21-02-2019, 12:33 AM
फिर मेरा अगला निशाना मेरी दीदी की चूत बनी और मैंने जैसे ही अपने होंठ दीदी की रसीली चूत पर रखे तभी उसी समय दीदी चिल्ला उठी आहह्ह्ह। अब में उसको चाटने लगा था और उनकी चूत के अंदर अपनी जीभ को डालने लगा था, अब दीदी भी मेरा सर पकड़कर अपनी चूत पर दबाने लगी थी और अपना सर इधर उधर पटक रही थी और चिल्ला रही थी आह्ह्ह हाँ चाट ऊह्ह्ह बहनचोद और ज़ोर से चाट बिल्कुल रंडी बना दे अपनी बहन को। फिर करीब बीस मिनट तक चाटने के बाद दीदी का अमृत निकल गया और मैंने जीवन में पहली बार यह अमृत पीया है और वो भी अपनी दीदी का। फिर दीदी बहुत खुश हुई और मुझे ऊपर खींचकर मेरे होंठो को चूसने लगी और बोली कि कैसा लगा अपनी बहन की चूत को चाटकर और उसका अमृत पीकर? मैंने कहा कि में यह अमृत रोज पीना चाहता हूँ। अब दीदी ने कहा कि हाँ-हाँ यह तुम्हारे लिए ही तो है, जब दिल करे इसको पी लेना। फिर दीदी ने मुझसे कहा कि अब तुम लेट जाओ मुझे भी आईसक्रीम खानी है, मैंने कहा कि हाँ-हाँ क्यों नहीं? फिर दीदी ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। अब मैंने कहा कि आह्ह्ह चूसो और चूसो फिर करीब 15-20 मिनट तक अपने लंड को चुसवाने के बाद मैंने कहा कि आह्ह्ह दीदी में आ रहा हूँ उह्ह्ह्ह और फिर मेरा भी अमृत दीदी के मुँह में ही निकल गया।
फिर जब मेरा अमृत इतना ज्यादा निकला था कि दीदी का मुँह पूरा भर गया और कुछ बाहर उनके बूब्स पर भी गिरा था, जिसको वो उठाकर पी गई थी। फिर हम एक दूसरे को चूमने लगे थे और करीब 25-30 मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे, थोड़ी देर के बाद दीदी बोली कि चलो अब घोड़े दौड़ाने का वक़्त आ गया है। अब मैंने कहा कि हाँ मैदान भी गीला है, बड़ा मज़ा आएगा और फिर हम दोनों हँसने लगे थे। फिर में उठा और दीदी की चूत को निशाना बनाकर अपना लंड उसमें डालने लगा, दीदी की चूत बहुत टाईट थी। अब मुझे यह थोड़ा सा अजीब लगा, मैंने दीदी से कहा कि दीदी जीजाजी से चुदने के बाद भी तुम्हारी चूत इतनी टाईट कैसे है? तब दीदी ने बताया कि उनका लंड बहुत छोटा है और फिर मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर रखकर एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया जिसकी वजह से मेरा आधा लंड अब उनकी चूत में जा चुका था। अब दीदी दर्द की वजह से चिल्ला उठी, तब मैंने अपने होंठ उनके होंठो पर रखे और फिर थोड़ी देर के बाद उनसे पूछा कि क्या हुआ? क्या में रुक जाऊं?
अब मैंने देखा कि दीदी की चूत से खून आ रहा था, लेकिन तब भी उन्होंने मुझसे कहा कि मैंने रुकने को कहा क्या? अब मैंने फिर से एक धक्का लगा दिया, जिसकी वजह से मेरा पूरा लंड उनकी चूत में चला गया और अब दीदी आहहह ऊहहहहह कर रही थी। फिर मैंने धक्के देना शुरू किया और फिर में करीब बीस मिनट तक उन्हें वैसे ही धक्के देकर चोदता रहा। अब इस दौरान दीदी तीन बार झड़ चुकी थी, मैंने कहा कि दीदी में भी आ रहा हूँ, दीदी ने कहा कि अंदर ही निकाल दो, थोड़ी देर के बाद में भी उनकी चूत में ही झड़ गया। अब जब में झड़ रहा था, तब दीदी मुझे ज़ोर से पकड़े हुए थी और बोली कि आह्ह्ह क्या मस्त एहसास है अपने भाई का अमृत लेने का? वाह मज़ा आ गया तुमने आज मुझे एक पूरी औरत बनने का सुख वो मज़ा आज पहली बार दिया है, जिसके लिए में कितनी और ना जाने कितने दिनों से तरस रही थी। इसी तरह से हमारे दिन निकलते चले गये और में उन्हें हर समय जब भी हमे मौका मिलता में उनकी चुदाई करने लगा था।
अब में दीदी को रोजाना दिन में दो बार चोदता और हर बार वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देकर मेरे साथ बड़े मज़े करती फिर कुछ दिनों के बाद माँ-पापा आ गये, तब हम रात में चुदाई करते थे। फिर कुछ दिनों के बाद दीदी भी अपने ससुराल चली गई, एक महीने के बाद दीदी का फोन आया। अब वो मुझसे बोली कि राज तुम बाप बनने वाले हो और यह बात सुनकर में बहुत खुश हुआ। फिर कुछ महीने निकल जाने के बाद दीदी ने एक बेटी जो जन्म दिया, जो बिल्कुल मेरे जैसी है।
फिर जब मेरा अमृत इतना ज्यादा निकला था कि दीदी का मुँह पूरा भर गया और कुछ बाहर उनके बूब्स पर भी गिरा था, जिसको वो उठाकर पी गई थी। फिर हम एक दूसरे को चूमने लगे थे और करीब 25-30 मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे, थोड़ी देर के बाद दीदी बोली कि चलो अब घोड़े दौड़ाने का वक़्त आ गया है। अब मैंने कहा कि हाँ मैदान भी गीला है, बड़ा मज़ा आएगा और फिर हम दोनों हँसने लगे थे। फिर में उठा और दीदी की चूत को निशाना बनाकर अपना लंड उसमें डालने लगा, दीदी की चूत बहुत टाईट थी। अब मुझे यह थोड़ा सा अजीब लगा, मैंने दीदी से कहा कि दीदी जीजाजी से चुदने के बाद भी तुम्हारी चूत इतनी टाईट कैसे है? तब दीदी ने बताया कि उनका लंड बहुत छोटा है और फिर मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर रखकर एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया जिसकी वजह से मेरा आधा लंड अब उनकी चूत में जा चुका था। अब दीदी दर्द की वजह से चिल्ला उठी, तब मैंने अपने होंठ उनके होंठो पर रखे और फिर थोड़ी देर के बाद उनसे पूछा कि क्या हुआ? क्या में रुक जाऊं?
अब मैंने देखा कि दीदी की चूत से खून आ रहा था, लेकिन तब भी उन्होंने मुझसे कहा कि मैंने रुकने को कहा क्या? अब मैंने फिर से एक धक्का लगा दिया, जिसकी वजह से मेरा पूरा लंड उनकी चूत में चला गया और अब दीदी आहहह ऊहहहहह कर रही थी। फिर मैंने धक्के देना शुरू किया और फिर में करीब बीस मिनट तक उन्हें वैसे ही धक्के देकर चोदता रहा। अब इस दौरान दीदी तीन बार झड़ चुकी थी, मैंने कहा कि दीदी में भी आ रहा हूँ, दीदी ने कहा कि अंदर ही निकाल दो, थोड़ी देर के बाद में भी उनकी चूत में ही झड़ गया। अब जब में झड़ रहा था, तब दीदी मुझे ज़ोर से पकड़े हुए थी और बोली कि आह्ह्ह क्या मस्त एहसास है अपने भाई का अमृत लेने का? वाह मज़ा आ गया तुमने आज मुझे एक पूरी औरत बनने का सुख वो मज़ा आज पहली बार दिया है, जिसके लिए में कितनी और ना जाने कितने दिनों से तरस रही थी। इसी तरह से हमारे दिन निकलते चले गये और में उन्हें हर समय जब भी हमे मौका मिलता में उनकी चुदाई करने लगा था।
अब में दीदी को रोजाना दिन में दो बार चोदता और हर बार वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देकर मेरे साथ बड़े मज़े करती फिर कुछ दिनों के बाद माँ-पापा आ गये, तब हम रात में चुदाई करते थे। फिर कुछ दिनों के बाद दीदी भी अपने ससुराल चली गई, एक महीने के बाद दीदी का फोन आया। अब वो मुझसे बोली कि राज तुम बाप बनने वाले हो और यह बात सुनकर में बहुत खुश हुआ। फिर कुछ महीने निकल जाने के बाद दीदी ने एक बेटी जो जन्म दिया, जो बिल्कुल मेरे जैसी है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.