21-02-2019, 12:57 AM
अब चूत और लंड का इतना ही स्पर्श हुआ था, जो कि मेरा पहला अनुभव था मुझे मजा आ गया था, जिसे में यहाँ लिखकर नहीं बता सकता हूँ। फिर में सुनीता के ऊपर से हटकर उसकी दोनों जाँघो के बीच में आ गया और उसकी जाँघो को थोड़ा और फैलाया और फिर अपने लंड को सुनीता की चूत में ऊपर नीचे करके अपना आधा लंड घुसा ही दिया, क्योंकि वो वर्जिन नहीं थी। फिर उसकी दोनों टांगो को चौड़ा करके अपने लंड को सुनीता की चूत में घुसाकर उसके ऊपर लेटकर अपने दोनों हाथों को उसकी कांख के नीचे से उसके कंधो को पकड़कर अपने लंड से सुनीता की चूत में एक जोरदार धक्का मारा। जिससे मेरा पूरा का पूरा लंड सुनीता की चूत में पच की आवाज़ के साथ घुस गया। जिससे सुनीता की ज़ोर से चीख निकल गई और अब उसकी आँखो में आँसू आ गये थे, वो वर्जिन तो नहीं थी, लेकिन वो काफ़ी दिनों से चुदी नहीं थी इसलिए वो एकदम से चिल्ला उठी थी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
