21-02-2019, 12:24 AM
अब पापा मेरी वो बात मान गये, लेकिन माँ बोली कि तो घर पर कौन रहेगा? तब मैंने कहा कि में और दीदी है ना और बस 15 दिन की ही तो बात है, उसी में क्या हो जाएगा? आखरी में माँ भी मान गई और फिर माँ-पापा चले गये।
फिर उस रात को जब दीदी और में सो रहे थे तब मैंने महसूस किया कि दीदी मेरे लंड से खेल रही है, मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर थोड़ी देर तक खेलने के बाद दीदी ने मेरी पेंट के अंदर अपना एक हाथ डाल दिया और वो मुझसे चिपक गई। अब मैंने भी अच्छा मौका देखकर अपने होंठ दीदी के होंठो से लगा दिए और में चूसने लगा। फिर दीदी ने भी कुछ नहीं कहा और फिर हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे को प्यार करते रहे और करीब 15 मिनट तक हम एक दूसरे को पागलों की तरह चूमते रहे और फिर थोड़ी देर के बाद हम अलग हुए, तब हमने पहली बार एक दूसरे को देखा और बड़ी ज़ोर से हँसे। दोस्तों तब मैंने एक बार फिर से बड़ी ज़ोर से दीदी के होंठो को चूसा और उनसे कहा कि दीदी में आपको बहुत प्यार करता हूँ। तभी दीदी भी मुझसे बोली कि हाँ राज में भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। फिर दीदी मुझसे बोली कि राज तुम खुश तो हो ना?
फिर उस रात को जब दीदी और में सो रहे थे तब मैंने महसूस किया कि दीदी मेरे लंड से खेल रही है, मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर थोड़ी देर तक खेलने के बाद दीदी ने मेरी पेंट के अंदर अपना एक हाथ डाल दिया और वो मुझसे चिपक गई। अब मैंने भी अच्छा मौका देखकर अपने होंठ दीदी के होंठो से लगा दिए और में चूसने लगा। फिर दीदी ने भी कुछ नहीं कहा और फिर हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे को प्यार करते रहे और करीब 15 मिनट तक हम एक दूसरे को पागलों की तरह चूमते रहे और फिर थोड़ी देर के बाद हम अलग हुए, तब हमने पहली बार एक दूसरे को देखा और बड़ी ज़ोर से हँसे। दोस्तों तब मैंने एक बार फिर से बड़ी ज़ोर से दीदी के होंठो को चूसा और उनसे कहा कि दीदी में आपको बहुत प्यार करता हूँ। तभी दीदी भी मुझसे बोली कि हाँ राज में भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। फिर दीदी मुझसे बोली कि राज तुम खुश तो हो ना?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
