21-02-2019, 04:27 AM
मेरा नाम सीमा है और मेरे पति मुंबई में मार्केटिंग का काम करते हैं. उनका नाम रमेश है. जब वो घर आते हैं तब हम जम कर चुदाई करते हैं. अभी हाल ही में मेरे पति छुट्टी पर घर आ कर और मेरी जोरदार चुदाई करके वापस मुंबई गये हैं. दिन मैंने महसूस किया कि आजकल जेठजी मुझ पर अपनी आँखें गड़ाये हुए हैं.
फिर एक दिन मैं जेठ जी को चाय देने उनके कमरे में गयी तो मैं आश्चर्यचकित रह गयी. मैंने देखा कि जेठ जी सो रहे थे और उनका लन्ड खड़ा था. उनका खड़ा लंड देख कर मेरी चूत गीली होने लगी और मेरी सांसें तेज चलने लगी. फिर मैंने चाय को टेबल पर रखीऔर बाहर आ गयी.
इतना बड़ा लंड देख कर मैं चुदासी हो गयी थी फिर मैंने बाथरूम में जाकर अपनी चूत को रगड़ा और चूत रगड़ते समय जेठजी का लंड आँखों के सामने आ रहा था और थोड़ी देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया ओए मैं शांत हो गई. अब मैं भी जेठ जी को नोटिस करने लगी. वो भी मुझे घूर कर ही देखते थे. यह देख कर मुझे पता लग गया था कि वो क्या चाहते हैं मुझे भी उन्हें देख कर चूत में खुजली होती थी
उसके 3-4 दिन बाद रात के करीब 1 बजे सभी सो रहे थे. उस समय मैं भी नींद में थी. तभी मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे चूतड़ पर हाथ फिरा रहा है. मुझे यकीन था कि जरूर ही ये जेठ जी हैं मैं मन ही मन खुस होने लगी वो भी बिना कुछ बोले ये सब कर रहे थे. और मैं भी चुपचाप लेटी हुई थी. मुझे पता था कि जेठ जी क्या करने वाले हैं पर मुझे वो लंड चूत में लेना ही था मेरी चुदाई की प्यास भी अब बढ़ चुकी थी.
फिर जेठ जी धीरे – धीरे करके मेरी पैंटी को नीचे की तरफ सरकाने लगे और फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरी पैंटी को उतार कर अलग कर दिया. फिर जैसे ही उन्होंने मेरी चूत पर हाथ रखा और उसे मसलने लगे वैसे ही मेरी चूत में तेज खुजली होने लगी और अब मेरी चूत गीली भी होने लगी.
जेठ जी को अब पता चल चुका था कि मैं चुदासी हूँ और अब गर्म हो रही हूँ. फिर उन्होंने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींच कर उसे उतार दिया. फिर उन्होंने मेरा ब्लाउज भी उतार दिया और मेरे मम्मों को जोर – जोर से ब्रा के उपर से ही मसलने लगे.
अब मेरी सांसें और तेज हो गयी तो मैंने अपनी ब्रा का हुक खोल दिया अब जेठ जी ब्रा को मेरे मम्मों पर से हटा कर उनको मसलने लगे उनके मसलने से मेरे मम्मे टाइट होने उन्होंने मेरे मम्मों पर अपने होंठ लगा दिया और जोर – जोर से चूसने लगे और साथ ही एक हाथ से मेरी चूत भी मसलने लगे. अब मैं उत्तेजित होकर आगे – पीछे होने लगी. फिर उन्होंने मेरे चूतड़ों को दबोच लिया और फिर मेरे चूतड़ों को मसलने लगे.
अब मैं बहुत चुदासी हो चुकी थी और मुझे लंड लेने की जल्दी होने लगी. फिर मैंने अपना हाथ जेठ जी के लंड पर रखा तो मैं सन्न सी रह गयी. उनका सोया हुआ लंड भी करीब 5 इंच लंबा था. यह देख कर मेरी चूत में चीटियाँ रेंगने लगी. अब मैं उनके लंड को जोर – जोर से हिलाने लगी. जिससे उनका लंड मोटा और लम्बा होने लगा. अब मेरी चूत और ज्यादा गीली होने लगी ऐसा लंड मैंने पहली बार हाथ में लिया था
फिर मैंने उनके लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया. ऐसे मस्त लंड चूस कर मजा आ गया. फिर लन्ड के गीला होने पर मैं फिर से हिलाने लगी. तभी लंड में जैसे बिजली का करंट दौड़ गया हो और वो लगभग 9 इंच लंबा हो गया.
लंड देखकर मैं तो उस समय मदहोस सी हो गयी थी अब जेठ जी ने मेरी चूत में अपनी एक उंगली डाल कर अंदर – बाहर करने लगे. थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मेरी चूत लंड पाने के लिए तड़प सी उठी थी
अब जेठ जी मेरी टांगों के बीच में आ गए और फिर मैंने उनके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और फिर मैं जेठ जी के लम्बे लंड को मसलने लगी. लंड की मोटाई मेरी मुट्ठी में नहीं आ रही थी. ये सोच कर कि मेरी चूत आज जरूर चौड़ी हो जायेगी, मैं काफी उत्तेजित थी. जेठजी ने मेरे चेहरे को देख कर भाँप लिया
फिर जेठ जी ने कंडोम निकाला और अपने लंड पर चढ़ा लिया. फिर जेठ जी ने अपना लंड को मेरी चूत के मुंह पर रखा और धीरे से लन्ड का सूपड़ा अंदर कर दिया. फक्क की आवाज के साथ लंड मेरी चूत में चला गया.
फिर एक दिन मैं जेठ जी को चाय देने उनके कमरे में गयी तो मैं आश्चर्यचकित रह गयी. मैंने देखा कि जेठ जी सो रहे थे और उनका लन्ड खड़ा था. उनका खड़ा लंड देख कर मेरी चूत गीली होने लगी और मेरी सांसें तेज चलने लगी. फिर मैंने चाय को टेबल पर रखीऔर बाहर आ गयी.
इतना बड़ा लंड देख कर मैं चुदासी हो गयी थी फिर मैंने बाथरूम में जाकर अपनी चूत को रगड़ा और चूत रगड़ते समय जेठजी का लंड आँखों के सामने आ रहा था और थोड़ी देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया ओए मैं शांत हो गई. अब मैं भी जेठ जी को नोटिस करने लगी. वो भी मुझे घूर कर ही देखते थे. यह देख कर मुझे पता लग गया था कि वो क्या चाहते हैं मुझे भी उन्हें देख कर चूत में खुजली होती थी
उसके 3-4 दिन बाद रात के करीब 1 बजे सभी सो रहे थे. उस समय मैं भी नींद में थी. तभी मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे चूतड़ पर हाथ फिरा रहा है. मुझे यकीन था कि जरूर ही ये जेठ जी हैं मैं मन ही मन खुस होने लगी वो भी बिना कुछ बोले ये सब कर रहे थे. और मैं भी चुपचाप लेटी हुई थी. मुझे पता था कि जेठ जी क्या करने वाले हैं पर मुझे वो लंड चूत में लेना ही था मेरी चुदाई की प्यास भी अब बढ़ चुकी थी.
फिर जेठ जी धीरे – धीरे करके मेरी पैंटी को नीचे की तरफ सरकाने लगे और फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरी पैंटी को उतार कर अलग कर दिया. फिर जैसे ही उन्होंने मेरी चूत पर हाथ रखा और उसे मसलने लगे वैसे ही मेरी चूत में तेज खुजली होने लगी और अब मेरी चूत गीली भी होने लगी.
जेठ जी को अब पता चल चुका था कि मैं चुदासी हूँ और अब गर्म हो रही हूँ. फिर उन्होंने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींच कर उसे उतार दिया. फिर उन्होंने मेरा ब्लाउज भी उतार दिया और मेरे मम्मों को जोर – जोर से ब्रा के उपर से ही मसलने लगे.
अब मेरी सांसें और तेज हो गयी तो मैंने अपनी ब्रा का हुक खोल दिया अब जेठ जी ब्रा को मेरे मम्मों पर से हटा कर उनको मसलने लगे उनके मसलने से मेरे मम्मे टाइट होने उन्होंने मेरे मम्मों पर अपने होंठ लगा दिया और जोर – जोर से चूसने लगे और साथ ही एक हाथ से मेरी चूत भी मसलने लगे. अब मैं उत्तेजित होकर आगे – पीछे होने लगी. फिर उन्होंने मेरे चूतड़ों को दबोच लिया और फिर मेरे चूतड़ों को मसलने लगे.
अब मैं बहुत चुदासी हो चुकी थी और मुझे लंड लेने की जल्दी होने लगी. फिर मैंने अपना हाथ जेठ जी के लंड पर रखा तो मैं सन्न सी रह गयी. उनका सोया हुआ लंड भी करीब 5 इंच लंबा था. यह देख कर मेरी चूत में चीटियाँ रेंगने लगी. अब मैं उनके लंड को जोर – जोर से हिलाने लगी. जिससे उनका लंड मोटा और लम्बा होने लगा. अब मेरी चूत और ज्यादा गीली होने लगी ऐसा लंड मैंने पहली बार हाथ में लिया था
फिर मैंने उनके लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया. ऐसे मस्त लंड चूस कर मजा आ गया. फिर लन्ड के गीला होने पर मैं फिर से हिलाने लगी. तभी लंड में जैसे बिजली का करंट दौड़ गया हो और वो लगभग 9 इंच लंबा हो गया.
लंड देखकर मैं तो उस समय मदहोस सी हो गयी थी अब जेठ जी ने मेरी चूत में अपनी एक उंगली डाल कर अंदर – बाहर करने लगे. थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मेरी चूत लंड पाने के लिए तड़प सी उठी थी
अब जेठ जी मेरी टांगों के बीच में आ गए और फिर मैंने उनके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और फिर मैं जेठ जी के लम्बे लंड को मसलने लगी. लंड की मोटाई मेरी मुट्ठी में नहीं आ रही थी. ये सोच कर कि मेरी चूत आज जरूर चौड़ी हो जायेगी, मैं काफी उत्तेजित थी. जेठजी ने मेरे चेहरे को देख कर भाँप लिया
फिर जेठ जी ने कंडोम निकाला और अपने लंड पर चढ़ा लिया. फिर जेठ जी ने अपना लंड को मेरी चूत के मुंह पर रखा और धीरे से लन्ड का सूपड़ा अंदर कर दिया. फक्क की आवाज के साथ लंड मेरी चूत में चला गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
