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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
अब सुनीता के बगल में सोने से मुझे वो काफ़ी गर्म लग रही थी। तो मैंने बिना कुछ कहे अपनी एक टाँग उसके पैरो पर रख दी और अपना एक हाथ उसके पेट पर रखकर अपनी उंगली चलाने लगा और उससे चिपककर सो गया। अब हमने चादर ओढ़ रखी थी इसलिए किसी को हम पर शक भी नहीं हुआ था। अब 1-2 घंटे तक हम लोग ऐसे ही बातें करते रहे, फिर ज़्यादा रात होने को आई तो हम अपने- अपने घर चले गये। अब सुनीता और मेरे बीच में इतना सब कुछ होने के बाद भी मेरी आगे बात बढ़ाने की हिम्मत नहीं हुई। लेकिन में जो चाहता था, वो सुनीता ने ही कर दिखाया था। फिर उसने मेरे अंकल के लड़के को एक मैसेज देकर मेरे पास भेजा, तो उसने कहा कि सुनीता दीदी ने तुझे बुलाया है। तो मैंने कहा कि कहाँ बुलाया? तो उसने कहा कि उनके घर पर। तो मैंने कहा कि ठीक है और में अपने घर से खाना खाकर लगभग 10 बजे रात को सुनीता के घर गया तो सब लोग अलाव लगाकर ताप रहे थे, क्योकि गावं में लोग जल्दी नहीं सोते और ठंड में ऐसे ही अलाव में तापते ह ।
अब आधी रात तक में गया तो में कुछ देर तक अलाव के पास बैठा रहा। फिर मैंने बुआजी से पूछा कि सुनीता दीदी कहाँ है? तो उन्होंने कहाँ कि घर में अंदर चूल्‍हे के पास ताप रही है। फिर में अंदर गया तो सुनीता अकेले चूल्‍हे में ताप रही थी। अब में भी उसके बाजू में जाकर तापने लगा और पूछा कि क्यों बुलाया? तो उसने कहा कि कल शाम को भाभी के घर तुम क्या कर रहे थे? अब ये सुनकर तो में डर गया था, पता नहीं अब ये क्या कहने वाली है? फिर मैंने कहा कि कुछ भी तो नहीं। फिर सुनीता ने ही कहा कि तुम मेरे पेट पर अपना हाथ फैर रहे थे और मुझसे चिपक भी रहे थे, तुम मेरे साथ क्या करना चाहते थे? अब वो इतना खुलकर बोल रही थी। लेकिन फिर भी मेरी गांड फट रही थी, अब में कुछ नहीं बोल रहा था। फिर सुनीता ने फिर से पूछा कि बोलो क्या करना चाहते हो? लेकिन में कुछ बोल नहीं पा रहा था। अब में सोच रहा था कि में क्या कहूँ? कैसे कहूँ? क्योंकि मैंने कभी किसी लड़की को आज तक नहीं चोदा था और ना ही किसी को प्रपोज किया था।
फिर से सुनीता ने कहा कि ऐसे चुप रहने से काम नहीं चलेगा, कुछ तो बोलो क्या करना चाहते हो? फिर में कुछ देर तक सोचता रहा और जब में कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाया तो मैंने उसको अपनी तरफ घुमाया और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और एक लंबी लिप लॉक किस कर दिया। फिर मैंने कहा कि बस अब ठीक है। तो सुनीता बोली कि बस इतना ही करना था और कुछ नहीं। तो मैंने कहा कि करना तो है, लेकिन यहाँ तो सब लोग बैठे है। तो फिर उसने कहा कि कल सब लोग खेत में चले जाएगे और में बीमारी का बहाना बनाकर घर पर ही रहूँगी, तो तुम दोपहर में घर आना और गावं में भी कोई नहीं रहेगा, क्योंकि गावं में दिन में लोग ज़्यादातर खेत में चले जाते है। फिर में घर जाकर सो गया, लेकिन अब मुझे नींद नहीं आ रही थी, क्योंकि अब मुझे कल का बेसब्री से इंतजार था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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