11-05-2020, 04:22 PM
दीपक के अमेरिका से वापस आने में अब सिर्फ दो दिन रह गए थे , पिछले दस दिन की चुदाई में जेठ जी ने मेरी चूत अच्छी तरह खोल कर रख दी थी ! अब तो आराम से उनका मूसल लण्ड मेरी चूत में तैर जाता था , दर्द का अहसास भी अब दो मिनट का ही रह गया था, उसके बाद तो मज़ा ही मज़ा आता था ! आज सुबह घर का काम निबटने के बाद मैं जेठ जी से बातें कर रही थी , चाय की चुस्की के साथ , गावं की बातों का दौर चल पड़ा !
मैं : भैया , आपके बारे ये सुना है की आप की देख रेख में हमेशा नार्मल डिलीवरी होती है बच्चे की !
भैया : देखो सोनी , आज कल के लड़के ठीक से सेक्स नहीं कर पाते ! कम उम्र में ही फ़ास्ट फ़ूड , ब्लू फिल्म , मुठ मारना और कई गलत चीज़ों के कारण उनके लण्ड में उतना दम नहीं रह जाता ! औरत की चूत कुंवारेपन में बिलकुल टाइट होती है , जो असली मर्द चोद चोद के ढीला करता है ! या यूँ कहो की रास्ता चौड़ी करता है , क्योंकि उसी रस्ते से बच्चे को बाहर आना होता है ! अब अगर रास्ता ही पतला रह जाय तो इतना बड़ा बच्चा कैसे बाहर निकलेगा , इसलिए उसको पेट काटकर निकाल लिया जाता है !
मैं : अच्छा , मतलब आप सिर्फ अपना वीर्य ही अंदर नहीं डालते ,चूत का रास्ता भी बनाते हैं ! तो क्या आपने गावँ की सभी औरतों को कई बार चोदा है !
भैया : सबको नहीं , पर ज्यादातर को ! लेकिन जिसने भी मुझसे अपनी चूत चौड़ी नहीं करवाई , उसको ऑपरेशन करवाना पड़ा ! अब तो सभी लगातार आती है, अपनी अपनी चौड़ी कराने! हफ्ते में एक या दो बार भी मुझसे चुद जाये , तो बच्चा नार्मल ही होता है !
मैं : क्या बात है भैया , जब भी आपका मन करता होगा , आप बुला लेते होंगे !
भैया : नहीं ऐसी बात नहीं , मैं बस बता देता हूँ की अगली डोज़ कब लेनी है , पर मैंने कभी किसी को भी अपने इच्छा से नहीं बुलाया ! और फिर घर पर दो नर्सें भी तो है , उनका भी ख्याल रखना पड़ता है मुझे , आखिर वो भी इसी सुख के लिए मेरे साथ जुडी हुई हैं !
मैं : भैया , आपमें इतनी ताक़त कहाँ से आती है ? मैं थक जाती हूँ पर आप नहीं थकते !
भैया : मैं अपने शरीर का पूरा ध्यान रखता हूँ , पौष्टिक भोजन , वर्जिश और बादाम के तेल से मालिश करता हूँ !
मैं : लेकिन भैया यहाँ तो आपने कभी मालिश नहीं की ! आइये आज मैं आपकी मालिश करती हूँ !
भैया : ठीक है , फिर तेल लेकर आ जाओ !
मैं तेल लेने घर में चली गई ! भैया ने छत पर पड़े गद्दे को ठीक किया , एक पुरानी चादर डाल दी और पूरे नंगे होकर लेट गए !मैंने भी अपनी ब्रा और पैन्टी उत्तर दी और भइया के पीठ पर बैठ के , बादाम का तेल चुपड़ के अपने नाजुक हाथों से तेल लगाकर मालिश करने लगी ! थोड़ी देर बाद भैया पलट गए और मैं उनके लण्ड पर बैठ गई,और छाती और पैर वगैरह पर तेल लगाकर मालिश कर दी ! अब लण्ड की बारी थी , मैं भैया के पेट पर उनकी तरफ पीठ करके बैठ गई , लण्ड पर बहुत सारा तेल डालकर उसको मालिश करने लगी , अब भैया हरकत में आ रहे थे ! वो दीवार के सहारे आधे बैठे और आधे लेटे मुद्रा में थे ! भैया ने भी थोड़ा तेल लेकर मेरे पीठ पर लगाया , और पूरे पीठ और चूची तक सहलाने लगे ! मुझे अपने तरफ घुमा कर मुझे चूमने लगे , मुंह में जीभ डालकर चूसने लगे ! मैं समझ गई चुदाई होने ही वाली है !भैया बार बार तेल लेकर मेरे पीठ से ऊँगली को फिसलकर मेरे गाँड के छेद तक ले जाते और बचा हुआ तेल गाँड में घुसा देते और ऊँगली से अंदर तक पहुंचाते! मुझे उनके इरादे ठीक नहीं लग रहे थे , बड़ा अजीब सा लग रहा था ! चूमने चूसने की होड़ सी लग गई थी , मेरे और भैया के बीच , कोई एक दूसरे से पीछे नहीं रहना चाहता था , मैं गाँड उचका कर उनको चूमती और वो तेल से डूबी ऊँगली मेरी गाँड में घुसा देते ! एक हाथ से मेरी चूचियों का मसलना भी जारी था , अब भैया जोर की भी मसल देते थे ! पिछले दस दिनों में चूचियाँ भी साइज़ में बड़ी और थोड़ी ढीली हो गई थी ! मेरी चूत से लीकेज चालू था , चूमा चाटी के बीच ही भैया के लण्ड ने मेरी चूत में प्रवेश कर लिया था , मेरा मन थोड़ा हल्का हुआ , पर गाँड का डर अभी गया नहीं था क्योंकि भैया बार बार ऊँगली तेल में डुबोते थे और गाँड में घुसा देते थे ! गाँड का दर्द बढ़ गया था , भैया ने शायद ऊँगली बदल दी थी , छोटी ऊँगली की जगह अब मोटी वाली ऊँगली अंदर बाहर हो रही थी ! मुझे ऐसा लग रहा था की मेरी चूत कोई और लण्ड से चोदी जा रही है , और गाँड किसी और लण्ड से मारी जा रही है !
भैया को जल्दी नहीं होती थी चूत चोदने में, आराम से मेरी चूत चोदे जा रहे थे और गाँड में ऊँगली भी लगातार हो रही थी ! मैं भैया के ऊपर लेटी थी, थकावट सी होने लगी और मैं उनके सीने से चिपकने लगी ! अब भैया अपने दोनों हाथों से मेरी गाँड थामे थे ,और अपने लण्ड के ऊपर नीचे कर रहे थे , साथ में उनकी ऊँगली भी मेरी गाँड में आ जा रही थी ! मैं अब उनसे चिपक सी गयी थी अपने ऊपर वाले हिस्से से , भैया का लण्ड आराम से अंदर बाहर हो रहा था ! तेल की चिकनाहट से लण्ड बिलकुल आसानी से आ जा रहा था , भैया बीच बीच में लण्ड पूरा बाहर निकलते और दुबारा घुसा देते !
सब कुछ बड़े आराम से चल रहा था , की एकाएक भैया ने अपना लण्ड निकला , बहुत सारा तेल लण्ड पर डाला और ऊँगली को मेरे गाँड से निकाल कर , अपने लण्ड को गाँड में डाल दिया ! जेठ जी का सुपाड़ा अंदर जाते ही मेरी चीख निकल गई , सुपाड़ा ने मेरी गाँड निश्चित रूप से फाड़ दी होगी , मुझे ऐसा ही लग रहा था ! इतना तेल डालने के बाद भी गाँड में लण्ड फंस गया था , मेरे नाख़ून भैया के पीठ में चुभे होंगे , इतनी ज़ोर से मैंने दर्द सहा था ! लण्ड को हिलता डुलता न देख भैया थोड़ी देर के लिए शांत हो गए , और मेरे होंठों को चूसने लगे ! थोड़ी देर बाद दर्द थोड़ा काम होने लगा , और लण्ड की पकड़ थोड़ी ढीली सी लगी, यानी मेरी गाँड ने अब समझौता कर लिया था ,नए मेहमान से ! भैया मुझे गोद में लेकर उठ गए, थोड़ी चहलकदमी की , और वापस बिस्तर पर आ गए ! ये मेरी सोच से बाहर था की गाँड में लण्ड डालकर कोई टहल भी सकता है ! गद्दे पर मुझे डालकर , भैया ऊपर आ गए ! मैंने झुक कर देखा अभी आधा से ज्यादा लण्ड बाहर था , भैया से रिक्वेस्ट भी की कि फिर कभी , पर भैया ने अनसुनी कर दी ! भैया ने अब बचा हुआ तेल अपने लण्ड के ऊपर डाला , बिलकुल मेरे गाँड के जड़ में ! मैं तेल को अपने गाँड में रिसता महसूस कर रही थी ,और लण्ड भी धीरे धीरे अंदर जा रहा था ! भैया ने मेरी गाँड मारनी शुरू कर दी , धीरे धीरे अब आराम आने लगा था ! मेरे लिए चूत से ज्यादा दर्द गाँड मराने में हुआ था , अब मैं हर तरह से जेठ जी से चुद गई थी , जेठ जी ने चूत का सील तोड़ने के बाद अब गाँड पर भी अपनी मुहर लगा दी थी ! करीब दस मिनट तक गाँड मारने के बाद जेठ जी ने लण्ड निकल लिया और वापस चूत को दिखाया ! चूत ने बड़े प्यार से पुच्छ कि आवाज़ के साथ लण्ड का स्वागत किया ! अब तो हमारे बीच होड़ लग गई ! मैं भी गाँड का दर्द भूलकर चूत उछालने लगी ! घपा घप लण्ड अंदर बाहर हो रहा था और हम दोनों ही एक साथ पुरे जोर से कांपे और अपना अपना पानी चूत में जमा करने लगे ! इस लाजवाब चुदाई और गाँड मराई के बाद हम निढाल होकर गिर पड़े !
मैं : भैया , आपके बारे ये सुना है की आप की देख रेख में हमेशा नार्मल डिलीवरी होती है बच्चे की !
भैया : देखो सोनी , आज कल के लड़के ठीक से सेक्स नहीं कर पाते ! कम उम्र में ही फ़ास्ट फ़ूड , ब्लू फिल्म , मुठ मारना और कई गलत चीज़ों के कारण उनके लण्ड में उतना दम नहीं रह जाता ! औरत की चूत कुंवारेपन में बिलकुल टाइट होती है , जो असली मर्द चोद चोद के ढीला करता है ! या यूँ कहो की रास्ता चौड़ी करता है , क्योंकि उसी रस्ते से बच्चे को बाहर आना होता है ! अब अगर रास्ता ही पतला रह जाय तो इतना बड़ा बच्चा कैसे बाहर निकलेगा , इसलिए उसको पेट काटकर निकाल लिया जाता है !
मैं : अच्छा , मतलब आप सिर्फ अपना वीर्य ही अंदर नहीं डालते ,चूत का रास्ता भी बनाते हैं ! तो क्या आपने गावँ की सभी औरतों को कई बार चोदा है !
भैया : सबको नहीं , पर ज्यादातर को ! लेकिन जिसने भी मुझसे अपनी चूत चौड़ी नहीं करवाई , उसको ऑपरेशन करवाना पड़ा ! अब तो सभी लगातार आती है, अपनी अपनी चौड़ी कराने! हफ्ते में एक या दो बार भी मुझसे चुद जाये , तो बच्चा नार्मल ही होता है !
मैं : क्या बात है भैया , जब भी आपका मन करता होगा , आप बुला लेते होंगे !
भैया : नहीं ऐसी बात नहीं , मैं बस बता देता हूँ की अगली डोज़ कब लेनी है , पर मैंने कभी किसी को भी अपने इच्छा से नहीं बुलाया ! और फिर घर पर दो नर्सें भी तो है , उनका भी ख्याल रखना पड़ता है मुझे , आखिर वो भी इसी सुख के लिए मेरे साथ जुडी हुई हैं !
मैं : भैया , आपमें इतनी ताक़त कहाँ से आती है ? मैं थक जाती हूँ पर आप नहीं थकते !
भैया : मैं अपने शरीर का पूरा ध्यान रखता हूँ , पौष्टिक भोजन , वर्जिश और बादाम के तेल से मालिश करता हूँ !
मैं : लेकिन भैया यहाँ तो आपने कभी मालिश नहीं की ! आइये आज मैं आपकी मालिश करती हूँ !
भैया : ठीक है , फिर तेल लेकर आ जाओ !
मैं तेल लेने घर में चली गई ! भैया ने छत पर पड़े गद्दे को ठीक किया , एक पुरानी चादर डाल दी और पूरे नंगे होकर लेट गए !मैंने भी अपनी ब्रा और पैन्टी उत्तर दी और भइया के पीठ पर बैठ के , बादाम का तेल चुपड़ के अपने नाजुक हाथों से तेल लगाकर मालिश करने लगी ! थोड़ी देर बाद भैया पलट गए और मैं उनके लण्ड पर बैठ गई,और छाती और पैर वगैरह पर तेल लगाकर मालिश कर दी ! अब लण्ड की बारी थी , मैं भैया के पेट पर उनकी तरफ पीठ करके बैठ गई , लण्ड पर बहुत सारा तेल डालकर उसको मालिश करने लगी , अब भैया हरकत में आ रहे थे ! वो दीवार के सहारे आधे बैठे और आधे लेटे मुद्रा में थे ! भैया ने भी थोड़ा तेल लेकर मेरे पीठ पर लगाया , और पूरे पीठ और चूची तक सहलाने लगे ! मुझे अपने तरफ घुमा कर मुझे चूमने लगे , मुंह में जीभ डालकर चूसने लगे ! मैं समझ गई चुदाई होने ही वाली है !भैया बार बार तेल लेकर मेरे पीठ से ऊँगली को फिसलकर मेरे गाँड के छेद तक ले जाते और बचा हुआ तेल गाँड में घुसा देते और ऊँगली से अंदर तक पहुंचाते! मुझे उनके इरादे ठीक नहीं लग रहे थे , बड़ा अजीब सा लग रहा था ! चूमने चूसने की होड़ सी लग गई थी , मेरे और भैया के बीच , कोई एक दूसरे से पीछे नहीं रहना चाहता था , मैं गाँड उचका कर उनको चूमती और वो तेल से डूबी ऊँगली मेरी गाँड में घुसा देते ! एक हाथ से मेरी चूचियों का मसलना भी जारी था , अब भैया जोर की भी मसल देते थे ! पिछले दस दिनों में चूचियाँ भी साइज़ में बड़ी और थोड़ी ढीली हो गई थी ! मेरी चूत से लीकेज चालू था , चूमा चाटी के बीच ही भैया के लण्ड ने मेरी चूत में प्रवेश कर लिया था , मेरा मन थोड़ा हल्का हुआ , पर गाँड का डर अभी गया नहीं था क्योंकि भैया बार बार ऊँगली तेल में डुबोते थे और गाँड में घुसा देते थे ! गाँड का दर्द बढ़ गया था , भैया ने शायद ऊँगली बदल दी थी , छोटी ऊँगली की जगह अब मोटी वाली ऊँगली अंदर बाहर हो रही थी ! मुझे ऐसा लग रहा था की मेरी चूत कोई और लण्ड से चोदी जा रही है , और गाँड किसी और लण्ड से मारी जा रही है !
भैया को जल्दी नहीं होती थी चूत चोदने में, आराम से मेरी चूत चोदे जा रहे थे और गाँड में ऊँगली भी लगातार हो रही थी ! मैं भैया के ऊपर लेटी थी, थकावट सी होने लगी और मैं उनके सीने से चिपकने लगी ! अब भैया अपने दोनों हाथों से मेरी गाँड थामे थे ,और अपने लण्ड के ऊपर नीचे कर रहे थे , साथ में उनकी ऊँगली भी मेरी गाँड में आ जा रही थी ! मैं अब उनसे चिपक सी गयी थी अपने ऊपर वाले हिस्से से , भैया का लण्ड आराम से अंदर बाहर हो रहा था ! तेल की चिकनाहट से लण्ड बिलकुल आसानी से आ जा रहा था , भैया बीच बीच में लण्ड पूरा बाहर निकलते और दुबारा घुसा देते !
सब कुछ बड़े आराम से चल रहा था , की एकाएक भैया ने अपना लण्ड निकला , बहुत सारा तेल लण्ड पर डाला और ऊँगली को मेरे गाँड से निकाल कर , अपने लण्ड को गाँड में डाल दिया ! जेठ जी का सुपाड़ा अंदर जाते ही मेरी चीख निकल गई , सुपाड़ा ने मेरी गाँड निश्चित रूप से फाड़ दी होगी , मुझे ऐसा ही लग रहा था ! इतना तेल डालने के बाद भी गाँड में लण्ड फंस गया था , मेरे नाख़ून भैया के पीठ में चुभे होंगे , इतनी ज़ोर से मैंने दर्द सहा था ! लण्ड को हिलता डुलता न देख भैया थोड़ी देर के लिए शांत हो गए , और मेरे होंठों को चूसने लगे ! थोड़ी देर बाद दर्द थोड़ा काम होने लगा , और लण्ड की पकड़ थोड़ी ढीली सी लगी, यानी मेरी गाँड ने अब समझौता कर लिया था ,नए मेहमान से ! भैया मुझे गोद में लेकर उठ गए, थोड़ी चहलकदमी की , और वापस बिस्तर पर आ गए ! ये मेरी सोच से बाहर था की गाँड में लण्ड डालकर कोई टहल भी सकता है ! गद्दे पर मुझे डालकर , भैया ऊपर आ गए ! मैंने झुक कर देखा अभी आधा से ज्यादा लण्ड बाहर था , भैया से रिक्वेस्ट भी की कि फिर कभी , पर भैया ने अनसुनी कर दी ! भैया ने अब बचा हुआ तेल अपने लण्ड के ऊपर डाला , बिलकुल मेरे गाँड के जड़ में ! मैं तेल को अपने गाँड में रिसता महसूस कर रही थी ,और लण्ड भी धीरे धीरे अंदर जा रहा था ! भैया ने मेरी गाँड मारनी शुरू कर दी , धीरे धीरे अब आराम आने लगा था ! मेरे लिए चूत से ज्यादा दर्द गाँड मराने में हुआ था , अब मैं हर तरह से जेठ जी से चुद गई थी , जेठ जी ने चूत का सील तोड़ने के बाद अब गाँड पर भी अपनी मुहर लगा दी थी ! करीब दस मिनट तक गाँड मारने के बाद जेठ जी ने लण्ड निकल लिया और वापस चूत को दिखाया ! चूत ने बड़े प्यार से पुच्छ कि आवाज़ के साथ लण्ड का स्वागत किया ! अब तो हमारे बीच होड़ लग गई ! मैं भी गाँड का दर्द भूलकर चूत उछालने लगी ! घपा घप लण्ड अंदर बाहर हो रहा था और हम दोनों ही एक साथ पुरे जोर से कांपे और अपना अपना पानी चूत में जमा करने लगे ! इस लाजवाब चुदाई और गाँड मराई के बाद हम निढाल होकर गिर पड़े !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
