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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
अब वो मुझे लगातार ही देखे जा रहा था, लेकिन कुछ कर नहीं रहा था। फिर मैंने अपना एक पैर मोड़कर थोड़ा ऊपर उठा दिया, जिसकी वजह से मेरी साड़ी अब मेरी कमर में सिमट चुकी थी और अब उसको मेरी पेंटी पूरी नजर आने लगी थी। अब यह द्रश्य देखकर सूरज एक बार फिर से उठकर बैठ गया और वो परेशान नजर आने लगा था। अब वो बार-बार मेरे बेटे की तरफ देख रहा था और लगातार मेरी नंगी जाँघो को घूरकर देखे जा रहा था। अब उसके होंठ सूख चुके थे और फिर वो बार-बार अपने होंठो पर जीभ फैर रहा था। अब मेरी भी धड़कन तेज हो गई थी, इस वजह से मेरे बड़े आकार के बूब्स लगातार ऊपर नीचे हो रहे थे। फिर सूरज धीरे से उठा और पलंग के नीचे आकर मेरे पैरों के पास जमीन पर अपने पंजो के बल बैठकर मुझे देखने लगा था। अब में समझ चुकी थी कि में सूरज की काम वासना जगाने में कामयाब हो गई हूँ, कुछ देर बाद उसने धीरे से मेरे पैरों को अपनी उँगलियों से छुआ और उसकी वजह से मुझे करंट सा लगने लगा था, लेकिन में ऐसे ही पड़ी रही। अब उसका मुँह बिल्कुल मेरे पैरों के पास था, जिसकी वजह से उसकी गर्म साँसे में अपने पैरों पर महसूस कर रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Pahli bar bahan k sath picnic - by neerathemall - 14-02-2019, 03:18 AM
RE: पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ - by neerathemall - 20-02-2019, 11:23 PM
RE: Soni Didi Ke Sath Suhagraat - by neerathemall - 26-04-2019, 12:23 AM
didi in waterfall - by neerathemall - 04-06-2019, 01:34 PM
Meri Didi Ki Garam Jawani - by neerathemall - 29-01-2020, 11:22 AM



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