21-02-2019, 12:23 AM
फिर किसी तरह से रात कट गई और अगली सुबह मुझे दीदी शांत लगी, शायद उन्हें शक था कि उनके साथ रात में वो सब में करता हूँ, जो अब उनके मन से दूर हो गया था। फिर उस दिन पापा के ऑफिस चले जाने के बाद माँ भी पड़ोस में चली गई और उस समय घर में मेरे और दीदी के अलावा और कोई नहीं था। अब दीदी ने मुझसे कहा कि राज तुम जाकर नहा लो, मैंने उनसे कहा कि दीदी अभी नहीं पहले आप नहा लो, उसके बाद में नहा लूँगा। तभी दीदी ने अचानक से मुझसे कहा कि ठीक है चलो, आज हम दोनों साथ में ही नहाते है। अब में उनके मुहं से यह बात सुनकर तो में बहुत चकित होने के साथ ही बड़ा खुश भी हुआ, लेकिन मैंने भाव खाते हुए उनसे कहा कि दीदी यह आप क्या बोल रही हो? आप मेरी दीदी हो, में आपके साथ कैसे नहा सकता हूँ? तभी दीदी कहने लगी क्यों? नहाने में क्या बुराई है? तब मैंने कहा कि कुछ नहीं। अब दीदी बोली कि देखो माँ आ जाएगी तो उनके आने से पहले चलो नहा लिया जाए, नहीं तो हमे यह मौका दोबारा नहीं मिलने वाला। फिर मैंने उनको कहा कि हाँ ठीक है चलो हम आज साथ में नहा ही लेते है। अब में और दीदी आंगन में हेडपंप के पास जाकर बैठ गये, दीदी ने मुझसे कहा कि तुम अपनी लुंगी को उतार दो।
फिर मैंने उनसे कहा कि मैंने अंदर कुछ नहीं पहना है, वो मुस्कुराने लगी और बोली कि जा अंदर जाकर अपनी अंडरवियर पहन ले। फिर में अंदर गया और अपनी अंडरवियर को पहनकर वापस आ गया और उस समय में दीदी के सामने सिर्फ अंडरवियर में ही था। फिर मैंने भी दीदी से कहा कि दीदी आप भी अपने कपड़े उतार दो, दीदी मुस्कुराते हुए बोली कि नहीं, में ऐसे ही नहाऊँगी। अब में उनको कुछ नहीं बोला, और हम दोनों नहाने लगे, दीदी अब मेरे ऊपर पानी डालकर मुझे साबुन लगाने लगी थी, जिसकी वजह से मुझे अब बहुत मज़ा आ रहा था। फिर मैंने भी उन पर पानी डाल दिया, तभी दीदी मेरे ऊपर बड़े ही प्यार से चिल्लाई, राज क्या कर रहे हो? मैंने कहा कि अपनी दीदी से प्यार। अब दीदी के गीले होने की वजह से उनकी ब्रा मुझे साफ-साफ नजर आ रही थी। फिर उस दिन उससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ। फिर शाम को पापा आए और बोले कि उन्हें ऑफिस के काम से हमारे शहर से कहीं बाहर जाना है और उसी समय मैंने कहा कि माँ आप भी पापा के साथ जाकर घूम आए।
फिर मैंने उनसे कहा कि मैंने अंदर कुछ नहीं पहना है, वो मुस्कुराने लगी और बोली कि जा अंदर जाकर अपनी अंडरवियर पहन ले। फिर में अंदर गया और अपनी अंडरवियर को पहनकर वापस आ गया और उस समय में दीदी के सामने सिर्फ अंडरवियर में ही था। फिर मैंने भी दीदी से कहा कि दीदी आप भी अपने कपड़े उतार दो, दीदी मुस्कुराते हुए बोली कि नहीं, में ऐसे ही नहाऊँगी। अब में उनको कुछ नहीं बोला, और हम दोनों नहाने लगे, दीदी अब मेरे ऊपर पानी डालकर मुझे साबुन लगाने लगी थी, जिसकी वजह से मुझे अब बहुत मज़ा आ रहा था। फिर मैंने भी उन पर पानी डाल दिया, तभी दीदी मेरे ऊपर बड़े ही प्यार से चिल्लाई, राज क्या कर रहे हो? मैंने कहा कि अपनी दीदी से प्यार। अब दीदी के गीले होने की वजह से उनकी ब्रा मुझे साफ-साफ नजर आ रही थी। फिर उस दिन उससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ। फिर शाम को पापा आए और बोले कि उन्हें ऑफिस के काम से हमारे शहर से कहीं बाहर जाना है और उसी समय मैंने कहा कि माँ आप भी पापा के साथ जाकर घूम आए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
