13-05-2020, 09:46 PM
मैं - नहीं सुमन भाभी, ऐसा नहीं है, यह तो मैं पहेली बार ही देख रही हूँ, और मुझे पता नहीं क्या हो रहा है, कुछ अजीब सा , ऊपर भी और नीचे भी, उफ़. जोबन बिलकुल टाइट हो गए हैं कुर्ती मैं . बस जी चाह रहा है कि ब्रा और कुर्ती खोल दू. बोल ही दिया ... साफ़ - साफ़.
सुमन भाभी - हम्म, होता हैं ऐसा , नार्मल है, मैं भी गीली हूँ नीचे से , अपना हात साला साये मैं और दो उँगलियाँ चाशनी मैं भीगी थी , फिर ले आये मेरी नाक के पास देख.
मैं , चुप, पर उस रस , उस चाशनी कि खुसबू मेरी वाली से अलग थी, मैं फिर बोली.
सुमन भाभी , इसकी स्मेल तो मेरी जैसी नहीं आ रही है, मैं तो यही सोच रही थी कि सबकी एक जैसी ही होती हैं.
सुमन भाभी- हम्म, तो तूने अपनी चाशनी को टेस्ट किया , सच बताना.
मैं - नहीं , मैं , वो , बस ऐसी ही, सूंघ लिया था वो क्या हैं न कि एक अलग सी खुसबू थी और अच्छी भी लग रही थी. आपकी तो अलग है ...
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प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
उफ़. जोबन बिलकुल टाइट हो गए हैं कुर्ती मैं . बस जी चाह रहा है कि ब्रा और कुर्ती खोल दू , मैंने यह बोल तो दिया था और सुमन भाभी कि आँखों कि चमक बता रही थी कि शिकार जाल मैं फंस रहा है, पर थी वो एकदम कुशल शिकारी. इंतज़ार किया उन्होंने.....
नहीं , मैं , वो , बस ऐसी ही, सूंघ लिया था वो क्या हैं न कि एक अलग सी खुशबू थी और अच्छी भी लग रही थी. आपकी तो अलग है ...
"सच्ची" कबूल करू तो "हाँ" मैंने चाटी थी मेरी पहेली चाशनी उफ़ , कितना अलग और मादक स्वाद था अब तक तो बहुत कुछ हो चूका मेरे साथ सब बता दूंगी आने वाले समय मैं, बस आपके प्यार का साथ और दो लाइन का सहारा.
उस समय सुमन भाभी को तो मना किया था कि नहीं चाटी, बस सूंघ ली थी , शायद पता तो चल ही गया था उनको भी, पर वो कुछ बोली नहीं. फिर एक ड्राप मेरे होंठो पर लगा दी और अपनी ऊँगली हटा ली और वापस अपनी नीचे वाली कि सेवा मैं लगा दी.
अब मैं बैचैन, कि सुमन भाभी के सामने कैसे उतारू कुर्ती और ब्रा , काफी खुल चुकी थी अब तक उनसे, काफी हिचक ख़तम हो गयी थी पर फिर भी हिम्मत नहीं हो रही थी.
और जोबन झोला खाए , ऊपर जाए और नीचे जाय, क्या करू हाय ? फिर मुझे याद आया कि घर पर सिर्फ ब्रा का हुक खोला था, वाह निहारिका , बन गया तेरा काम, ब्रा का हुक खोलना है , फिर आराम. ... शायद.
जी, फिर मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा के हुक खोलने लगी, सुमन भाभी यह देख कर हंसी, बोली, समझदार है तू निहारिका .
ब्रा के हुक खुलते ही, एकदम आराम आया मुझे , अब मेरी आँखे फिर मूवी तलाशने लगी , मूवी रुकी हुई थी और सुमन भाभी मुझे देख रही थाई, शायद इसी इनताजार मैं कि मैं उनसे बोलू कि चलाओ मूवी .
हुआ भी ऐसा ही, मैंने बोला सुमन भाभी , अब ठीक है कुछ आगे क्या हुआ दोनों का. मेरे लिए कुछ हद तक ठीक था कि एक लड़की दूसरी लड़की के जोबन देख ले , हाथ लगा ले चलता है, अक्सर मैं और मेरी सहेली ब्रा मैं एक दुसरे के सामने आ जाते थे वो साली मेरे जोबन दबा भी देती थी.
वहां, उस लड़की कि ब्रा खुल चुकी थी, उसके जोबन एकदम गोरे, गोल, भूरा निप्पल जो अलग चमक रहे थे गीले होने से. उसने अपने दोनों हाथ से अपने जोबन को ढका नहीं बल्कि नीचे से उठा कर परोस दिया जैसे, उसे चिढ़ा रही हो ले आजा खा जा ....
उफ़, फिर सच मैं दूसरी वाली ने एक जोबन अपने मुह मैं भर लिया और धीरे -धीरे कर के निकला लगभग चूसते हुये यह नया था मेरे लिए , मैं अपने आँख फाड़ के देखती रह गयी और उसने यह काम दुसरे जोबन पर भी कर दिया मेरी हालत फिर ख़राब.
उसका हाथ पेंटी कि डोरी पर था , इससे पहेले वो उसे खोल पाती वो पहेली लड़की भाग कर स्विमिंग पूल के पास आ गयी और बेंच पर लेट गयी, और उसे देखने लगी. अपने दोनों जोबन को दबाते हए उसे ऐसा करते देख दूसरी वाली भी अपने होंटो पर जीभ फिरने लगी , अचानक मेरी नजर सुमन भाभी के होंतो पर पड़ी वो भी यही कर रही थी मूवी को देखते हए फिर मुझे धयान आया कि मैं भी तो वो ही कर रही हूँ अपने होटो के साथ पर क्यों , पता नहीं.
फिर वो दूसरी लड़की आकर उसके पास लेट गयी, और उसके जोबन पर हाथ रखती हुए उसको दबाते हुए एक हाथ से उसकी पेंटी कि डोरी को खोल दिया और निकल कर पानी मैं फेंक दी .
फिर वो दोनों हँसने लगी यही काम अब पहेली वाली ने किया उसकी ब्रा और पेंटी खिल दी एक दुसरे को लिप किस करते हुए, मैं यह देख रही थी कि यह हो क्या रहा है, और यह दोनों नंगे कए हो गए कल एक आदमी और औरत कि बात तो समझ आ गयी थी. पर यहाँ तो दोनों औरते ही थी और "वो" तो होने का सवाल ही नहीं था .... दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था .... फिर सोचा देखो आगे क्या होता है?
दोनों लिप किस मैं डूबी हुई थी, कुछ देर के बाद एक उठी और जोबन को चूसने लगी और नीचे लेती हुई लड़की ने एक आहा भरी कि जैसे उसे काफी मजा आ रहा हो. फिर वो धीरे -धीरे निचे कि और जाने लगी उसकी जाघो को चूमने लगी - चाटने लगी ........ क्या हो रहा है ....... बस देखे जाओ.. पर जो भी था एक नया अहसास था और मजा भी आ रहा था. पूरी नंगी औरत मैंने खुद को ही देखा था वो भी बाथरूम मैं यह पहेली बार था एक नहीं दो -दो नंगी औरते वो भी एक दुसरे के जिस्म से खेलते हए.
फिर वो लड़की, जो लड़की लेती हुई थी और भीगी हुई भी थी, उसकी दोनों टांगो के बीच मैं आ कर रुक गयी, और मेरी सांस भी .... क्या करेगी अब ....
फिर मूवी और पास मैं से दिखने लगी , उस लड़की ने अपनी जीभ निकली और "नीचे वाली" पर लगा दी, और धीरे -धीरे चाटने लगी , बहुत स्लो उसे कोई जल्दी नहीं थी, पर कल उस आदमी को भी यही करते देखा था पर वो ठो जल्दी कर रहा था, कम - से कम इस लड़की से जल्दी.
फिर उसने धीरे से एक ऊँगली उसके अंदर डाल दी, मैं बोल पड़ी , ओह, माँ .....
सुमन भाभी - निहारिका , क्या हुआ , चुप कर के देख ..... सीख काम आएगा .
मैं - जी , भाभी
फिर उसने अपनी ऊँगली निकाली वो चाशनी मैं भरी हुई थी .... चाट गयी वो अपनी ऊँगली ......
मैंने भाभी के हाथ को पदक लिया और दबा दिया , मैं पूरी गर्म हो गयी थी , फिर भाभी बोली ...
सुमन भाभी - निहारिका , यह मूवी तू ले जा और आराम से देखलेना ,
मैं मन मैं सोच रही थी, भाभी यह जुल्म मत करो, कुछ करो मेरे साथ , कुछ ऐसा ही......
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका