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लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग,
अब तक भी सुमन भाभी का हाथ नीचे वाली पर था , यह पहेला मौका था जब किसी और का हाथ मेरी नीचे वाली पर था . उनकी उँगलियाँ मेरी चाशनी से खेल रही थी. 

और मेरी आँख बंद , आगे जो होने वाला था , उसके इंतज़ार मैं ..... अपने जोबन धडकती बैठी थी .
..................

प्रिय सहेलिओं ,
 
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
 
अब आगे ,

मेरी आँख बंद, जोबन और धडकनो का मुकाबला उफ़ क्या हो रहा था मुझे हाथ - पैर ठन्डे हिलने कि हिम्मत नहीं थी. फिर सुमन भाभी ने कहा -

सुमन भाभी - निहारिका , एक काम कर तू जा और सु -सु कर ले और साफ़ भी नहीं तो तू ऐसी ही रह जाएगी.

मैं - जी, भाभी. उफ़ जान मैं जान आई हो जैसे मैं जल्दी से उठ कर बाथरूम मैं भागी , और भाभी मुझे देख कर हंस रही थी.

मैं शरम से लाल , आँख झुका कर सीधी बाथरूम मैं. बाथरूम मैं जाकर सीट पर बतिः गयी अपनी लेगिगिंग्स नीचे कर के फिर मैंने नीचे देखा तो फिर वो ही चाशनी और नीचे वाली पर हाथ लगाया एकदम चिकना, पर मजा आ रहा था न जाने क्यों ? कुछ देर ऐसे ही उँगलियाँ चलती रही जैसे सुमन भाभी चला रही थी. फिर ध्यान आया चल निहारिका बाहर नहीं तो सुमन भाभी आ जाएँगी.

जब मैं बाहर आई तो सुमन भाभी से नजर नहीं मिला पा रही थी , फिर हिम्मत कर के देखा तो सुमन भाभी अपनी उँगलियाँ चाट रही हैं यह नया था , हम्म मेरी सहेली ने भी ऐसा ही कुछ किया होगा मेरी पेंटी के साथ पर वो जो भी हो मेरे आँखों के सामने नहीं हुआ था पर यहाँ तो मेरी आखो के सामने ही सुमन भाभी चटकारे ले रही थी. 

मैं - सुमन भाभी , आप , उफ़ आगे नहीं बोल पायी थी .

सुमन भाभी - हम्म, तो क्या हुआ , औरत कि बेस्ट चीज खा रही हूँ. मुझे पसंद है, और उस शीतल को भी, अगर वो होती तो सीधा "वही" से खाती. 

मैं - उफ़, सच्ची सुमन भाभी , मैं नहीं मानती , ऐसा भी कही होता है, और यह जो कुछ हो रहा है आज पहेली बार है मेरे साथ .

सुमन भाभी - अरे मेरी जान , पहेली धार का मजा ही अलग  होता हैं. आजा बैठ.

मैं - जी, सुमन भाभी .

फिर सुमन भाभी ने अपना मोबाइल निकला और एक मूवी चलाई जो एक बड़े से महल और आलिशान घर से शुरू हुई फिर गार्डन मैं एक स्विमिंग पूल था जिसे पास एक बहुत ही खूबसूरत जवान लड़की सिर्फ ब्रा और पेंटी मैं एक बेंच पर बैठी थी और एक और लड़की देखि जो पानी मैं थी, उसने भी वाइट ब्रा और पेंटी पेहन रखी थी.

कुछ देर पानी वाली लड़की पानी से खेल कर बाहर आई उस बेंच वाली लड़की के पास उसके जिस्म से टपकता हुआ पानी उफ़, आग लग गयी मेरे तो, "आह" कि आवाज निकल गयी मुह से , आवाज सुनकर सुमन भाभी मुस्कुरायी पर बोली कुछ नहीं . मैं भी बिना पलक झपकाए मूवी देख रही थी. 

फिर वो लड़की जो पानी से भीगी थी, उसने अपने बाल झटकाए और पानी कि बुँदे उस लेटी हुई लड़की पर आ गिरी , वो लड़की सिगरेट पी रही थी, मैं बोली सुमन भाभी देखो तो इसे ...

हम्म, तो क्या हुआ , आजकल सब चलता है, तू देख ....

मेरा ध्यान फिर मूवी पर गया तो वो लड़की जो सिगरेट पी रही थी उस भीगी हुई लड़की को पकड़ने भागी और वो भीगी लड़की आगे भागी . यह देख कर मुझे हंसी आ गयी, हम लड़कियां भी अक्सर एक दुसरे को भीगा कर भाग जाते थे फिर पकडम  - पकडाई और जोबन भी दब जाते थे खेल - खेल मैं. 

अबकी बार सुमन भाभी भी हंस दी, और बोली - 

सुमन भाभी - आ गयी याद बचपन कि , क्यों निहारिका ?

मैं - जी, भाभी . 

फिर पानी मैं भीगी हुई लड़की एक पेड़ के पास रुक गयी, और दूसरी लड़की भी वहा तक आ पहुंची अचानक वो गीली लड़की ने भागने कि कोशिस करी तो उसकी ब्रा कि डोरी दूसरी के हाथ मैं आ गयी, मैंने सुमन भाभी से पुछा कि यह कौन सी ब्रा है, तो सुमन भाभी  ने बोला यह बिकनी होती है, ब्रा जैसी ही होती हैं पर थोड़ी खुली और सेक्सी और डोरी जो आसानी से खुल जीये , ही ही 

वहां, उस लड़की कि ब्रा खुल चुकी थी, उसके जोबन एकदम गोरे, गोल, भूरा निप्पल जो अलग चमक रहे थे गीले होने से. उसने अपने दोनों हाथ से अपने जोबन को ढका नहीं बल्कि नीचे से उठा कर परोस दिया जैसे , मैं यह देख कर हैरान थी, और मेरे जोबन अब बगावत पर उतर आये थे , अब मैं सुमन भाभी के सामने कैसे खोलती उन्हें , मेरी कसमसाहट को देखकर सुमन भाभी बोली-

सुमन भाभी -  क्या हुआ निहारिका ? आछा नहीं लग रहा क्या ?

मैं - नहीं सुमन भाभी, ऐसा नहीं है, यह तो मैं पहेली बार ही देख रही हूँ, और मुझे पता नहीं क्या हो रहा है, कुछ अजीब सा , ऊपर भी और नीचे भी, उफ़. जोबन बिलकुल टाइट हो गए हैं कुर्ती मैं . बस जी चाह रहा है कि ब्रा और कुर्ती खोल दू. बोल ही दिया ... साफ़ - साफ़.

सुमन भाभी - हम्म,  होता हैं ऐसा , नार्मल है, मैं भी गीली हूँ नीचे से , अपना हात साला साये मैं और दो उँगलियाँ चाशनी मैं भीगी थी , फिर ले आये मेरी नाक के पास देख.

मैं , चुप, पर उस रस , उस चाशनी कि खुसबू मेरी वाली से अलग थी, मैं फिर बोली. 

सुमन भाभी , इसकी स्मेल तो मेरी जैसी नहीं आ रही है, मैं तो यही सोच रही थी कि सबकी एक जैसी ही होती हैं.

सुमन भाभी- हम्म, तो तूने अपनी चाशनी को टेस्ट किया , सच बताना. 

[b]मैं - नहीं , मैं , वो , बस ऐसी ही, सूंघ लिया था वो क्या हैं न कि एक अलग सी खुसबू थी और अच्छी भी लग रही थी. आपकी तो अलग है ....[/b]

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों,  आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका 
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RE: लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग, - by Niharikasaree - 13-05-2020, 01:09 AM



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