। उस दिन से वो ट्रेनिंग में मेरे ही पास आकर बैठने लगी तथा मुझसे हंसी मजाक भी करने लगी। कभी-कभी मेरे पीछे चिकोटी तक काट देती थी। इसके साथ साथ मेरी भी हिम्मत बढ़ने लगी, मैं भी उसके अंगों को छूने लगा, कभी मौका मिलता तो हम लोग चुम्बन भी कर लेते थे, कभी ,मैं उसे अपनी बाहों में ले लेता था।
आखिरी दिन से पहले हमारे यहाँ कॉकटेल पार्टी थी। वहाँ से अपने कमरे में लौटते-लौटते रात के दो बज चुके थे, सभी लोग अपने-अपने कमरे में चले गए थे, मैं भी जूली को उसके कमरे तक छोड़ने गया, वहाँ पहुँच कर जूली कुछ ज्यादा ही शरारती हो गई थी।
वो बार बार मेरे बदन से लिपटने लगी तथा कहने लगी- संजू, मुझे कुछ-कुछ हो रहा है !
तो मैंने पूछा- कहाँ?
तो उसने अपने नीचे हाथ रख कर कहा- यहाँ !
मुझे यहाँ से आगे बढ़ने में डर लग रहा था क्योंकि मैंने इसके पहले कभी सेक्स किया नहीं था, सो मैंने कहा- सो जा ! कल बात करते हैं।
इस पर उसने मुझे पकड़ कर बिस्तर पर गिरा दिया और कहने लगी- बदन दर्द कर रहा है ! जरा मेरी मदद करो !
मैंने कहा- मैं मालिश कर देता हूँ।
उसने कहा- ठीक है !
और मेरी तरफ पीठ करके बैठ गई। मैं उसकी पीठ पर हल्के-हल्के मालिश करने लगा। यह पहली बार था जब मैं किसी लड़की के साथ बंद कमरे में इस तरह कर बैठा था, मुझे उसकी गोरी-गोरी पीठ, लम्बे बाल तथा बड़े-बड़े रसीले स्तन मस्त लग रहे थे। अब मेरे सब्र का बांध टूट चुका था, मैंने उससे अपने आगोश में लिया और उसके ऊपर लेट कर तथा उसे चूमने लगा। इस पर वो सिसकारियाँ भरने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
